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फालगुनि राय ( जन्म ७-०६-१९४५ -- मृत्यु ३१-०५-१९८१) ( ফালগুনি রায় ) बांग्ला साहित्यके '''भुखी पीढी (हंगरि जेनरेशन )''' आन्दोलन के सबसे कम उमर के प्रमुख कवि हैं जो मात्र ३६ साल के अवधि में अपने मादक्सेवन एवम बोहेमियन जीवन के कारण तरुण लेखकों में किंबदन्ति बन गये हैं। उनके जीवनकाल में वह केवल एक ही काब्यग्रन्थ '''नष्टो आत्मार टेलिविशन''' प्रकाशित किये। १५ अगस्त १९७३ के दिन वह काव्यग्रन्थ का उन्मोचन खालासिटोला में किया गया था। आलोचकों का कहना है कि वह पुस्तक का प्रकाश का साल बांग्ला सहित्य में अपनेआप एक जलबिभाजक सा है; पुस्तक के प्रकाश से बांग्ला कविता में आधुनिकता के युग समप्त हो गये। अपने जीवनकाल में उन्होने जो सारे कवितायें लिखे वह अप्रकाशित कवितायें उनके म्ररणोपरान्त कोलकाता एवम ढाका से बारबार प्रकाशित हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल एवम बांगलादेश में उनपर बहुत सारे शोध हो चुके हैं।
फालगुनि राय ( जन्म ७-०६-१९४५ -- मृत्यु ३१-०५-१९८१) ( ফালগুনি রায় ) बांग्ला साहित्यके '''भुखी पीढी (हंगरि जेनरेशन )''' आन्दोलन के सबसे कम उमर के प्रमुख कवि हैं जो मात्र ३६ साल के अवधि में अपने मादक्सेवन एवम बोहेमियन जीवन के कारण तरुण लेखकों में किंबदन्ति बन गये हैं। उनके जीवनकाल में वह केवल एक ही काब्यग्रन्थ '''नष्टो आत्मार टेलिविशन''' प्रकाशित किये। १५ अगस्त १९७३ के दिन वह काव्यग्रन्थ का उन्मोचन खालासिटोला में किया गया था। आलोचकों का कहना है कि वह पुस्तक का प्रकाश का साल बांग्ला सहित्य में अपनेआप एक जलबिभाजक सा है; पुस्तक के प्रकाश से बांग्ला कविता में आधुनिकता के युग समप्त हो गये। अपने जीवनकाल में उन्होने जो सारे कवितायें लिखे वह अप्रकाशित कवितायें उनके म्ररणोपरान्त कोलकाता एवम ढाका से बारबार प्रकाशित हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल एवम बांगलादेश में उनपर बहुत सारे शोध हो चुके हैं।
==भुखी पीढी सृजनकर्मों का कापिराइट==
भुखी पीढी आंदोलनकारी उपनिवेशवादी अवधारणा नहीं स्वीकारते। युरोप-अमरिका से आये कापिराइट अवधारणा उनलोगों के क्षेत्रमें लागु नहीं होता है।
==कृतियां==
==कृतियां==
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05:55, 20 अगस्त 2011 का अवतरण

चित्र:Falguni Ray ( A poet belonging to Hungry generation movement in Bengali literature.jpg
फालगुनि राय

फालगुनि राय ( जन्म ७-०६-१९४५ -- मृत्यु ३१-०५-१९८१) ( ফালগুনি রায় ) बांग्ला साहित्यके भुखी पीढी (हंगरि जेनरेशन ) आन्दोलन के सबसे कम उमर के प्रमुख कवि हैं जो मात्र ३६ साल के अवधि में अपने मादक्सेवन एवम बोहेमियन जीवन के कारण तरुण लेखकों में किंबदन्ति बन गये हैं। उनके जीवनकाल में वह केवल एक ही काब्यग्रन्थ नष्टो आत्मार टेलिविशन प्रकाशित किये। १५ अगस्त १९७३ के दिन वह काव्यग्रन्थ का उन्मोचन खालासिटोला में किया गया था। आलोचकों का कहना है कि वह पुस्तक का प्रकाश का साल बांग्ला सहित्य में अपनेआप एक जलबिभाजक सा है; पुस्तक के प्रकाश से बांग्ला कविता में आधुनिकता के युग समप्त हो गये। अपने जीवनकाल में उन्होने जो सारे कवितायें लिखे वह अप्रकाशित कवितायें उनके म्ररणोपरान्त कोलकाता एवम ढाका से बारबार प्रकाशित हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल एवम बांगलादेश में उनपर बहुत सारे शोध हो चुके हैं।

भुखी पीढी सृजनकर्मों का कापिराइट

भुखी पीढी आंदोलनकारी उपनिवेशवादी अवधारणा नहीं स्वीकारते। युरोप-अमरिका से आये कापिराइट अवधारणा उनलोगों के क्षेत्रमें लागु नहीं होता है।

कृतियां

चित्र:Hungry Generation.jpg
भुखी पीढी आंदोलनके मैगजिन कवर
  • नष्टो आत्मार टेलिविशन ( १९७३ )
  • फालगुनि राय समग्र ( २००० )
  • फालगुनि रायेर सम्पूर्ण कविता ( २००५ )
चित्र:Hungry Generation Poets.jpg
भुखी पीढी आंदोलन के मैगजिन कवर

सन्दर्भ

  • फालगुनि राय ओ तांर कविता । समीर रायचौधुरी सम्पादित। चालिस विश्लेषकों द्वारा आलोचना। प्रकाशक हवा ४९, बांसद्रोणि, कोलकाता ७०० ०७० । ( २००२ )

इन्हे भी देखें

चित्र:Poetry Sessions.jpg
भुखी पीढी के कवियों का डालटनगंजमे कवि गोष्ठी

बाह्यसूत्र