"संसदीय विधि": अवतरणों में अंतर
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21:07, 29 अगस्त 2012 का अवतरण
संसदीय विधि (पार्लमेंटरी ला) संसदीय प्रक्रिया के उन समस्त नियमों का समूह है जो विधायन प्रणाली को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए सामान्य रूप से आवश्यक माने जाते हैं। यद्यपि देशकाल के अनुरूप ऐसे नियम कुछ विषयों में अलग अलग हो सकते हैं किंतु संसदीय विधि का मूल स्रोत इंग्लैड की संसद् के वे नियम है जिनके अनुसार विधिनिर्माण, कार्यपालिका पर नियंत्रण तथा आर्थिक विषयों के नियमन हेतु ऐसी प्रक्रियाएँ बनाई जाती है जिनसे इन विषयों पर सदन का मत ज्ञात होता है। अत: सर्वप्रथम संसद् के सत्र को राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल आहूत करता है। सत्र आरंभण के पश्चात् सदन का कार्यसंचालन सदन का अध्यक्ष करता है। अध्यक्ष विभिन्न विषयों पर सदन का मत विभिन्न प्रकार के प्रश्नों, प्रस्तावों तथा उनपर मतगणना के परिणामों से ज्ञात करता है। अत: प्रस्तावों तथा संबंधित प्रश्नों और समुचित रूप से विचार करने के लिए एक कार्यसूची बनाई जाती है जिसके अनुसार प्रस्तावक अथवा प्रश्नकर्ता के लिए समय नियत किया जाता है।
प्रश्नों का मुख्य उद्देश्य कार्यपालिका सरकार पर नियंत्रण रखना होता है। कार्यपालिका के अनुचित कृत्यों अथवा अन्य त्रुटियों पर प्रश्नोत्तर के समय अध्यक्ष अपनी व्यवस्थाएँ देता है। ऐसे समय केवल संसदीय भाषा का प्रयोग अपेक्षित होता है। कोई ऐसा प्रश्न नहीं उठाया जा सकता जो न्यायालय के विचाराधीन हो अथवा किसी कारण से अध्यक्ष उसको आवश्यक नहीं समझता। सामान्य रूप से प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं। प्रथम, अल्पसूचित प्रश्न जिनके सार्वजनिक महत्व के होने के कारण उनका उत्तर अध्यक्ष की व्यवस्थानुसार तुरंत ही संबंधित मंत्री को देना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो अध्यक्ष मंत्री को कुछ और समय देने की व्यवस्था दे सकता है। द्वितीय, तारांकित प्रश्न जिनका उत्तर शासन की ओर से मौखिक दिया जाता है। तृतीय, अतारांकित प्रश्नों का लिखित उत्तर दिया जाता है। उत्तर अपर्याप्त होने की दशा में अध्यक्ष अनुपूरक प्रश्नों की अनुमति भी दे सकता है।
सदन का मत प्रस्ताव तथा उसपर मतगणना से भी ज्ञात किया जाता है। मुख्य रूप से प्रस्ताव दो प्रकार के होते हैं। प्रथम मुख्य प्रस्ताव, द्वितीय गौण प्रस्ताव। गौण प्रस्ताव उचित रूप से सूचित एवं अध्यक्ष की अनुज्ञा से उपस्थित किए गए मुख्य प्रस्ताव पर विवाद के समय रखे जाते हैं, जैसे कार्य स्थगित करने के लिए प्रस्ताव। यह प्रस्ताव मुख्य प्रस्ताव को छोड़कर किसी अन्य महत्वपूर्ण विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। विवादांत प्रस्ताव का उद्देश्य किसी प्रश्न पर अनावश्यक विवाद को समाप्त करना होता है। इस प्रस्ताव के पारित हो जाने पर प्रश्न तुरंत सदन के समक्ष मतगणना के लिए रख दिया जाता है। मुख्य प्रस्ताव के संशोधन अथवा उसपर विचार करने हेतु निर्धारित समय को बढ़ाने हेतु भी गौण प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकते हैं। एक महत्वपूर्ण प्रकार का प्रस्ताव सदन के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अथवा किसी मंत्री या मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव भी होता है। इस प्रस्ताव के उचित रूप से सूचित करने के पश्चात् उसपर विचार किकया जाता है। प्रस्तावों पर नियमानुसार विचार के उपरांत मतगणना की जाती है। मतदान का कोई रूप प्रयुक्त किया जा सकता है, जैसे हाथ उठवाकर, प्रस्ताव के पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों को अलग अलग खड़ा करके, एक एक से बात करके अथवा गुप्त मतदान पेटी में मतदान करवा कर। यदि आवश्यक समझा जाए तो प्रथम तथा द्वितीय वाचन के बाद किंतु तृतीय वाचन के पूर्व विधेयक पर पूर्ण विचार करने के लिए प्रवर अथवा अन्य समितियों को विषय सौंप दिया जा सकता है।
सदन का कार्य सुचारु रूप से चलाने के लिए सदन को संयुक्त रूप से तथा प्रत्येक सदस्य को व्यक्तिगत रूप से परंपरातर्गत कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है। उदाहरणार्थ सदन में भाषण का अप्रतिबंधित अधिकार, सदन की कार्यवाही का विवरण प्रकाशित अथवा न प्रकाशित करने, अजनवियों को हटाने, सदन को अपनी संरचना करने एवं प्रक्रिया स्थापित करने का पूर्ण अधिकार होता है। इसके अतिरिक्त कोई भी सदस्य सत्र आरंभण के चालीस दिन पहले एवं सत्रांत के चालीस दिन पश्चात् तक बंदी नहीं बनाया जा सकता, यदि उसके ऊपर कोई अपराध करने, निवारक नजरबंदी या न्यायालय अथवा सदन के अवमान का आरोप न हो। यदि किसी सदस्य ने अथवा अन्य किसी ने उपर्युक्त विशेषाधिकारों की अवहेलना की है तो यह सदन के अवमान की (कंटेप्ट) का प्रश्न बन जाता है और इसके बदले सदन को स्वयं अथवा विशेषाधिकार समिति के निर्णय पर दोषित व्यक्ति को दंड देने का पूर्ण अधिकार प्राप्त रहता है।
इन्हें भी देखें
- भारतीय संसदीय प्रक्रिया (सारांश माला)
- तब कांग्रेस की “संसदीय प्रक्रिया ” कहाँ थी ?
- Compedium of Procedure for Canada's House of Commons
- National Conference of State Legislatures: Mason's Manual vs. Robert's Rules of Order
- Using Mason's Manual — National Conference of State Legislatures (ncsl.org)
- National Association of Parliamentarians (parliamentarians.org)
- American Institute of Parliamentarians (parliamentaryprocedure.org)
- Robert McConnell Productions (parli.com)
- Canadian Political Science Student Association
- Parliamentary Procedure Online! (parlipro.org)
- Robert's Rules Online! (rulesonline.com)
- SBAY Networked Meeting Procedures by the South Bay Community Network for use in online meetings