समालोचनात्मक शिक्षा शास्त्र

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पेडागोजी शब्द का इस्तेमाल सीखने-सिखाने की रणनीतियों, तरीक़ों, और दृष्टिकोणों के लिए किया जाता है. क्रिटिकल पेडागोजी या समालोचनात्मक शिक्षा शास्त्र का इस्तेमाल भी सीखने-सिखाने में होता है, लेकिन इसका मुख्य सरोकार इस बात से है कि ज्ञान को किस तरह रचा जा रहा है और इसे सीखने वालों तक किस तरह पहुंचाया जा रहा है.

सीखने-सिखाने की पारंपरिक समझ के अनुसार ज्ञान देने वाला या शिक्षक और ज्ञान ग्रहण करने वाले या शिक्षार्थी के बीच प्रभुत्व और ताक़त का रिश्ता होता है. शिक्षा ग्रहण करने वालों से दी गई शिक्षा के बारे में बहस करने या सवाल करने की अपेक्षा नहीं की जाती.

दूसरी तरफ़, समालोचनात्मक शिक्षा शास्त्र में शिक्षार्थियों को सामाज में चली आ रही मान्यताओं, गहरी आस्थाओं और प्रचलित दस्तूरों पर सवाल खड़े करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस तरह यह स्वतंत्र रूप से आलोचनात्मक बन जाती है.

समालोचनात्मक शिक्षा शास्त्र , सत्ता और ज्ञान के बीच के रिश्ते को खंगालती है. यह परंपरागत शिक्षण पद्धति द्वारा प्रभुत्वशाली हितों के पक्ष में खड़े होने पर भी सवाल उठाती है. मसलन, हम परिवार, मांओं, उनकी भूमिकाओं और ज़िम्मेवारियों के बारे में स्कूल में पढ़े पाठ पर सवाल उठा सकते हैं. और यह भी कि कैसे इसने समाज की प्रभुत्वशाली विचारधारा के चलते औरत को परिवार और घर की चौहद्दी तक सीमित रखने की साज़िश रची.

एक समालोचनात्मक पाठ्यक्रम, सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान के बीच के फ़र्क़ को मानता है — एक ऐसा ज्ञान, जो अलग-अलग लोगों और सामाजिक जगहों से आता है. जैसे महिलाएं, दलित, आदिवासी, गुजराती, समलैंगिक, इत्यादि. इसमें यह भी समझने का प्रयास होता है कि अलग-अलग जगहों और तरीक़ों के हिसाब से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया चलती है — जैसे घर, जहां रहते हैं, यहां कौन क्या काम करता है, एक-दूसरे से कैसे पेश आते हैं, इत्यादि.

पिछले दशक के दौरान जैसे-जैसे सीखने-सिखाने का काम ऑनलाइन हुआ, डिजिटल पेडागोजी उभर कर सामने आई. लेकिन यह एक ग़लत धारणा है कि डिजिटल पेडागोजी प्रायः सीखने-सिखाने के लिए डिजिटल तकनीकी के बारे में है.

डिजिटल पेडागोजी, डिजिटल टेक्नोलॉजी के बारे में नहीं बल्कि क्रिटिकल पेडागोजी के नज़रिए से पढ़ाने के लिए उन औज़ारों का इस्तेमाल करना है जिससे सवाल करने की क्षमता विकसित की जा सके. इसलिए, यह जितना उन औज़ारों के समझदारी से इस्तेमाल के बारे में है, उतना ही उन्हीं औज़ारों को कब नहीं इस्तेमाल करना है, के बारे में भी है. और इस बारे में भी कि सीखने-सिखाने पर डिजिटल टूल्स का क्या प्रभाव पड़ता है.


द थर्ड आई : जेंडर, यौनिकता, हिंसा टेक्नोलॉजी, और शिक्षा पर काम करने वाली एक नारीवादी विचारमंच (थिंकटैंक) है.