उत्तरवैदिक काल

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उत्तरवैदिक काल में वैदिक सभ्यता का विस्तार बिहार तक हुआ था। कुरु ,पांचाल और काशी उत्तरवैदिक काल के मुख्य जनपद थे। ऋग्वैदिक काल में आर्यों का निवास स्थान सिंधु तथा सरस्वती नदियों के बीच में था। बाद में वे सम्पूर्ण उत्तर भारत में फ़ैल चुके थे। सभ्यता का मुख्य क्षेत्र गंगा और उसकी सहायक नदियों का मैदान हो गया था। गंगा को आज भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस काल में विश् का विस्तार होता गया और कई जन विलुप्त हो गए। भरत, त्रित्सु और तुर्वस जैसे जन् राजनीतिक हलकों से ग़ायब हो गए जबकि पुरू पहले से अधिक शक्तिशाली हो गए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ नए राज्यों का विकास हो गया था, जैसे - काशी, कोसल, विदेह (मिथिला), मगध और अंग।

ऋग्वैदिक काल में सरस्वती नदी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ग॓गा का एक बार और यमुना नदी का उल्लेख तीन बार हुआ है। इस काल में कौसाम्बी नगर मे॓ पहली बार पक्की ईटो का प्रयोग किया गया। इस काल में वर्ण व्यवसाय के बजाय जन्म के आधार पे निर्धारित होने लगे।


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सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 जुलाई 2015.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 जुलाई 2015.