"रबीन्द्र गुहा": अवतरणों में अंतर
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'''रबीन्द्र गुहा''' ( २५ आक्तुबर १९३४ ) [[बांग्ला]] साहित्य के '''भुखी पीढी''' तथा '''नीमसाहित्य''' आंदोलन से जुडे प्रख्यात कवि, कहानीकार एवम उपन्यासकार है। वे बां ग्लादेश के बोरिशाल जिले में पैदा हुये एवम पार्टिशन के समय अपने माता-पिता के साथ भारत चले आये। पढाइ तथा नौकरि के सिलसिले वे कोलकाता, दुर्गापुर, भिलाइ तथा दिल्ली में रह चुके है जिसके कारण उनके लिखने के तौर-तरिकों में बंगाल के बाहर रहनेवाले बंगालीयों का बोल-चाल ज्यादा दिखाइ देता है। प्रवासीके द्वारा बोले गये उनके साहित्य भाषा को सुकुमार चौधुरी, अजित राय, सुधांशु सेन, बारीन घोषाल, मृणाल वणिक, कमल चक्रबोर्ती, संजीव नियोगी प्रमुख विद्वानों ने नाम दिया है '''डयासपोरिक'''। आसाम विश्वविद्यालय के उपचार्य ड्क्टर तपोधीर भट्टाचार्या का कहना है की रबीन्द्र गुहा लगातार भाषा के विनिर्माण में नियोजित हैं। रबीन्द्र गुहा उनके लिखे '''द्रोहपुरुष''' उपन्यास के लिये जाने जाते हैं। |
'''रबीन्द्र गुहा''' ( २५ आक्तुबर १९३४ ) [[बांग्ला]] साहित्य के '''भुखी पीढी''' तथा '''नीमसाहित्य''' आंदोलन से जुडे प्रख्यात कवि, कहानीकार एवम उपन्यासकार है। वे बां ग्लादेश के बोरिशाल जिले में पैदा हुये एवम पार्टिशन के समय अपने माता-पिता के साथ भारत चले आये। पढाइ तथा नौकरि के सिलसिले वे कोलकाता, दुर्गापुर, भिलाइ तथा दिल्ली में रह चुके है जिसके कारण उनके लिखने के तौर-तरिकों में बंगाल के बाहर रहनेवाले बंगालीयों का बोल-चाल ज्यादा दिखाइ देता है। प्रवासीके द्वारा बोले गये उनके साहित्य भाषा को सुकुमार चौधुरी, अजित राय, सुधांशु सेन, बारीन घोषाल, मृणाल वणिक, कमल चक्रबोर्ती, संजीव नियोगी प्रमुख विद्वानों ने नाम दिया है '''डयासपोरिक'''। आसाम विश्वविद्यालय के उपचार्य ड्क्टर तपोधीर भट्टाचार्या का कहना है की रबीन्द्र गुहा लगातार भाषा के विनिर्माण में नियोजित हैं। रबीन्द्र गुहा उनके लिखे '''द्रोहपुरुष''' उपन्यास के लिये जाने जाते हैं। |
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[[Image:HGbangla.jpg|thumb|right|200px|भूखी पीढीके बुलेटिन संख्या ९९]] |
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==कृतियां== |
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[[Image:hungry Generation.jpg|thumb|left|200px| भुखी पीढी आंदोलन का मैगजिन कवर]] |
[[Image:hungry Generation.jpg|thumb|left|200px| भुखी पीढी आंदोलन का मैगजिन कवर]] |
06:06, 26 सितंबर 2011 का अवतरण
रबीन्द्र गुहा ( २५ आक्तुबर १९३४ ) बांग्ला साहित्य के भुखी पीढी तथा नीमसाहित्य आंदोलन से जुडे प्रख्यात कवि, कहानीकार एवम उपन्यासकार है। वे बां ग्लादेश के बोरिशाल जिले में पैदा हुये एवम पार्टिशन के समय अपने माता-पिता के साथ भारत चले आये। पढाइ तथा नौकरि के सिलसिले वे कोलकाता, दुर्गापुर, भिलाइ तथा दिल्ली में रह चुके है जिसके कारण उनके लिखने के तौर-तरिकों में बंगाल के बाहर रहनेवाले बंगालीयों का बोल-चाल ज्यादा दिखाइ देता है। प्रवासीके द्वारा बोले गये उनके साहित्य भाषा को सुकुमार चौधुरी, अजित राय, सुधांशु सेन, बारीन घोषाल, मृणाल वणिक, कमल चक्रबोर्ती, संजीव नियोगी प्रमुख विद्वानों ने नाम दिया है डयासपोरिक। आसाम विश्वविद्यालय के उपचार्य ड्क्टर तपोधीर भट्टाचार्या का कहना है की रबीन्द्र गुहा लगातार भाषा के विनिर्माण में नियोजित हैं। रबीन्द्र गुहा उनके लिखे द्रोहपुरुष उपन्यास के लिये जाने जाते हैं।
कृतियां
उपन्यास
- राजपुतानार इतिकथा ( १९६५ )
- प्रेम आतंक सन्त्रास ( १९६६ )
- पदध्वनि प्रतिध्वनि ( १९६६ )
- मेवाडेर पतन ( १९६७ )
- लोहारिया ( १९६९ )
- दहन ( १९६९ )
- द्रोहपुरुष ( १९९८ )
- सुर्येर सात घोडा ( १९९९ )
- नाभिकुण्ड घिरे ( २००० )
- शिकंजेर पाखी खामोश ( २००१ )
- धुनधला ( २००३ )
आत्मजीवनी
- आमि दग्ध एकजन मानुष ( २००४ )
नाटक
नाटके लिप्सा नेइ
कविता
- रबीन्द्र गुहार कविता ( १९८० )
- निर्वाचितो कविता ( १९९४ )
- दरिद्र युवराज ( १९९६ )
- हसान तारिकेर रुपोलि इलिश ( २००३ )
- दिल्ली हाटार्स ( २००३ )
सन्दर्भ
- हवा#४९ रबीन्द्र गुहा संख्या ( २००३ )। समीर रायचौधुरी सम्पादित
- नीमसाहित्य बेत्तान्त ( २००४ )
- शहर रबीन्द्र गुहा संख्या ( २००२ )। अजित राय सम्पादित
- दिगंगनेर कविता ( २००१ )। अमरेश गंगोपाध्याय रचित
- राढेर चोटोगल्पो ( १९९६ )। डक्टर उत्तम दाश रचित
- बोध नीमसाहित्य आंदोलन संख्या ( २००० )। अरुण्कुमार चट्टोपाध्याय सम्पादित
- स्वप्न रबीन्द्र गुहा संख्या ( २००९ )। डक्टर विष्णुचन्द्र दे सम्पादित
इन्हें भी देखें
- सुबिमल बसाक
- समीर रायचौधुरी
- फालगुनि राय
- मलय रायचौधुरी
- शक्ति चट्टोपाध्याय
- विनय मजुमदार
- बासुदेब दाशगुप्ता
- देबी राय
- त्रिदिब मित्रा
- सन्दीपन चट्टोपाध्याय
- भुखी पीढी ( हंगरी जनरेशन )
बाह्यसूत्र
रबीन्द्र गुहा से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |