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मनोदशा स्थिरता

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मनोदशा स्थिरता मनोरोग चिकित्सा का एक रूप है जिसका उपयोग मनोदशा विकार का उपचार करने के लिए किया जाता है, जिसे तीव्र और निरंतर मनोदशा परिवर्तन, विशेष कर द्विध्रुवी विकार के रूप में चरितार्थ किया जाता है।

मनोदशा स्थिरिकारी दावा का प्रयोग मनोदशा द्विध्रुवी विकार[1] के इलाज, अवसाद और उन्माद को दबाने के लिए किया है। मनोदशा स्थिर दवाएं बॉर्डर लाइन व्यक्तित्व के[2] विकार और सिज़ोअफेक्टिव के विकार में भी इस्तेमाल होती है।

"मनोदशा स्थिरता" एक प्रभाव का वर्णन है, एक तंत्र नहीं है। इन एजेंटों का वर्गीकृत अधिक सटीक शब्दावली से किया जाता है।

मनोदशा स्थिरता दवाएं सामान्य रूप में वर्गीकृत किये जाती हैं :

एंटीकंवल्जेंट

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कई "मनोदशा स्थिरता" एजेंट एंटीकंवल्जेंट के रूप में भी वर्गीकृत हैं। कभी कभी यह शब्द "एंटीकंवल्जेंट मनोदशा स्थिरिकारी" का वर्णन एक[3] वर्ग के रूप में किया जाता है। हालांकि इस समूह को तंत्र के बजाय प्रभाव के रूप में परिभाषित किया गया है, मनोदशा के विकारों के उपचार में एंटीकंवल्जेंट के तंत्र की कम से कम प्रारंभिक समझ है।

  • वेल्प्रुएक ऐसिड (डेपाकिन), डाइवैलप्रोएक्स सोडियम (डेपकोट) और सोडियम वैल्प्रोएट (देपकोन, एपिलिम) - विस्तारित रूप में उपलब्ध हैं। इस दवा को खासकर जब वल्प्रोइक एसिड के रूप में लिया जाता है तब यह पेट के लिए बहुत संवेदनशील हो सकता है। जिगर समारोह और सीबीसी की निगरानी की जानी चाहिए।
  • लामोत्रिजिन (लामिक्टल) - विशेष रूप से अवसाद द्विध्रुवी के लिए प्रभावी है। मरीज की निगरानी स्‍टीवन्‍स - जॉनसन सिंड्रोम के संकेत और लक्षणों से करनी चाहिए जो कि एक संभावित दुर्लभ लेकिन घातक त्वचा अनुकूलित है।
  • कार्बमेज़पाइन (तेग्रेतोल) - यह सफेद रक्त कोशिका की गिनती कम कर सकते हैं इसलिए सीबीसी की निगरानी की जानी चाहिए। चिकित्सीय औषधि की निगरानी की आवश्यकता है। कार्बमेज़पाइन २००५ में द्विध्रुवी विकार के उपचार के लिए अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन द्वारा अनुमोदित किया गया था लेकिन व्यापक रूप से पहले भी इसे इस्तेमाल किया जाता था।
  • ओक्स्कार्बज़ेपिंन (त्रिलेप्तल) - ओक्स्कार्बज़ेपिंन द्विध्रुवी विकार के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित नहीं है। फिर भी, यह द्विध्रुवी विकार से पीड़ित आधे रोगियों के लिए प्रभावी है और अच्छी तरह से[4] सहन किया जा सकता है।

गाबापेंटिन (न्यूरॉनटिन) द्विध्रुवी विकार के उपचार के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित नहीं है। बेतरतीब नियंत्रित परीक्षण गबपेंतीं को एक प्रभावी उपचार नहीं बताते है, लेकिन इसके सकारात्मक लेकिन निम्न गुणवत्ता साहित्य[5] समीक्षा की वजह से कई मनोचिकित्सक इसे निर्धारित करते हैं। तोपिरामैत (तोपमक्स) भी द्विध्रुवी विकार के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित नहीं है और एक २००६ कोक्रैन समीक्षा द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है कि द्विध्रुवी[6] बीमारी के किसी भी चरण में तोपिरामैत के उपयोग की सिफारिश अपर्याप्त सबूत पर आधारित है।

  • लिथियम - लिथियम एक "क्लासिक" मूड स्थिर करने का इलाज है, यह अमेरिका एफडीए द्वारा अनुमोदित करने की पहली औषधी है और अभी भी उपचार के लिए लोकप्रिय है। लिथियम स्तर (चिकित्सकीय रेंज : ०.६ मिल्लिमोलर या ०.८-१.२ एमईक्यू/ एल) सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सीय औषध की आवश्यकता है।[7] गतिभंग, मिचली, उल्टी और दस्त विषाक्तता के लक्षण और संकेत हैं।
  • कुछ अनियमित मनोविकार नाशक भी मनोदशा स्थिर का[8] प्रभाव कर सकते है और इसलिए अगर मानसिकलक्षण[8] अनुपस्थित हों तब भी यह निर्धारित किये जाते हैं।
  • ओमेगा-3 वसा अम्ल से भी मनोदशा स्थिरता का[9] प्रभाव हो सकता है। प्लेसबो की तुलना में, ओमेगा-३ वसा अम्ल अवसादग्रस्तता (उन्मत्त नहीं) द्विध्रुवी विकार के लक्षण को कम करने में बेहतर मनोदशा स्थिरिकारी औषधि ज्ञात होती है, अतिरिक्त परीक्षण के द्वारा[10] अकेले ओमेगा-३ वसा अम्ल का प्रभाव स्थापित करना है।

कभी कभी मनोदशा स्थिर करने की दावा जैसे कि लिथियम के संयोजन में एक प्रतिआक्षेपकका उपयोग किया जा सकता है।

अवसादरोधी औषधियों से संबंध

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सबसे मनोदशा स्थिरिकारी एजेंट विशुद्ध एंटीमैनिक हैं, जो कि उन्माद के उपचार और मूड बदलने में प्रभावी है, लेकिन अवसाद के उपचार में प्रभावी नहीं हैं। उस नियम का प्रिंसिपल अपवाद लामोत्रीजिन और लिथियम कार्बोनेट हैं क्योंकि वे उन्मत्त और अवसादग्रस्तता के लक्षणों दोनों के उपचार हैं। जबकि एंटीमैनिक एजेंट जैसे कि वल्प्रोइक एसिड या कार्बमाज़ेपिंन अवसाद का उपचार नहीं कर सकते लेकिन पूर्व दो कर सकते हैं, द्विध्रुवी मरीजों को उन्माद से दूर रखने से और उनके मनोदशा के परिवर्तन को रोकने से उनहें अवसाद से दूर रखने में मदद मिल हैं।

फिर भी अवसादग्रस्तता के दौरान अक्सर अवसादग्रस्तता मनोदशा स्थिरता प्राप्त करने की दावा के अलावा एक अवसादरोधी निर्धारित किया जाता है। प्रतियाशेपक जब खासकर अकेले लिया जाये या कभी कभी जब मनोदशा स्थिरता प्राप्त करने की दावा के साथ लिया जाता है तब यह कुछ जोखिम जैसे कि उन्माद, मानसिक और द्विध्रुवी रोगियों में अन्य समस्याएं लाता है। अवसाद चरण द्विध्रुवी विकार के उपचार में अवसादरोधी उपयोगिता स्पष्ट नहीं है।

क्रिया-विधि

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सबसे मनोदशा स्थिरिकारी दवा प्रतिआक्षेपक है, जिसके महत्वपूर्ण अपवाद में सबसे अच्छा और सबसे पुराना लिथियम है।

कई मनोदशा स्थिरिकारको जैसे लिथियम, वैल्प्रोएट और कार्बमेज़पाइन का एक संभावित अनुप्रवहिक लक्ष्य अरकिडोनिक एसिड कास्केड[11] है।

इन्हें भी देखें

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  • एटीसी कोड नंबर ३
  • द्विध्रुवीय विकार का उपचार

सन्दर्भ

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  1. "Texas State - Student Health Center". मूल से 28 अगस्त 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2010.
  2. "NIMH and Borderline Personality Disorder". मूल से 27 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2010.
  3. Ichikawa J, Dai J, Meltzer HY (2005). "Lithium differs from anticonvulsant mood stabilizers in prefrontal cortical and accumbal dopamine release: role of 5-HT(1A) receptor agonism". Brain Res. 1049 (2): 182–90. PMID 15936730. डीओआइ:10.1016/j.brainres.2005.05.005. मूल से 11 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2010. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  4. Ghaemi SN, Berv DA, Klugman J, Rosenquist KJ, Hsu DJ (2003). "Oxcarbazepine treatment of bipolar disorder". J Clin Psychiatry. 64 (8): 943–5. PMID 12927010. डीओआइ:10.4088/JCP.v64n0813. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  5. PMID 19410108 (PubMed)
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  6. वासुदेव क, मक्रित्चिए क, गेद्देस जे, एस वाटसन, यंग ऐएच. तोपिरामैत द्विध्रुवी विकार में तीव्र उत्तेजित एपिसोड के लिए हैं। कॉकरेन डेटाबेस ऑफ़ सिस्टेमैटिक रिवियुज़ २००७, अंक १. कला. नंबर: सीडी००३३८४. ड़ीओआई: १०.१००२/१४६५१८५८.सीड़ी००३३८४.पुब्लिशेर२.
  7. PMID 18789369 (PubMed)
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  8. Bowden CL (2005). "Atypical antipsychotic augmentation of mood stabilizer therapy in bipolar disorder". J Clin Psychiatry. 66 Suppl 3: 12–9. PMID 15762830. मूल से 4 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2010.
  9. Mirnikjoo B, Brown SE, Kim HF, Marangell LB, Sweatt JD, Weeber EJ (2001). "Protein kinase inhibition by omega-3 fatty acids". J. Biol. Chem. 276 (14): 10888–96. PMID 11152679. डीओआइ:10.1074/jbc.M008150200. मूल से 9 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2010. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  10. PMID 16225556 (PubMed)
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  11. Rao JS, Lee HJ, Rapoport SI, Bazinet RP (2008). "Mode of action of mood stabilizers: is the arachidonic acid cascade a common target?". Mol. Psychiatry. 13 (6): 585–96. PMID 18347600. डीओआइ:10.1038/mp.2008.31. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |unused_data= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)