"उर्वीजा": अवतरणों में अंतर
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'''उर्वीजा''' [[सीता]] का एक और नाम है। [[मिथिला]] नरेश [[जनक]] के हल-कर्षण-यज्ञ के फलस्वरूप पृथवि से उत्पन्न होने के कारण सीता का यह नाम पड़ा । "ऊर्वी" का अभिप्राय "पृथ्वी" से है और "जा" प्रत्यय का अभिप्राय है जन्मना अर्थात जन्म लेना । यानि उर्बीजा का मतलब है पृथ्वी से जन्मना । यद्यपि सीता पृथवी से उत्पन्न हुयी थी, इसलिए उन्हें उर्बीजा भी कहा जाता है । वे [[जनकपुर]] के राजा [[जनक]] की पुत्री,[[राम]] की पत्नी तथा [[अयोध्या]] के राजा [[दशरथ]] की पुत्रवधू थीं।<ref>[मिथिला का इतिहास,लेखक : डॉ राम प्रकाश शर्मा, प्रकाशक : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विषविद्यालय, दरभंगा, पृष्ठ संख्या : 460]</ref> |
'''उर्वीजा''' [[सीता]] का एक और नाम है। [[मिथिला]] नरेश [[जनक]] के हल-कर्षण-यज्ञ के फलस्वरूप पृथवि से उत्पन्न होने के कारण सीता का यह नाम पड़ा । "ऊर्वी" का अभिप्राय "पृथ्वी" से है और "जा" प्रत्यय का अभिप्राय है जन्मना अर्थात जन्म लेना । यानि उर्बीजा का मतलब है पृथ्वी से जन्मना । यद्यपि सीता पृथवी से उत्पन्न हुयी थी, इसलिए उन्हें उर्बीजा भी कहा जाता है । वे [[जनकपुर]] के राजा [[जनक]] की पुत्री,[[राम]] की पत्नी तथा [[अयोध्या]] के राजा [[दशरथ]] की पुत्रवधू थीं।<ref>[मिथिला का इतिहास,लेखक : डॉ राम प्रकाश शर्मा, प्रकाशक : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विषविद्यालय, दरभंगा, पृष्ठ संख्या : 460]</ref> |
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09:37, 10 फ़रवरी 2013 का अवतरण
उर्वीजा सीता का एक और नाम है। मिथिला नरेश जनक के हल-कर्षण-यज्ञ के फलस्वरूप पृथवि से उत्पन्न होने के कारण सीता का यह नाम पड़ा । "ऊर्वी" का अभिप्राय "पृथ्वी" से है और "जा" प्रत्यय का अभिप्राय है जन्मना अर्थात जन्म लेना । यानि उर्बीजा का मतलब है पृथ्वी से जन्मना । यद्यपि सीता पृथवी से उत्पन्न हुयी थी, इसलिए उन्हें उर्बीजा भी कहा जाता है । वे जनकपुर के राजा जनक की पुत्री,राम की पत्नी तथा अयोध्या के राजा दशरथ की पुत्रवधू थीं।[1]
सन्दर्भ
- ↑ [मिथिला का इतिहास,लेखक : डॉ राम प्रकाश शर्मा, प्रकाशक : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विषविद्यालय, दरभंगा, पृष्ठ संख्या : 460]