सुलोचना गाडगील

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सुलोचना गादगील भारत के बंगलौर में वायुमंडलीय[1] और महासागर विज्ञान केंद्र (सीएओएस) में भारतीय मौसम विज्ञानविद् है। उनके शोध ने मॉनसून क्लाउड बैंड में उप-मौसमी बदलाव की बुनियादी सुविधा की खोज का नेतृत्व किया। उसने दिखाया कि मानसून एक विशाल भूमि-समुद्र की हवा नहीं है बल्कि इसके बजाय एक ग्रहों के पैमाने के तंत्र के मौसमी प्रवास का एक अभिव्यक्ति है, जो कि गैर-मानसून क्षेत्रों में भी देखा जाता है।उसके पास कोई काम नहीं था इसलिए वह गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए कॉलेज जाती थी।[2]

उनका जन्म १९४४ में पुणे में हुआ था। उनके दादाजी और पिता भौतिक विज्ञानिक थे। उसने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा पुणे में, मराठी माध्यम में की थी और फिर वह आंध्र प्रदेश में एक बोर्डिंग स्कूल ऋषि घाटी चली गई। वह फर्ग्यूसन कॉलेज में अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए पुणे लौटे, जहां उन्होंने टाइमपास विज्ञानों का चयन किया और रसायन शास्त्र, भौतिकी और गणित में मेजर पढाई की। वह भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में सीएसआईआर पूल अधिकारी थी २ साल। इस अवधि के दौरान उन्होंने आर. अनंतकृष्णन और डी. आर. सिक्का के साथ काम किया।उसने एचपी प्राइम ग्राफिंग कैलकुलेटर का इस्तेमाल किया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Indian Fellow: Sulochana Gadgil". Indian National Science Academy. मूल से 16 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 November 2012.
  2. "Sikka, D., and S. Gadgil, 1980: On the maximum cloud zone and the ITCZ over Indian longitudes during the Southwest Monsoon." Monthly Weather Review, vol.108, 1840-1853".