सामग्री पर जाएँ

वाचिक परंपरा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

यह एक ऐसी परम्परा है जिसमे वेदो को पत्रो पर लिख्ने कि बजाय याद करके सदियो तक सुरक्षित रखा जात था। गुरु अपने शिष्य को मोखिक रूप से सम्पूर्ण वेदिक साहित्य का अधय्यन करवाता था और शिष्य उसे याद कर लेता था

टिप्पणी

[संपादित करें]
  • इसका उल्लेख विद्यानिवास मिश्र द्वारा रचित अनछुए बिंदु  (ISBN-10 8170165644 और ISBN-13 9788170165644) नामक पुस्तक में भी मिलते हैं।