होरेशियो नेलसन
होरेशियो नेलसन (अंग्रेज़ी: Horatio Nelson, जन्म: २९ सितम्बर १७५८, देहांत: २१ अक्टूबर १८०५) (अन्य उच्चारण: होराशियो नेल्सन या होरेटियो नेल्सन) ब्रिटेन की नौसेना के एक प्रसिद्ध सिपहसालार (ऐडमिरल) थे जिन्होनें फ्रांस के सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट के ख़िलाफ़ हुए युद्धों में जीत पाने के लिए बहुत ख्याति प्राप्त करी। उन्हें एक प्रेरणात्मक फ़ौजी नेता के रूप में जाना जाता था और उनकी युद्ध-परिस्थितियों को जल्दी से भांपकर शत्रु को चौंकाने वाली चाल चलने के कौशल के लिए याद किया जाता है। वे बहुत दफ़ा लड़ियों में घायल हुए, जिसमें उन्हें एक बाज़ू और एक आँख भी खोनी पड़ी।[1]
नेलसन की बहुत-सी जीतों में से सन् १८०५ के ट्रफ़ैलगर के युद्ध में भारी जीत के लिए श्रेय मिलता है। इसमें उन्होने ब्रिटिश नौसेना के २७ जहाज़ों वाले दस्ते से फ़्रांसिसी-स्पेनी मिश्रित नौसेना के ३३ जहाज़ों वाले बेड़े से मुक़ाबला किया, जिसमें ब्रिटेन का एक भी जहाज़ नहीं डूबा जबकि दुश्मन के २२ जहाज़ ध्वस्त किये गए। इसी मुठभेड़ में उन्हें गहरी चोट लगी जिस से उनका देहांत हो गया। इस विजय की स्मृति में लन्दन के ट्रफ़ैलगर चौक (Trafalgar Square) में नेलसन काॅलम (Nelson's Column) नाम का एक स्तम्भ खड़ा किया गया साथ ही एडिनबर्ग के काॅल्टन पहाड़ी पर नेल्सन माॅन्युमेन्ट(Nelson Monument) नामक एक स्मारक भी खड़ा किया है।
कर्तव्य पर कथन
[संपादित करें]देश की प्रति अपना फ़र्ज़ पूरा करने के महत्व पर नेलसन के दो कथन मशहूर हैं:
- इंग्लॅण्ड उम्मीद कर्ती है की हर आदमी अपने कर्तव्य का पालन करेगा (England expects that every man will do his duty, इंग्लॅण्ड ऍक्स्पॅक्ट्स दैट ऍव्री मैन विल डू हिज़ ड्यूटी) - ट्रफ़ैलगर की समुद्री जंग के दौरान उन्होंने यह सन्देश झंडों के प्रयोग के ज़रिये अपने दस्ते की हर नौका तक पहुँचाया ताकि हर ब्रिटिश नौसेनिक उस युद्ध में देश के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाने के लिए मरने-मारने को तैयार रहेा। ट्रफ़ैलगर की जीत के बाद से ब्रिटेन में इस वाक्य को नारे की तरह साहस और देशभक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- भगवान का शुक्र है मैंने अपना फ़र्ज़ निभा लिया (Thank God I have done my duty, थ़ैंक गॉड आए हैव डन माए ड्यूटी) - जब ट्रफ़ैलगर के युद्ध में वे बुरी तरह घायल होकर मरने की अवस्था में आ गए तो उन्होंने यह शब्द बोले जो ब्रिटेन की राष्ट्रीय मानसिकता में देशभक्ति का प्रतीक बनकर बैठ गए।
प्रारंभिक वर्षों
[संपादित करें]होरैटो नेल्सन गाँव के रेक्टर, एडमंड नेल्सन और उनकी पत्नी कैथरीन के 11 बच्चों में से छठे थे। नेल्सन सज्जन, विद्वान और गरीब थे। परिवार का सबसे महत्वपूर्ण संबंध जिसमें से नेल्सन को तरजीह दी जा सकती थी, वह यह था कि दूर के संबंध में, सर रॉबर्ट वालपोल के वंशज लॉर्ड वालपोल, जो पहले शताब्दी में प्रधानमंत्री रह चुके थे। नेल्सन के जीवन के लिए निर्णायक, हालांकि, उनकी मां का भाई, कैप्टन मौरिस सक्कलिंग था, जो ब्रिटिश नौसेना का नियंत्रक बन गया था। जब होरेशियो की माँ की मृत्यु हो गई, तो कप्तान सकलिंग ने लड़के को समुद्र में ले जाने के लिए सहमति व्यक्त की।
नौसेना में नेल्सन के पहले साल दिनचर्या के अनुभव और उच्च रोमांच का मिश्रण थे। पूर्व में विशेष रूप से टेम्स मुहाना में प्राप्त किया गया था, बाद में व्यापारी जहाज द्वारा वेस्ट इंडीज की यात्रा के लिए और 1773 में आर्कटिक के लिए एक खतरनाक और असफल वैज्ञानिक अभियान। नेल्सन ने हिंद महासागर में अपनी पहली कार्रवाई की थी। इसके तुरंत बाद, बुखार से मारा गया - शायद मलेरिया - उसे घर पर आक्रमण किया गया था, और परिणामी अवसाद से उबरने के दौरान, नेल्सन ने आशावाद के एक नाटकीय उछाल का अनुभव किया। उस क्षण से, नेल्सन की महत्वाकांक्षा, जो उनके पिता द्वारा पैदा की गई ईसाई करुणा से प्रेरित देशभक्ति से प्रेरित थी, ने उनसे आग्रह किया कि वे कम से कम अपने प्रख्यात रिश्तेदारों के बराबर साबित हों।[उद्धरण चाहिए]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Tom Pocock. "Horatio Nelson". Random House UK, 1994. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780712661232. मूल से 2 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 दिसंबर 2011.