"एलिज़ाबेथ प्रथम": अवतरणों में अंतर

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एलिज़ाबेथ प्रथम

एलिज़ाबेथ प्रथम (Elizabeth I, जन्म: ७ सितम्बर १५३३, मृत्यु: २४ मार्च १६०३) इंग्लॅण्ड और आयरलैंड की महारानी थीं, जिनका शासनकाल १७ नोवम्बर १५५८ से उनकी मौत तक चला। यह ब्रिटेन के ट्युडर राजवंश की पाँचवी और आख़री सम्राट थीं। इन्होनें कभी शादी नहीं करी और न ही इनकी कोई संतान हुई इसलिए इन्हें "कन्या रानी" (virgin queen, वरजिन क्वीन) के ख़िताब से भी जाना जाता था। यह ब्रिटेन के सम्राट हेनरी अष्टम की बेटी होने के नाते जन्म पर एक राजकुमारी थीं, लेकिन इनके जन्म के ढाई साल बाद ही इनकी माता, ऐन बोलिन (Anne Boleyn) को मार दिया गया और इन्हें नाजायज़ घोषित कर दिया गया। इंग्लैण्ड की राजसी स्थिति में उतार-चढ़ाव के बाद सन् १५५८ में यह राजसिंहासन पर विराजमान हुई।

इन्होने अपने इर्द-गिर्द बहुत से समझदार व्यक्तियों को मंत्री-परिषद् में रखा जिस से ब्रिटेन सुव्यवस्थित हुआ। इन्होनें "इंग्लिश प्रोटेस्टैंट चर्च" नामक ईसाई शाखा की नीव रखी और स्वयं को उसका अध्यक्ष बना लिया। इस से वे ब्रिटेन की राजनैतिक नेता और धार्मिक नेता दोनों बन गई। इस से रोमन कैथोलिक शाखा का पोप नाराज़ हो गया। वह ब्रिटेन को धार्मिक मामलों में अपने अधीन एक कैथोलिक राष्ट्र मानता था। उसने १५७० में यह आदेश दिया की ब्रिटेन के नागरिकों को एलिज़ाबेथ से वफ़ादारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस से ब्रिटेन के कैथोलिक समुदाय से एलिज़ाबेथ के ख़िलाफ़ बहुत से हमले हुए और कई विद्रोह भड़के, लेकिन एलिज़ाबेथ अपने मंत्रियों की गुप्तचर सेवा की मदद से सत्ता पर बनी रहीं। १५८८ में पोप के आग्रह पर स्पेन (जो एक कैथोलिक राष्ट्र था) ने ब्रिटेन पर एक समुद्री जहाज़ों का बड़ा लेकर आक्रमण करने की कोशिश करी। इस बड़े को "स्पेनी आर्माडा" कहा जाता है। एलिज़ाबेथ की नौसेना ने उसे हरा दिया और यह जीत इंग्लैण्ड की सब से ऐतिहासिक जीतों में से एक मानी जाती है।

एलिज़ाबेथ के काल में ब्रिटिश साहित्य और नाटककार फले-फूले, जिनमें विलियम शेक्सपीयर (William Shakespeare) और क्रिस्टोफ़र मारलो (Christopher Marlowe) के नाम सब से नुमाया हैं। उनके दौर में ब्रिटेन के नौसैनिक दूर-दूर खोज-यात्राओं में निकले। फ़्रांसिस ड्रेक ने उत्तर अमेरिका की यात्रा करी। माना जाता है कि उनके ४४ साल के राज से ब्रिटेन में एक शक्तिशाली राष्ट्रीय भावना फैल गई जिसने आगे चलकर ब्रिटेन को विश्व का सब से शक्तिशाली देश बनने में योगदान दिया।[1]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Krishan Kumar (2003), The making of English national identity, Cambridge University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780521777360

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