परासर भट्टर
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श्री परासर भट्टर, रामानुज के अनुयायी थे, १२वीं शताब्दी के वैष्णव शिक्षक थे और उनका जन्म १२वीं शताब्दी के अंत में हुआ था। उन्होनें विष्णु सहस्रनाम पर तमिल भाषा में श्रीवैष्णवी दृष्टिकोण से एक व्याख्यान लिखा, जो आदि शंकर के अद्वैत दृष्टिकोण से भिन्न था। उन्हें स्वयं रामानुज द्वारा अपने उत्तराधिकारी के रूप में श्रीवैष्णवों का प्रधान नियुक्त किया गया।[1]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "श्री परासर भट्टर". वैंकटेश के इलयवल्ली. मूल से 20 अगस्त 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ०४-०४-२००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- "स्वामी परासर भट्टर का श्री गुण रत्न कोषम्।" (PDF). sundarasimham.org. मूल (PDF) से 7 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ०४-०४-२००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - "अष्ठश्लोक, द्वारा श्री भट्टर (अंग्रेज़ी विवरण के साथ)". यातिरजदास. मूल से 24 जुलाई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ०४-०४-२००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - "तिरुनेदुमथनदांकम और परासर भट्टर". श्री वैष्णव मुखपृष्ठ. मूल से 28 जुलाई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ०४-०४-२००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)