"छायाचित्र": अवतरणों में अंतर
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किसी भौतिक वस्तु से निकलने वाले [[विकिरण]] को किसी संवेदनशील माध्यम (जैसे फोटोग्राफी की फिल्म, एलेक्ट्रानिक सेंसर आदि) के उपर रेकार्ड करके जब कोई स्थिर या चलायमान छबि (तस्वीर) बनायी जाती है तो उसे छायाचित्र (फोटोग्रफ) कहते हैं। छायाचित्रण (फोटोग्राफी) की प्रकिया कुछ सीमा तक [[कला]] भी है। इस कार्य के लिये यो युक्ति प्रयोग की जाती है उसे [[कैमरा]] कहते हैं। व्यापार, विज्ञान, कला एवं [[मनोरंजन]] आदि में छायाचित्रकारी के बहुत से उपयोग हैं। |
किसी भौतिक वस्तु से निकलने वाले [[विकिरण]] को किसी संवेदनशील माध्यम (जैसे फोटोग्राफी की फिल्म, एलेक्ट्रानिक सेंसर आदि) के उपर रेकार्ड करके जब कोई स्थिर या चलायमान छबि (तस्वीर) बनायी जाती है तो उसे छायाचित्र (फोटोग्रफ) कहते हैं। छायाचित्रण (फोटोग्राफी) की प्रकिया कुछ सीमा तक [[कला]] भी है। इस कार्य के लिये यो युक्ति प्रयोग की जाती है उसे [[कैमरा]] कहते हैं। व्यापार, विज्ञान, कला एवं [[मनोरंजन]] आदि में छायाचित्रकारी के बहुत से उपयोग हैं। |
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फोटोग्राफी वर्तमान युग के महानतम आविष्कारों में से एक है। आज फोटोग्राफी हमारे जीवन के हर क्षेत्र को स्पर्श कर रही है। ज्ञान विज्ञान, शिक्षा, जन-संपर्क, सूचना प्रौद्योगिकी या मनोरंजन, जिधर भी देखिये, हर जगह फोटोग्राफी का ही सदुपयोग होता नज़र आयेगा । अंतरिक्ष में भेजे गये उपग्रह धरती की सतह व भीतर के चित्र वैज्ञानिकों के लिये भेजते हैं, हॉलीवुड और बॉलीवुड के नाम पर चलचित्रों की जिस दुनिया से हम परिचित हैं - वह सब फोटोग्राफी पर ही तो टिकी हुई है। हर घर में रखा हुआ बुद्धू बक्सा, यानि टीवी हमें जो कुछ परोसता है, वह सब फोटोग्राफी नहीं तो और क्या है? आज अमिताभ, ऐश्वर्या राय को हम जानते हैं तो क्या इसका श्रेय फोटोग्राफी को ही नहीं जाता ? पुस्तकों, समाचार पत्रों - पत्रिकाओं का मुद्रण फोटोग्राफी तकनीक के ही कारण तो संभव हो पा रहा है (ऑफसेट प्रेस व स्क्रीन प्रिंटिंग दोनो ही के पीछे फोटोग्राफी के सिद्धान्त कार्य कर रहे हैं।) एक्स-रे, अल्ट्रा-साउंड, सी-टी स्कॅन, माइक्रोस्कोप आदि के पीछे भी फोटोग्राफी ही है। |
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एक उत्कृष्ट हॉबी व आकर्षक व्यवसाय के रूप में भी फोटोग्राफी अपना एक विशिष्ट स्थान बना चुकी है। फोटो खींचना और खिंचवाना - ये दोनो आज हॉबी भी हैं और व्यवसाय भी । ऐसा शायद ही कोई और यंत्र हो जिसके आगे भी और पीछे भी - कहीं भी खड़े हो कर आप नाम, पैसा और अपार शोहरत कमा सकते हैं! ललित कला के रूप में यह हमारे आपके जीवन को मनभावन रंगों से भर देती है वहीं व्यवसाय के रूप में आज फोटोग्राफी जीविका के अनेकानेक मार्ग खोल देती है। फोटोग्राफी का अध्ययन करने के बाद फोटो स्टुडियो, पत्रकारिता, मेडिकल व साइंटिफिक फोटोग्राफी, मैक्रो एवं माइक्रो फोटोग्राफी, आर्किटेक्चरल फोटोग्राफी, स्पोर्ट्स व वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी, स्पेस फोटोग्राफी, टीवी व फिल्म इंडस्ट्री हेतु फोटोग्राफी व सिनेमाटोग्राफी, प्रोडक्ट मॉडलिंग, फैशन व कॉमर्शियल फोटोग्राफी, एडिटोरियल फोटोग्राफी - ऐसे अनेकानेक क्षेत्र आपके लिये खुल जाते हैं जहां रोज़गार की संभावनायें अनन्त हैं। मास-कम्युनिकेशन के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिये तो फोटोग्राफी का ज्ञान किसी वरदान से कम नहीं है। यदि आप मल्टीमीडिया के क्षेत्र में हैं तो बिना फोटोग्राफी सीखे आपका ज्ञान अधूरा ही है। डिजिटल कैमरों के आने के बाद तो कैमरे और कंप्यूटर के बीच की सीमा रेखा ही समाप्त हो गयी लगती है। मल्टीमीडिया मोबाइल सैट ने तो कैमरे को हर व्यक्ति की पॉकेट में पहुंचा दिया है। |
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वर्ष 1876 में पहला चित्र जब खींचा गया था तो उस इमेज को फिल्म पर रेकार्ड करने के लिये 8 घंटे लगे थे। कोई इंसान तो इस प्रयोग के लिये बलि का बकरा बनने के लिये तैयार हुआ नहीं, अतः धूप में कुछ सामान मेज पर सजा दिया गया था और सुबह से शाम तक के लिये कैमरा स्टैंड पर लगा कर छोड़ दिया गया था। शाम तक एक कामचलाऊ चित्र मिल गया तो उस एक्सपेरिमेंट करने वाले व्यक्ति की खुशी का कोई ठिकाना न था। (यदि कोई वॉलंटियर मिल भी जाता तो 8 घंटे तक बिना हिले डुले कैसे बैठ सकता था ?, है न? ) |
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इस सफलता के बाद, स्वाभाविक रूप से अगला लक्ष्य था फिल्म पर लगाये गये कैमिकल (Light sensitive chemical )को इतना सेंसिटिव बनाना कि वह इमेज रेकार्ड करने में इतना समय न ले। प्रगति की राह पर बढ़ते बढ़ते आज रसायन विज्ञान उस बिंदु पर पहुंच गया है कि हमारा कैमरा आठ घंटे नहीं बल्कि 1/12000 सेकेंड में भी सुंदर चित्र खींच लेता है। मेरा गणित में हाथ कुछ तंग है - आप गणना करके बतायेंगे कि 8 घंटे और 1/12000 सैकेंड में परस्पर क्या संबंध है ? |
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आपने कभी ऐसे फोटोग्राफर से फोटो खिंचवाई है जो एक बड़े से डब्बे के पीछे काला कपड़ा सिर पर डाल कर कुछ काला जादू सा करता रहता है फिर आपसे कहता है कि "हिलना मत" और लेंस के आगे लगे हुए ढक्कन को हटाता है, चिड़िया सी उड़ाता है और ढक्कन को वापिस लेंस पर लगा देता है ? वह काला डब्बा निश्चय ही एक पुराने जमाने का कैमरा हुआ करता था। आठ घंटे तो नहीं, हां 2 या 3 सेकेंड का समय इस कैमरे को चाहिये होता था आपकी फोटो खींचने के लिये। लेंस का ढक्कन हटने से लेकर ढक्कन वापिस लगाने तक का समय अंदाज़े से दिया जाता था। फोटोग्राफर होशियार होता था तो वह स्टॉप वाच की सहायता लेता था। |
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जब फिल्म और फास्ट बनने लगीं तो कैमरे पर मेकेनिकल शटर (Mechanical shutter) की आवश्यकता महसूस होने लगी क्योंकि 1/15 या 1/60 सेकेंड का समय अंदाज़े से तो दिया नहीं जा सकता है। जब 1/1000 सेकेंड तक का समय भी पर्याप्त होने लगा तो मेकेनिकल शटर के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक शटर (electronic shutters) लगाये जाने लगे। |
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जब फिल्म और फास्ट बनने लगीं तो कैमरे पर मेकेनिकल शटर (Mechanical shutter) की आवश्यकता महसूस होने लगी क्योंकि 1/15 या 1/60 सेकेंड का समय अंदाज़े से तो दिया नहीं जा सकता है। जब 1/1000 सेकेंड तक का समय भी पर्याप्त होने लगा तो मेकेनिकल शटर के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक शटर (electronic shutters) लगाये जाने लगे। |
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आज एक अच्छा कैमरा 30 सेकेंड से लेकर 1/4000 सेकेंड के मध्य कोई सी भी शटर सेटिंग चुनने की स्वतंत्रता देने लगा है। जब प्रकाश बहुत अधिक हो तो 1/4000 या 1/2000 सेकेंड का समय निश्चित कर लें और यदि आधी रात को चंद्रमा के प्रकाश में फोटो खींचनी हो तो समय अंतराल को 30 सेकेंड तक बढ़ाने की सुविधा उपलब्ध है। हो सकता है आपके कैमरे में उच्चतम सीमा 1/1000 सेकेंड हो व न्यूनतम सीमा 1 सेकेंड हो। |
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न्यूनतम समय में इमेज रेकार्ड कर पाने का एक अतिरिक्त फयदा यह हो गया है कि अब हमें किसी से यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती कि - "हिलना मत" । कोई कितना ही हिल-डुल ले, 1/4000 सेकेंड में कितना हिल पायेगा ? 1/12000सेकेंड में तो बंदूक से निकली गोली के भी चित्र खींचना संभव हो गया है। इतना कम समय सेट करते हुए तो आप सरपट दौड़ती हुई बुलेट ट्रेन का भी चित्र खींचेंगे तो वह शांति से चुपचाप खड़ी हुई अनुभव होगी ! (हां, इतना अवश्य है कि आपकी फिल्म इतनी फास्ट होनी चाहिये कि इतने सूक्ष्म समय में भी इमेज रेकार्ड कर सके) |
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फोटोग्राफी और कैमरा |
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फोटोग्राफी भौतिक विज्ञान व रसायन विज्ञान के सिद्धांतों के आश्रय पर खड़ी है । इसीलिये कहा जाता है कि फोटोग्राफी ५०% विज्ञान है और ५०% कला। कैमरे का सर्वोत्तम उपयोग कर सकने के लिये जितना जानना आवश्यक है, केवल उतना ही इस कॉलम में बताया जायेगा। अनावश्यक रूप से गहराई में जाने की हमें आवश्यकता नहीं है। हमें कार चलानी सीखनी है, मोटर मेकेनिक थोड़ा ही बनना है ! है न ? |
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== डिजिटल कैमरा == |
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डिजिटल कैमरा एक आवश्यक टूल है | डिजिटल कैमरा जब से मोबाईल में आने लगा है एक सर्व सुलभ वस्तु बन गया है | तस्वीर की गुणवत्ता के मामले में मोबाईल कैमरा ,कैमरा डीवाइस का मुकाबला नहीं करता है | जो परिणाम कैमरा डीवाइस में मिलता है वो मोबाइल कैमरे में नहीं मिलता है | |
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एक डिजिटल कैमरा (या संक्षेप में - डिजिकैम ) एक ऐसा कैमरा है |
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जो डिजिटल रूप में वीडियो या स्टिल फोटोग्राफ या दोनों लेता है और |
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एक इलेक्ट्रॉनिक इमेज सेंसर के माध्यम से चित्रों को रिकॉर्ड कर लेता है. |
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कई कॉम्पैक्ट डिजिटल स्टिल कैमरे, |
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ध्वनि और मूविंग वीडियो के साथ-साथ स्टिल |
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फोटोग्राफ को भी रिकॉर्ड कर सकते हैं. पश्चिमी |
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बाजार में, डिजिटल कैमरों के 35 mm फ़िल्म |
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काउंटरपार्ट की ज्यादा बिक्री होती है ॥ |
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डिजिटल कैमरे, वे सभी काम कर सकते हैं |
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जो फ़िल्म कैमरे नहीं कर पाते हैं: रिकॉर्ड करने |
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के तुरंत बाद स्क्रीन पर इमेजों को प्रदर्शित करना, |
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एक छोटे-से मेमोरी उपकरण में हज़ारों चित्रों का |
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भंडारण करना, ध्वनि के साथ वीडियो की रिकॉर्डिंग |
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करना और संग्रहण स्थान को खाली करने के लिए |
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चित्रों को मिटा देना. कुछ डिजिटल कैमरे तस्वीरों में |
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कांट-छांट कर सकते हैं और चित्रों का प्रारंभिक संपादन |
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भी कर सकते हैं. मूल रूप से वे फ़िल्म कैमरे की तरह |
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ही संचालित होते हैं और आम तौर पर चित्र लेने वाले एक |
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उपकरण पर प्रकाश को केंद्रित करने के लिए एक वेरिएबल |
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डायाफ्राम वाले लेंस का प्रयोग होता है. ठीक फ़िल्म कैमरे की |
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तरह इसमें भी इमेजर में प्रकाश की सही मात्रा की प्रविष्टि करन |
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े के लिए डायाफ्राम और एक शटर क्रियावली के संयोजन का प्रयोग |
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किया जाता है; एकमात्र अंतर यही है कि इसमें प्रयुक्त चित्र लेने वाले |
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उपकरण, रासायनिक होने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक होता है. |
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PDA और मोबाइल फोन (कैमरा फोन) से लेकर वाहनों तक की श्रेणी |
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के कई उपकरणों में डिजिटल कैमरों को समाहित किया जाता है. हबल |
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स्पेस टेलीस्कोप और अन्य खगोलीय उपकरणों में आवश्यक रूप से विशेष |
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डिजिटल कैमरों का प्रयोग होता है |
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== मेगापिक्सल == |
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(Megapixels) अगर आप 4x6 की तस्वीर का प्रिंट निकालना चाहते है तो उसके लिए आपको कम से कम 2 मेगापिक्सल का कैमरा चाहिए ,लेकिन जब बड़ी तस्वीर निकालनी हो तो उसी अनुपात में इसकी जरूरत पड़ती है |
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मेगापिक्सल सब कुछ नहीं है, इसलिए उसके पीछे मत भागिए!! कैमरा निर्माता भी वही कर रहे हैं आजकल जो पर्सनल कंप्यूटर निर्माता(personal computer) करते आए हैं। जिस तरह पर्सनल कंप्यूटर निर्माता अपने टीवी/प्रिंट आदि विज्ञापनों में सिर्फ़ प्रोसेसर और एलसीडी स्क्रीन(LCD Screen) आदि के बारे में ही बताते हैं और अंदर दूसरे महत्वपूर्ण पुर्ज़ों(parts/components) में खेल खेल जाते हैं, उसी प्रकार कैमरा निर्माता भी आजकल सिर्फ़ मेगापिक्सल का खेल खेल रहे हैं, नए वर्ज़न/अपडेट में मेगापिक्सल बढ़ाओ और कैमरा बेचो। अज्ञानी जनता भी इस मेगापिक्सल के झांसे में आ जाती है यह जाने बिना कि मेगापिक्सल सब कुछ नहीं होता!! |
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== एल सी डी स्क्रीन एल सी डी स्क्रीन == |
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- कैमरे की स्क्रीन विभिन्न साईजो में आती है लेकिन ज्यादा तर तीन इंच की स्क्रीन पर्याप्त रहती है ताकी आप अपनी खींची गई तस्वीर को ठीक से देख सके और संपादित कर सके | |
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== ज़ूम साइज == |
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- यह कैमरे का आवश्यक तत्व है | निर्माता कंपनीया अपने माल को बेचने में इसी का फायदा उठाती है | ये दो प्रकार का होता है एक डिजिटल ज़ूम दूसरा ऑप्टिकल ज़ूम | डिजिटल ज़ूम में उस कैमरे का सोफ्टवेयर तस्वीर को बड़ा कर के दिखाता है,जबकी वास्तव में तस्वीर उतनी ही रहती है | जैसे हमारे कंप्युटर में हम फोटो को बड़ा करके देखते है |जबकि ऑप्टिकल ज़ूम में कैमरे का लेंस आगे पीछे होकर आपकी तस्वीर को नजदीक से या दूर से लेने में सहायक होता है | जिसके कारण तस्वीर बहुत ज्यादा स्पष्ट और गहराई लिए आती है |घरेलू कैमरों में अधिकतर ३ एक्स का ऑप्टिकल ज़ूम आता है |अगर आप आऊटडोर फोटोग्राफी (जैसे जंगली दृश्य ,पशु पक्षी आदि की) करना चाहते है तो उसके लिए इससे भी ज्यादा ज़ूम की जरूरत पड़ेगी | लेकिन इतना ध्यान जरूर रखे की आपको डिजिटल ज़ूम के चक्कर में नहीं पढ़ना है | |
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==ISO == |
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-ये प्रकाश को नापने के काम आता है | ज्यादा ISO वाला कैमरा कम रोशनी में भी साफ़ तस्वीरे ले सकता है| ये 800,1600,3200,6400 तक की रेंज में आते है | |
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==फेस डिटेक्शन == |
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- ये फंकशन आपके द्वारा इच्छित व्यक्ति की इमेज को सेव करके रखता है | और बाद में जब आप ग्रुप में फोटो खीचते है तब ये उस चेहरे के सामने आने पर ही फोटो खीचेगा अन्यथा नहीं | |
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==पिक्सल्स == |
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जिन छोटे-छोटे कलर डॉट्स से मिलकर फोटो बनती है |
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उन्हें पिक्सल्स कहते हैं। कैमरे में मौजूद हजारों रंग के पिक्सल्स की |
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मदद से ही किसी दृश्य को कैद किया जाता है। डिजिटल कैमरे में |
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पिक्सल्स न्यूमेरिकल वैल्यू पर आधरित होते हैं, इनकी संख्या 0 से 255 के बीच होती ॥ |
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मुख्यत: पिक्सल्स ही कैमरे का क्वालिटी तय करते हैं। जिस कैमरे जितने अच्छे शेड्स के पिक्सल्स होते हैं, उससे उतनी ही बेहतर तस्वीर ली जा सकती है। कैमरे में पिक्सल्स की शेड्स एस्पेक्ट रेशो पर निर्भर करती है। |
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एस्पेक्ट रेशो: यह फोटो के कलर पिक्सल्स की शेड्स को स्टोर करता है, जिससे इमेज में अलग रंगों को मिलाकर नया रंग बन सके। |
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[[चित्र:Large format camera lens.jpg|thumb|right|Lens and mounting of a large-format camera.|thumb]] |
[[चित्र:Large format camera lens.jpg|thumb|right|Lens and mounting of a large-format camera.|thumb]] |
20:25, 5 अप्रैल 2013 का अवतरण
किसी भौतिक वस्तु से निकलने वाले विकिरण को किसी संवेदनशील माध्यम (जैसे फोटोग्राफी की फिल्म, एलेक्ट्रानिक सेंसर आदि) के उपर रेकार्ड करके जब कोई स्थिर या चलायमान छबि (तस्वीर) बनायी जाती है तो उसे छायाचित्र (फोटोग्रफ) कहते हैं। छायाचित्रण (फोटोग्राफी) की प्रकिया कुछ सीमा तक कला भी है। इस कार्य के लिये यो युक्ति प्रयोग की जाती है उसे कैमरा कहते हैं। व्यापार, विज्ञान, कला एवं मनोरंजन आदि में छायाचित्रकारी के बहुत से उपयोग हैं।
बाहरी कड़ियाँ
- World History of Photography From The History of Art.
- Daguerreotype to Digital: A Brief History of the Photographic Process From the State Library & Archives of Florida.
- The Center for Fine Art Photography A non profit organization dedicated to promoting Photography as an Art Form.
- Judging the authenticity of Photographs: 1800s to Today Guide for collectors and historians
- Rarities of the USSR photochronicles Pioneers of Soviet Photography.
- Aperture A not-for-profit organisation dedicated to the advancement of photography.
- "Every Picture Has a Story" - uses pictures from the Smithsonian's collections to show the development of the technology through the nineteenth century.
- Shades of Light (Australian Photography 1839 - 1988) the online version of the original Shades of Light published 1998, Gael Newton, National Gallery of Australia.
- The Royal Photographic Society Promotes the art and science of photography in the U.K.
- PhotoQuotes.com Quotations from the world of photography.
- Lens Culture International contemporary photography archives, including audio interviews with photographers
- फोटोग्राफी सबक {en}