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दिव्य

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दिव्य

वीनस), इसहाक ओलिवर द्वारा, सी।

दिव्य का अर्थ भगवान से जुडा है। सामान्य रूप से उपयुक्त होने यह शब्द "चमक" का बोध कराता है।

उसे एक वरदान के रूप में दिव्य शक्ति प्राप्त हुई है।

मूल: दिव्य और अनंत

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महाकाव्यों में दिव्य शब्द का प्रयोग उसके लिए हुआ है जिसका मसतिष्क अति शक्तीशाली हो। यह शक्ती बहुत ही कम लोगो के पास होती है और जिनके भी पास होती है वह इसका उपयोग ईश्वर कि अनुमति के बिना नहीं कर सकते।

ईश्वर भी इस शक्ती का उपयोग कम ही करते हैं।

यह शक्ती जिस मनुष्य के पास होती है वह किसी और को इसके बारे में नहीं बता सकता। वह व्यक्ति अनंत को जानने की क्षमता रखता है। ईश्वर के समान होते हुए भी वह स्वयं को दुसरो के भांति सामान्य मानता है। वह एक मनुष्य रूपी भगवान है।

संस्कृत : देव

अन्य अर्थ

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यह शब्द सामान्य रूप से उपयुक्त होने पर एक ऐसी चमक का बोध कराता है जो सभी को आकर्षित करती हो।


संबंधित शब्द

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भव्य

हिंदी में

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दिव्य संस्कृत विशेषण[1] 1. अलौकिक ; लोकातीत 2. चमकीला ; दीप्तियुक्त 3. अतिसुंदर ; भव्य 4. स्वर्ग या आकाश संबंधी।


सन्दर्भ

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  1. Read more: https://www.bsarkari.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF-meaning-eng-9564#ixzz6Xsygiwia[मृत कड़ियाँ]