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[[File:3D Spherical.svg|thumb|240px|thumb|गोलीय निर्देशांक (''r'', ''θ'', ''φ'') भौतिकी में आमतौर पर प्रयोग होते हैं: त्रिज्या दूरी 'r', ध्रुवीय कोण 'θ' (थीटा), और दिगंश कोण 'φ' (फ़ाई). कभी-कभी 'r' के स्थान पर 'ρ' (रो) का चिह्न इस्तेमाल होता है]]
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[[File:ECEF ENU Longitude Latitude relationships.svg|240px|thumb|भूगोल में इस्तेमाल होने वाली [[अक्षांश रेखाएँ|अक्षांश]]-[[रेखांश]] (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली एक गोलीय निर्देशांक पद्धति है]]
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'''गोलीय निर्देशांक पद्धति''' (<small>[[अंग्रेजी]]: spherical coordinate system</small>) [[आयाम|तीन आयामों]] (डायमेंशनों) वाले [[दिक्]] (स्पेस) में प्रयोग होने वाली ऐसी [[निर्देशांक पद्धति]] होती है जिसमें उस दिक् में मौजूद किसी भी बिंदु का स्थान तीन अंकों से निर्धारित हो जाता है:<ref name="ref01poyax">[http://books.google.com/books?id=I8vqITdETe0C Binocular Vision and Stereopsis], Ian P. Howard, Brian J. Rogers, pp. 236, Oxford University Press, 1995, ISBN 9780195084764, ''... the azimuth of a point is defined as the dihedral angle between a vertical plane passing through the point ...''</ref>
'''गोलीय निर्देशांक पद्धति''' (<small>[[अंग्रेजी]]: spherical coordinate system</small>) [[आयाम|तीन आयामों]] (डायमेंशनों) वाले [[दिक्]] (स्पेस) में प्रयोग होने वाली ऐसी [[निर्देशांक पद्धति]] होती है जिसमें उस दिक् में मौजूद किसी भी बिंदु का स्थान तीन अंकों से निर्धारित हो जाता है:<ref name="ref01poyax">[http://books.google.com/books?id=I8vqITdETe0C Binocular Vision and Stereopsis], Ian P. Howard, Brian J. Rogers, pp. 236, Oxford University Press, 1995, ISBN 978-0-19-508476-4, ''... the azimuth of a point is defined as the dihedral angle between a vertical plane passing through the point ...''</ref>
*मूल केंद्र से उस बिंदु की '[[त्रिज्या]] दूरी' (<small>radial distance</small>) - इसके लिए अक्सर 'r' या '&rho;' का चिह्न प्रयोग होता है
* मूल केंद्र से उस बिंदु की '[[त्रिज्या]] दूरी' (<small>radial distance</small>) - इसके लिए अक्सर 'r' या '&rho;' का चिह्न प्रयोग होता है
*[[शिरोबिंदु]] (ज़ेनिथ) की दिशा से उसका 'ध्रुवीय [[कोण]]' (<small>polar angle</small>) - इसके लिए अक्सर '&theta;' का चिह्न प्रयोग होता है
* [[शिरोबिंदु]] (ज़ेनिथ) की दिशा से उसका 'ध्रुवीय [[कोण]]' (<small>polar angle</small>) - इसके लिए अक्सर '&theta;' का चिह्न प्रयोग होता है
*मूल [[समतल]] से उसका '[[दिगंश|दिगंश कोण]]' (<small>azimuth angle</small>) - इसके लिए अक्सर '&phi;' का चिह्न प्रयोग होता है
* मूल [[समतल]] से उसका '[[दिगंश|दिगंश कोण]]' (<small>azimuth angle</small>) - इसके लिए अक्सर '&phi;' का चिह्न प्रयोग होता है
ज़ाहिर है कि ऐसी पद्धति में पहले से ही किसी मूल केंद्र, शिरोबिंदु दिशा और मूल समतल का चुनाव कर लेना आवश्यक है। इस चुनाव के बाद हर बिंदु का स्थान इन तीनों अंकों - (''r'', ''&theta;'', ''&phi;'') - के आधार पर बतलाया जा सकता है। कभी-कभी 'ध्रुवीय कोण' के स्थान पर 'उत्कर्ष या ऊँचाई कोण' (<small>elevation angle</small>) का प्रयोग होता है जो मूल समतल से ऊँचाई मापता है।
ज़ाहिर है कि ऐसी पद्धति में पहले से ही किसी मूल केंद्र, शिरोबिंदु दिशा और मूल समतल का चुनाव कर लेना आवश्यक है। इस चुनाव के बाद हर बिंदु का स्थान इन तीनों अंकों - (''r'', ''&theta;'', ''&phi;'') - के आधार पर बतलाया जा सकता है। कभी-कभी 'ध्रुवीय कोण' के स्थान पर 'उत्कर्ष या ऊँचाई कोण' (<small>elevation angle</small>) का प्रयोग होता है जो मूल समतल से ऊँचाई मापता है।


==भौगोलिक प्रयोग==
== भौगोलिक प्रयोग ==
[[भूगोल]] में जगहों का अंकन करने वाली [[अक्षांश रेखाएँ|अक्षांश]]-[[रेखांश]] (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली (यानि [[भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली]]) एक गोलीय निर्देशांक प्रणाली का उदाहरण है।<ref name="ref90boqar">[http://books.google.com/books?id=qOqOn5wSSOoC Relational Management and Display of Site Environmental Data], David Rich, pp. 246, CRC Press, 2002, ISBN 9781566705912, ''... The earth is roughly spherical, and the latitude-longitude system is used to describe locations in spherical coordinates. Latitude is measured in degrees (l/360th of the sphere) north or south of the equator. Longitude is measured in degrees east (positive) or west (negative) of the prime meridian, which passes through Greenwich, England ...''</ref> इसमें:
[[भूगोल]] में जगहों का अंकन करने वाली [[अक्षांश रेखाएँ|अक्षांश]]-[[रेखांश]] (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली (यानि [[भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली]]) एक गोलीय निर्देशांक प्रणाली का उदाहरण है।<ref name="ref90boqar">[http://books.google.com/books?id=qOqOn5wSSOoC Relational Management and Display of Site Environmental Data], David Rich, pp. 246, CRC Press, 2002, ISBN 978-1-56670-591-2, ''... The earth is roughly spherical, and the latitude-longitude system is used to describe locations in spherical coordinates. Latitude is measured in degrees (l/360th of the sphere) north or south of the equator. Longitude is measured in degrees east (positive) or west (negative) of the prime meridian, which passes through Greenwich, England ...''</ref> इसमें:
*'मूल केंद्र' पृथ्वी के बिलकुल बीच स्थित केन्द्रीय बिंदु है
* 'मूल केंद्र' पृथ्वी के बिलकुल बीच स्थित केन्द्रीय बिंदु है
*'मूल समतल' एक काल्पनिक समतल है जो [[भूमध्य रेखा]] से गुज़रकर पृथ्वी को दो बराबर के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों (हेमिस्फ़ीयरों) में काटता है
* 'मूल समतल' एक काल्पनिक समतल है जो [[भूमध्य रेखा]] से गुज़रकर पृथ्वी को दो बराबर के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों (हेमिस्फ़ीयरों) में काटता है
*'ऊँचाई कोण' का माप एक ऐसी काल्पनिक रेखा से किया जाता है जो पृथ्वी के केंद्र से निकलकर [[इंग्लैण्ड]] के ग्रेनिच शहर से ठीक दक्षिण में भूमध्य रेखा पर स्थित बिंदु से गुज़रती है (यानि जहाँ [[मध्याह्न रेखा]] और भूमध्य रेखा एक दूसरे को काटती हैं)।
* 'ऊँचाई कोण' का माप एक ऐसी काल्पनिक रेखा से किया जाता है जो पृथ्वी के केंद्र से निकलकर [[इंग्लैण्ड]] के ग्रेनिच शहर से ठीक दक्षिण में भूमध्य रेखा पर स्थित बिंदु से गुज़रती है (यानि जहाँ [[मध्याह्न रेखा]] और भूमध्य रेखा एक दूसरे को काटती हैं)।
इस व्यवस्था में किसी स्थान की:
इस व्यवस्था में किसी स्थान की:
*'''त्रिज्या दूरी''' उसकी पृथ्वी के केंद्र से ऊँचाई होती है।
* '''त्रिज्या दूरी''' उसकी पृथ्वी के केंद्र से ऊँचाई होती है।
*'''अक्षांश''' (लैटिट्यूड) उसका ऊँचाई कोण (एलेवेशन) होता है। स्थान जितना भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर अधिक दूरी पर हो, यह अंक उतना ही अधिक होता है और भौगोलिक ध्रुवों पर बढ़कर अपनी अधिकतम ९०° की संख्या पर पहुँच जाता है।
* '''अक्षांश''' (लैटिट्यूड) उसका ऊँचाई कोण (एलेवेशन) होता है। स्थान जितना भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर अधिक दूरी पर हो, यह अंक उतना ही अधिक होता है और भौगोलिक ध्रुवों पर बढ़कर अपनी अधिकतम ९०° की संख्या पर पहुँच जाता है।
*'''रेखांश''' (लॉन्गिट्यूड) उसका दिगंश कोण (ऐज़िमुथ) होता है। स्थान जितना मध्याह्न रेखा से पूर्व या पश्चिम की ओर अधिक दूरी पर हो, यह अंक उतना ही अधिक होता है और पृथ्वी के ठीक उल्टी-तरफ़ [[प्रशांत महासागर]] में बढ़कर अपनी अधिकतम १८०° की संख्या पर पहुँच जाता है।
* '''रेखांश''' (लॉन्गिट्यूड) उसका दिगंश कोण (ऐज़िमुथ) होता है। स्थान जितना मध्याह्न रेखा से पूर्व या पश्चिम की ओर अधिक दूरी पर हो, यह अंक उतना ही अधिक होता है और पृथ्वी के ठीक उल्टी-तरफ़ [[प्रशांत महासागर]] में बढ़कर अपनी अधिकतम १८०° की संख्या पर पहुँच जाता है।
ध्यान रहे कि अपने आकार और [[घूर्णन]] (रोटेशन) की वजह से भूमध्य रेखा का निर्धारण तो प्रकृति द्वारा तय था, लेकिन दोनों ध्रुवों के बीच चलने वाली मध्याह्न रेखा (प्राइम मेरिडियन) कहीं भी हो सकती थी। यह केवल एक ऐतिहासिक इत्तेफ़ाक है कि उसका चुनाव इंग्लैण्ड से निकलने के लिए किया गया और विश्वभर में स्वीकृत हो गया।
ध्यान रहे कि अपने आकार और [[घूर्णन]] (रोटेशन) की वजह से भूमध्य रेखा का निर्धारण तो प्रकृति द्वारा तय था, लेकिन दोनों ध्रुवों के बीच चलने वाली मध्याह्न रेखा (प्राइम मेरिडियन) कहीं भी हो सकती थी। यह केवल एक ऐतिहासिक इत्तेफ़ाक है कि उसका चुनाव इंग्लैण्ड से निकलने के लिए किया गया और विश्वभर में स्वीकृत हो गया।


==इन्हें भी देखें==
== इन्हें भी देखें ==
*[[निर्देशांक पद्धति]]
* [[निर्देशांक पद्धति]]
*[[भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली]]
* [[भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली]]
*[[अक्षांश रेखाएँ|अक्षांश]]
* [[अक्षांश रेखाएँ|अक्षांश]]
*[[रेखांश]]
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==सन्दर्भ==
== सन्दर्भ ==
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[[en:Spherical coordinate system]]
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[[es:Coordenadas esféricas]]
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[[fa:دستگاه مختصات کروی]]
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[[fi:Koordinaatisto#Pallokoordinaatisto]]
[[fr:Coordonnées sphériques]]
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[[ko:구면좌표계]]
[[it:Sistema di riferimento#Il sistema sferico]]
[[he:קואורדינטות כדוריות]]
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[[lv:Sfēriskā koordinātu sistēma]]
[[hu:Gömbi koordináták]]
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[[it:Sistema di riferimento#Il sistema sferico]]
[[nl:Bolcoördinaten]]
[[ja:球面座標系]]
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[[ru:Сферическая система координат]]
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[[sh:Sferni koordinatni sistem]]
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[[sr:Сферни координатни систем]]
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[[fi:Koordinaatisto#Pallokoordinaatisto]]
[[sv:Sfäriska koordinater]]
[[sv:Sfäriska koordinater]]
[[tr:Küresel koordinat sistemi]]
[[tr:Küresel koordinat sistemi]]

20:49, 25 अक्टूबर 2012 का अवतरण

गोलीय निर्देशांक (r, θ, φ) भौतिकी में आमतौर पर प्रयोग होते हैं: त्रिज्या दूरी 'r', ध्रुवीय कोण 'θ' (थीटा), और दिगंश कोण 'φ' (फ़ाई). कभी-कभी 'r' के स्थान पर 'ρ' (रो) का चिह्न इस्तेमाल होता है
भूगोल में इस्तेमाल होने वाली अक्षांश-रेखांश (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली एक गोलीय निर्देशांक पद्धति है

गोलीय निर्देशांक पद्धति (अंग्रेजी: spherical coordinate system) तीन आयामों (डायमेंशनों) वाले दिक् (स्पेस) में प्रयोग होने वाली ऐसी निर्देशांक पद्धति होती है जिसमें उस दिक् में मौजूद किसी भी बिंदु का स्थान तीन अंकों से निर्धारित हो जाता है:[1]

  • मूल केंद्र से उस बिंदु की 'त्रिज्या दूरी' (radial distance) - इसके लिए अक्सर 'r' या 'ρ' का चिह्न प्रयोग होता है
  • शिरोबिंदु (ज़ेनिथ) की दिशा से उसका 'ध्रुवीय कोण' (polar angle) - इसके लिए अक्सर 'θ' का चिह्न प्रयोग होता है
  • मूल समतल से उसका 'दिगंश कोण' (azimuth angle) - इसके लिए अक्सर 'φ' का चिह्न प्रयोग होता है

ज़ाहिर है कि ऐसी पद्धति में पहले से ही किसी मूल केंद्र, शिरोबिंदु दिशा और मूल समतल का चुनाव कर लेना आवश्यक है। इस चुनाव के बाद हर बिंदु का स्थान इन तीनों अंकों - (r, θ, φ) - के आधार पर बतलाया जा सकता है। कभी-कभी 'ध्रुवीय कोण' के स्थान पर 'उत्कर्ष या ऊँचाई कोण' (elevation angle) का प्रयोग होता है जो मूल समतल से ऊँचाई मापता है।

भौगोलिक प्रयोग

भूगोल में जगहों का अंकन करने वाली अक्षांश-रेखांश (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली (यानि भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली) एक गोलीय निर्देशांक प्रणाली का उदाहरण है।[2] इसमें:

  • 'मूल केंद्र' पृथ्वी के बिलकुल बीच स्थित केन्द्रीय बिंदु है
  • 'मूल समतल' एक काल्पनिक समतल है जो भूमध्य रेखा से गुज़रकर पृथ्वी को दो बराबर के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों (हेमिस्फ़ीयरों) में काटता है
  • 'ऊँचाई कोण' का माप एक ऐसी काल्पनिक रेखा से किया जाता है जो पृथ्वी के केंद्र से निकलकर इंग्लैण्ड के ग्रेनिच शहर से ठीक दक्षिण में भूमध्य रेखा पर स्थित बिंदु से गुज़रती है (यानि जहाँ मध्याह्न रेखा और भूमध्य रेखा एक दूसरे को काटती हैं)।

इस व्यवस्था में किसी स्थान की:

  • त्रिज्या दूरी उसकी पृथ्वी के केंद्र से ऊँचाई होती है।
  • अक्षांश (लैटिट्यूड) उसका ऊँचाई कोण (एलेवेशन) होता है। स्थान जितना भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर अधिक दूरी पर हो, यह अंक उतना ही अधिक होता है और भौगोलिक ध्रुवों पर बढ़कर अपनी अधिकतम ९०° की संख्या पर पहुँच जाता है।
  • रेखांश (लॉन्गिट्यूड) उसका दिगंश कोण (ऐज़िमुथ) होता है। स्थान जितना मध्याह्न रेखा से पूर्व या पश्चिम की ओर अधिक दूरी पर हो, यह अंक उतना ही अधिक होता है और पृथ्वी के ठीक उल्टी-तरफ़ प्रशांत महासागर में बढ़कर अपनी अधिकतम १८०° की संख्या पर पहुँच जाता है।

ध्यान रहे कि अपने आकार और घूर्णन (रोटेशन) की वजह से भूमध्य रेखा का निर्धारण तो प्रकृति द्वारा तय था, लेकिन दोनों ध्रुवों के बीच चलने वाली मध्याह्न रेखा (प्राइम मेरिडियन) कहीं भी हो सकती थी। यह केवल एक ऐतिहासिक इत्तेफ़ाक है कि उसका चुनाव इंग्लैण्ड से निकलने के लिए किया गया और विश्वभर में स्वीकृत हो गया।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Binocular Vision and Stereopsis, Ian P. Howard, Brian J. Rogers, pp. 236, Oxford University Press, 1995, ISBN 978-0-19-508476-4, ... the azimuth of a point is defined as the dihedral angle between a vertical plane passing through the point ...
  2. Relational Management and Display of Site Environmental Data, David Rich, pp. 246, CRC Press, 2002, ISBN 978-1-56670-591-2, ... The earth is roughly spherical, and the latitude-longitude system is used to describe locations in spherical coordinates. Latitude is measured in degrees (l/360th of the sphere) north or south of the equator. Longitude is measured in degrees east (positive) or west (negative) of the prime meridian, which passes through Greenwich, England ...