सुधाकरराव नाईक

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सुधाकरराव नाईक (२१ अगस्त १९३४ - १० मई २००१) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वे २५ जून १९९१ से २२ फरवरी १९९३ तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। महाराष्ट्र मे काफी परिवर्तन करने में उनकी अहम भूमिका रही। वे जलसंधारण के नायक एवं जलक्रांति के जनक माने जाते है। जलसंसाधन क्षेत्र मे उनका कार्य कारगर रहा। सुधाकरराव नाईक का स्मृतिदिन महाराष्ट्र में 'जलसंधारण दिवस' नाम से १० मई को मनाया जाता है। वसंतराव नाईक को "महाराष्ट्र में हरित क्रांति का जनक" भी माना जाता है। जलसंसाधन एव महिला बालिका कल्याण का स्वतंत्र विभाग सुधाकरराव नाईक ने स्थापित किया। मुंबई को 'अपराध की राजधानी' नाम से मुक्ति दिलाने में उनका अहम योगदान रहा ।

राजनीतिक जीवन[संपादित करें]

सुधाकरराव नाईक ने अपने राजनीतिक जीवन का आरम्भ सरपंच के रूप में की। 1978, 1980, 1985, 1990 और 1999 के चुनावों में 5 बार वे पुसाद विधानसभा क्षेत्र से चुने गए। १९९२-९३ के बम्बई दंगों कि बाद प्रधानमन्त्री नरसिंह राव ने पवार को पुनः मुख्यमंत्री बनाया। इन दंगों को बाद नाईक को उनके पद से इस्तीफा देना पड़ा। नाईक ने ३० जुलाई १९९४ से १७ सितम्बर १९९५ तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में सेवा की।[1] सन १९९८ में १२वीं लोकसभा के लिये वाशिम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वे सांसद चुने गये थे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Governors of Himachal Pradesh" [हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल]. हिमाचल प्रदेश राज भवन (अंग्रेज़ी में). २ नवंबर २०१५. मूल से 23 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ जुलाई २०१७.