चित्रा इन्डिका
छोटे सिर एंव कोमल कवच वाला कछुआ | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जन्तुia |
संघ: | कार्डेट |
वर्ग: | सारोप्सिडाa |
गण: | टेस्टुडिन्स |
उपगण: | क्रिप्टोडिरा |
कुल: | ट्रायोनायचिडी |
वंश: | Chitra |
जाति: | सी. इन्डिका |
द्विपद नाम | |
चित्रा इन्डिका (Gray, 1831) |
चित्रा इंडिका छोटे सिर वाला व कोमल कवच वाला होता है, जोकि सामन्यत: भारत और पाकिस्तान की नदियों में पाया जाता है।
भौगोलिक वितरण
[संपादित करें]भारतीय उपमहाद्वीप की नदियां शारदा, घाघरा, गोदावरी, महानदी, इन्डस, सतलज आदि
शारीरिक सरंचना
[संपादित करें]शरीर का रंग कहिया व हरे रंग का होता है। उत्तर भारत में स्थानीय बोली में इसे सीम और स्योतर कहा जाता है। ये शारदा, घाघरा, गंगा, गोदावरी, सिंध, कावेरी, कृष्णा तथा महानदी आदि नदियों में पायी जाती हैं। तराई की नदियों में इनकी सख्या अत्यधिक है। इनके कहिया हरे रंग के खोल (कवच) पर टेड़ी-मेड़ी आकृतियां बनी होती है, इन आकृतियों का रंग व रूप नदियों में पायी जाने वाली वनस्पतियों से मिलता है, इस तरह का शारीरिक सरंचना का विकास व अनुकूलन सुरक्षा भी प्रदान करता हैं। चित्रा इण्डिका की आँखे बहुत सूक्ष्म पर दृष्टि के मामले में अत्यधिक तेज होती है, जल में काफ़ी दूर पर हुई हलचल को भांप लेने की क्षमता इनकी आंखों में होती है, साथ ही इनके सूंघने की क्षमता भी अधिक विकसित होती हैं।
भोजन
[संपादित करें]ये जीव रात्रिचर होते हैं, रात्रि में ये आहार के लिए मछलियों का शिकार करते हैं। चित्रा इन्डिका झतके के साथ मछलियों पर अपने सिर से चोट करता है, इसी व्यवहार के कारण इसे फ़ाइटर भी कहा गया हैं। ये कछुए नदियों में मृत जीवों को अपना आहार नहीं बनाते। इसे श्वास लेने के लिए जल से बार बार बाहर आना पड़ता है, किन्तु यह पूरे दिन नदी की तलहती में विश्राम करता है और रात होते ही शिकार के लिए सक्रिय हो जाता हैं।
प्रजनन
[संपादित करें]वर्षाकाल में चित्रा इण्डिका का प्रजनन शुरू होता है, भोजन व सुरक्षा के अनुसार यह समय इस प्रजाति के लिए बेहतर होता है, मादा आकार में नर से बड़ी होती है, ये जीव नदियों के किनारे से थोड़ी दूर पर जंगल-झाड़ियों में जमीन खोदकर गढ्ढा बनाते हैं, जिनमें अपने अण्डों को सुरक्षित रखते हैं। अण्डों को जहां रखा जाता है, वहां के तापमान पर ये जीव पूर्वानुमान लगा लेते हैं। ताकि अण्डों के परिपक्क्वन के लिए उपयुक्त तापमान मिलता रहें। मिट्टी के इस घोसले में अण्डे देने के उपरान्त मादा कछुआ चली जाती है, अण्डों से नवजातों के निकलने पर वो नदियों की तरफ़ भागते हैं और जल में पहुंचने पर यह जीव अपने जीवन चक्र की नयी शुरूवात करता हैं।
प्रजनन काल
[संपादित करें]जुलाई से नवम्बर
अण्डे
[संपादित करें]७० से २५०
संकट
[संपादित करें]इस प्रजाति को भारतीय वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम के तहत श्रेणी १ में रखा गया हैं। मानव-जनित खतरों के दुष्प्रभावों के फ़लस्वरूप चित्रा इण्डिका प्रजाति को प्राकृतिक खतरों का अधिक सामना करना पड़ रहा हैं, जिस कारण यह प्रजाति अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आई०यू०सी०एन० द्वारा संकटग्रस्त प्रजाति घोषित की गयी हैं।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- Asian Turtle Trade Working Group (2000). Chitra indica. २००६ विलुप्तप्राय प्रजातियों की IUCN सूची. IUCN २००६. अभिगमन तिथि: 09 मई 2006. Database entry includes a brief justification of why this species is endangered and the criteria used