हुआन डोमिन्गो पेरान
हुआन डोमिन्गो पेरान (Juan Domingo Perón; 8 अक्टूबर 1895 – 1 जुलाई 1974) अर्जेण्टीना के सैन्य अधिकारी और राजनेता थे। वो सन् 1946 से 1955 तक अर्जेण्टीना के 29वें राष्ट्रपति रहे। सन् 1955 में तख्तापलट के बाद उन्हें राष्ट्रपति के पद से हटना पड़ा। इसके बाद सन् 1973 से 1974 में उनके निधन तक वो पुनः 40वें राष्ट्रपति बने।[1] वो अर्जेण्टीना के एकमात्र राष्ट्रपति हैं जो तीन बार इस पद के लिए चुने गये। सार्वभौमिक मताधिकार के साथ साफ़ चुनाव में वो प्रतिशत में अधिकतम मत प्राप्त करने वाले राष्ट्रपति भी हैं।[2] पेरान 20वीं सदी में अर्जेण्टीना के सबसे महत्त्वपूर्ण और विवादास्पद राजनेता रहे और उनका प्रभाव अब तक दिखाई देता है।[3] पेरान के विचार, नीतियाँ और वाद को परानिज़्म कहा जाता है जो अर्जेण्टीना की राजनीति में प्रमुख है।
1 मार्च 1911 को पेरान ने सैन्य महाविद्यालय में दाखिला लिया और 13 दिसम्बर 1913 को इसे पूर्ण किया। इसके बाद वो सैन्य अधिकारी के रूप में पदोन्नत हुये। सन् 1930 में परान ने राष्ट्रपति हिपोलिटो य्रिगोयेन के विरुद्ध तख्तापलट का समर्थन किया, उनके इस निर्णय के लिए उन्हें बाद में पछतावा हुआ। तख्तापलट के पश्चात् वो सैन्य इतिहास के प्रोफेसर नियुक्त हुये। सन् 1939 में उन्हें फ़ासीवादी इटली में एक अध्ययन के लिए भेजा गया और फिर उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, युगोस्लाविया और सोवियत संघ सहित अन्य देशों की यात्रा की।[4] यूरोप में अपने प्रवास के दौरान पेरान ने अपने कई राजनीतिक विचारों को विकसित किया।[5] परान ने सन् 1943 की अर्जेण्टीना की क्रान्ति में भाग लिया और उसके बाद की सरकार में श्रम मंत्री, युद्ध मंत्री और उपराष्ट्रपति सहित विभिन्न पद सम्भाले। तब से वे श्रम अधिकार सुधारों को अपनाने के लिए जाने जाने लगे। राजनीतिक विवादों के कारण उन्हें अक्टूबर 1945 के प्रारम्भ में इस्तीफा देना पड़ा और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसी वर्ष 17 अक्टूबर (लोयल्टी दिवस) को मजदूर एवं कर्मचारी संघों ने प्लाज़ा डे मेयो में उनकी रिहाई की मांग करते हुये एकत्र हुये। पेरान की लोकप्रियता में वृद्धि ने उन्हें सन् 1946 के राष्ट्रपति चुनाव में जीतने में मदद की।
पेरान के राष्ट्रपति काल में अर्जेण्टीना में औद्योगिकीकरण की शुरुआत हुई, सामाजिक अधिकारों (श्रमिक, बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए) का विस्तार हुआ, सरकारी विश्वविद्यालयों में शिक्षण को निःशुल्क करने जैसे कार्यों के लिए अत्यधिक प्रभावशाली रहा। उनकी पत्नी ईवा डुयार्टे ("इविता") के साथ उन्होंने महिला मताधिकार पर भी जोर दिया, परोपकारी कार्य किये और लगभग पाँच लाख घर बनवाये।[6] उनकी ये नीतियाँ अर्जेण्टीना के कामकाजी वर्ग में बेहत लोकप्रिया थी। उनकी सरकार को सत्तावादी रणनीति अपनाने के लिए भी जाना जाता है; विभिन्न असंतुष्ट लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया, कुछ को निर्वासित कर दिया या गिरफ्तार कर लिया गया एवं अधिकांश मीडिया (प्रेस) पर कड़ी निगरानी रखी गयी। इसी समय जोसेफ मेंजेल, एडॉल्फ ऐशमान और एंटे पोवेलिक जैसे विभिन्न फ़ासीवादी युद्ध अपराधियों को अर्जेण्टीना में शरण दी गई।
पेरान को अगले चुनाव में भारी बहुमत मिला हालांकि उनका दूसरा कार्यकाल (1952–1955) अधिक मुश्किलों से भरा रहा। सन् 1952 में उनके शपथ ग्रहण के एक माह बाद ही उनकी सबसे बड़ी सहायक ईवा का निधन हो गया। सरकार की धार्मिक सहिष्णुता और ईवा पेरान फाउंडेशन (ऐतिहासिक रूप से चर्च द्वारा उपलब्ध) द्वारा किये गये दान ने कैथोलिक गिरजाघर के साथ उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया। तलाक के कानून को मंजूरी देने और दो कैथोलिक पादरियों को निर्वासित करने के प्रयास के बाद उनका गलत तरीके से बहिष्कार आरम्भ हो गया। अर्जेण्टीना की नौसेना और वायु सेना के गिरिजाघर समर्थक लोगों ने जून 1955 में ब्यूनस आयर्स में प्लाजा डे मेयो पर बमबारी की। इस प्रयास में 300 से अधिक नागरिक मारे गये और इसके परिणामस्वरूप पेरान के समर्थकों ने गिरिजाघर के खिलाफ हिंसक प्रतिशोध लिया। कुछ ही माह के भीतर एक सफल तख्तापलट ने उन्हें पदच्युत कर दिया।
इसके उपरान्त दो सैन्य तानाशाही वाली सरकारें रही और दो चुनाव से सत्ता में आयी सरकारें भी बाधित रही, इस दौरान पेरोनिस्ट पार्टी को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया और पेरान को निर्वासित कर दिया गया। इन वर्षों में वो पैराग्वे, वेनेजुएला, पनामा और स्पेन में रहे। जब सन् 1973 में उनके समर्थक हेक्टर जोस कैम्पोरा को राष्ट्रपति चुना गया तो वो एज़ीज़ा नरसंहार के बीच पेरान अर्जण्टीइना लौट आये। अगले चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और तीसरी पार अर्जेण्टीना के राष्ट्रपति (12 अक्टूबर 1973 – 1 जुलाई 1974) बने। उनके इस कार्यकाल के दौरान वामपंथी और दक्षिणपंथी पेरोनिस्ट स्थायी रूप से विभाजित हो गये और उनके बीच हिंसा भड़क गयी। पेरान इस समस्या को हल करने में असमर्थ रहे। उनकी सरकार में मंत्री रहे जोस लोपेज़ रेगा ने अर्जेण्टीना एंटीकम्युनिस्ट गठबंधन का गठान किया और ऐसा माना जाता है कि उनके इस गठबंधन ने सैकड़ों लोगों की न्यायेतर (न्याय का पालन किये बिना) हत्यायें एवं अपहरण किये। पेरान की तीसरी पत्नी मारिया एस्टेला मार्टिनेज (जिन्हें इसाबेल पेरान के नाम से जाना जाता है) उपराष्ट्रपति चुनी गयीं और सन् 1974 में पेरान के निधन के बाद राष्ट्रपति बनीं। इसके पश्चात् राजनैतिक हिंसा और बढ़ गयी तथा सन् 1976 में उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद नये राष्ट्रपति जॉर्ज राफेल विडेला हिंसा के दौर को रोकने में असफल रहे और उनके शासनकाल में अर्जेण्टीना में और अधिक घातक दमन का दौर चला।
यद्यपि वो आज भी विवादास्पद व्यक्ति माने जाते हैं फिर भी हुआन और ईवा पेरान को उनके समर्थकों द्वारा प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। पेरान के अनुयायी गरीबी खत्म करने और श्रम को सम्मान देने की उनके प्रयासों की प्रशंसा करते हैं जबकि उनके आलोचक उन्हें तानाशाह और जनोत्तेजक मानते थे। पेरान ने अपने नाम से पेरोनिज्म नामक राजनीतिक अवधारणा दी जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान अर्जेण्टीना में मुख्य रूप से जस्टिसिस्ट पार्टी करती है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Perón". मेरियम-वेब्स्टर शब्दकोष. अभिगमन तिथि: 19 मई 2019.
- ↑ Las elecciones en la historia argentina: desde 1973 hasta la restauración de la república en 1983 – Por Eduardo Lazzari | Historiador. (elliberal.com.ar)
- ↑ "Perón and Peronism". obo (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 24 सितंबर 2024.
- ↑ "CRONOLOGIA PERONISTA 1893-1974 Juan Domingo Peron". 4 फ़रवरी 2015. मूल से से 4 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर 2024.
- ↑ Pigna, Felipe (9 नवम्बर 2017). "Juan Domingo Perón". El Historiador (स्पेनिश भाषा में). अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर 2024.
- ↑ "Perón y las viviendas - Chequeado" (स्पेनिश भाषा में). अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर 2024.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- मारियानो बेन प्लॉटकिन द्वारा पेरान और पेरानिज़्म: एक ग्रंथसूची निबंध (स्पेनी में)