समान अवसर
समान अवसर की परिभाषा और अर्थ पर काफी मतभेद है। मोटे तौर पर इसका अर्थ ऐसे सामाजिक वातावरण से है जिसमें व्यक्तियों को शिक्षा, रोजगार (जीविका), स्वास्थ्य-सुविधा आदि की प्राप्ति में ऐसे चीजों (traits) के आधार पर भेदभाव न किया जाता हो जिन्हे व्यक्ति कोशिश करके भी नहीं बदल सकता (immutable traits)। समान अवसर के निर्माण एवं क्रियान्यवन के लिये सरकार और संस्थाएँ तरह-तरह के उपाय करतीं हैं। समान अवसर प्रदाता संस्थाएँ निम्नलिखित चीजों के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करतीं-
- लिंग (sex)
- जाति (race)
- वैवाहिक स्थिति (marital status)
- कैरीअर से जुड़े उत्तरदायित्व (carers' responsibilities)
- अपंगता (disability)
- आयु
- राजनैतिक झुकाव (political conviction)
- धार्मिक विश्वास (religious belief)
बहुत से लोगों का विचार है कि समानता का सिद्धान्त एक मिथक मात्र है जबकि समान अवसर का सिद्धान्त व्यावहारिक धरातल पर उतारा जा सकता है और अधिक उपयोगी है। समान अवसर की नीति का लक्ष्य होता है कि संस्था में विविधता (diversity) सुनिश्चित की जाय।
समान अवसर (Equal Opportunity) का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों को उनके लिंग, जाति, धर्म, सामाजिक स्थिति, शारीरिक क्षमता, या किसी अन्य कारक के आधार पर भेदभाव के बिना समान अधिकार और अवसर प्राप्त होने चाहिए।[1]
समान अवसर के प्रमुख क्षेत्र
[संपादित करें]- शिक्षा में समान अवसर – सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार।
- रोजगार में समान अवसर – नौकरी पाने और करियर में आगे बढ़ने के लिए सभी को समान अवसर मिलना चाहिए।
- लैंगिक समानता – पुरुषों, महिलाओं और अन्य लिंग पहचानों के लिए समान अधिकार और अवसर।
- विकलांग व्यक्तियों के लिए समान अवसर – भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे को समावेशी बनाना।
- सामाजिक और आर्थिक समानता – समाज के सभी वर्गों को समान संसाधन और विकास के अवसर देना।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- U.S. Equal Employment Opportunity Commission (EEOC) (US) - the branch of the U.S. government that enforces equal opportunity laws in workplaces.
- Department of the Interior Office for Equal Opportunity (US)
- Stanford Encyclopedia of Philosophy entry on Equality of Opportunity