सदस्य:Tanveer.s.khan

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Tanveer.s.khan
नाम तनवीर खान
जन्मनाम तनवीर खान
लिंग पुरुश
जन्म तिथि ३ जुलाई 199८
जन्म स्थान लाँडनू
निवास स्थान बैंगलूरू
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
जातियता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा विधार्थी
नियोक्ता छात्र
शिक्षा बैचलर ऑफ कॉमर्स
महाविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
उच्च माध्यामिक विद्यालय एल के एस ई सी
शौक, पसंद, और आस्था
शौक संगीत
धर्म मुसलमान
चलचित्र तथा प्रस्तुति मनोरंजन के लिएँ
पुस्तक सभी तरह के
सम्पर्क विवरण
ईमेल साँचा:Tanveer95khan@gmail.com


मेरा नाम तनवीर खान है। मैं राजस्थान के नागौर जिले में एक छोटे से शहर लाडनूं से हूँ। हम में से अधिकांश को इस जगह के बारे मैं नहीं पता होगा, लेकिन हम विकिपीडिया पर लाडनूं खोजे तो हमे पता चलेगा की इसका खुद का ही एक अलग अद्भुत इतिहास रहा है। लाडनूं मै एक 1000 वर्ष पुराना जैन मंदिर भी है इस तरह लाडनूं जैन समुदाय के लिए एक बडा धार्मिक स्थान है। भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग मंदिर में पूजा करने के लिए इस जगह का दौरा करते है। लाडनूं को चंदेरी नगरी के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जनसंख्या मै अधिकांश जाट, मुस्लिम और राजपूत समुदाय के लोगौ का समावेश है। अपने बारे में बाताते हुए, मैंरे घर मे मै अपने माता-पिता, एक बड़ी बहन, एक छोटा भाई के साथ रहता हूँ और मेरे पिताजी के बडे भाई भी हमारे नजदिक हि घर मै रहते है। इस तरह हमरा परिवार एक संयुक्त परिवार से कम नही है। संयुक्त परिवार मै होने कि वजह से मुझे बचपन से ही सभी से बडा प्यार मिला। ५ अक्टूबर, १९९५ को मेरा मेरा जन्म इस खूबसूरत शहर में हुआ था। मेरे पिता का नाम श्रीमान लियाकत अली खान है और मेरी माँ का नाम श्रीमती नीलू बानो है। मेरे पिताजी ने हमारे परिवार के लिए कड़ी मेहनत की और भी बहुत कुछ किया है। जीवन मै नाजाने कितनी मुश्किलो को झेला और इसिलिये मैं उन पर वास्तव में गर्व कर रहा हूँ, वह मुझे हमेशा कहते हैं कि बेटा अगर जिवन मे कुछ पाना है तो कुछ खोना भी पडेगा,अधिकतर समय घर से दूर रहने के कारन जब कभी भी मुझे घर की याद आती तो वह हमेशा मुझे प्रेरित करते हुए कहते कि बेटा रोते नही तु तो शेर दिल बच्चा है और शेर रोते नही। अब मेरे पिताजी का जैसलमेर मैं अच्छा कारोबार हैं और नागौर जिले के एक स्थानीय राजनीतिज्ञ है। जब मैं ५ साल का था तब मुझे बोर्डिंग स्कूल में भेजा दिया गया था। मैं भारत की एक बहुत ही प्रसिद्ध स्कूल है, जो लाला कमलापत सिंघानिया एजुकेशन सेंटर, से मेरी स्कूली शिक्षा कि हैं। मैंने इस स्कूल में 14 साल बिताने के बाद जिन्दगी के हर पहलुओं के बारे में जाना और अपने आप को एक बहुत ही विकसित छात्र बनाया हैं। मैं हमेशा की तरह क्लास मॉनिटर के रूप में नियुक्त किया है और अंत में स्कूल का कपतान बनादिया गया क्यो कि मैं हमेशा खेल और नेतृत्व में अच्छा था। मैंने फुटबॉल की विभिन्न प्रतियोगिताओं मे जिला वह राज्य स्तरों मे भाग लिया है, मुझे किताबे पढ़ाना और अलग -अलग जगह घुमना पंसद है। मैंरे होस्टल मे होने के कारन अनेक दोस्त के है। जीवन बडा आसान था माध्यमिक शिक्षा के समय तक लेकिन अब बहारी दुनिया का ज्ञान भी जरुरि हैं जोकि इतनि आसान नहीं हैं। अब मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु से बीबीए कर रहा हूँ। देश के दक्षिणी भाग मे आना और यहां रहना इतना आसान नही था। पर पिताजी की वही बात कुछ पाने के लिये कुछ खोना हमेशा हिम्मत देति रहती हैं। उच्च शिक्षा के लिये दक्षिणी आना तो अपने विकल्पों में कभी नहीं था, लेकिन वो कहते है ना किसमत का क्या भरोसा कहा ले जाये। बंगलौर अपने सुंदर मौसम के साथ एक बहुत अच्छा शहर है। मेरे कॉलेज करने के बाद मैंरा एमबीए करने का विचार हैं। मैं चाहता हूँ कि भविष्य मे मेरा खुद का एक व्यवसाय हो और मै समाज के लिए कुछ करना चाहता हूँ अपनी तरफ से योगदान करना चाहते हूँ, लोगों की मदद करना चाहता हूँ। आने वाले समय मैं एक अद्भुत जीवन मेरा इंतजार कर रहा है विश्वास करता हूँ कि सब बढिया हो।