सदस्य वार्ता:Spjayswal67

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अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता" की कवितायेँ

"माँ सरस्वती वंदना "[संपादित करें]

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

हे, अमृत रस, वर्षाने वाली.........

तेरी, महिमा अपरम्पार,

तुझको, पूज रहा संसार .........२


हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......


जो जन तेरी, शरण में आते,

बल बुद्धि विद्या, ज्ञान हैं पाते ..........२

हे मोक्षदायिनी, देवी माता ......२

कर दो बेड़ा पार ...........

तुझको पूज रहा संसार .........२


हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......


हम पर कृपा बनाये रखना ,

ज्ञान से मन हर्षाये रखना .....२

हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी .......२

हर लो, जग का सब अंधकार .......

तुझको पूज रहा संसार ....२


हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......2


दिल से कर लो मेल..[संपादित करें]

एक संग होती रहे पूजा और अजान।

सबके दिल में हैं प्रभू वे ही सबल सुजान..


निर्गुण ब्रह्म वही यहाँ वही खुदा अल्लाह.

वही जगत परमात्मा उनसे सभी प्रवाह..


झगड़े आखिर क्यों हुए क्यों होते ये खेल.

मंदिर-मस्जिद ना करो दिल से कर लो मेल..


पंथ धर्म मज़हब सभी लगें बड़े अनमोल.

इनसे ऊपर है वतन मन की आँखें खोल..


बाँट हमें और राज कर हमें नहीं मंजूर.

सच ये हमने पा लिया समझे मेरे हुजूर.


बहुतेरी साजिश हुई नहीं गलेगी दाल.

एक रहेगा देश ये नहीं चलेगी चाल॥


अपने रक्त से सिंचित करके माँ नें हमको जनम दिया ,

गर्भावस्था से ही उसने संस्कारों का आधार दिया |


सर्वप्रथम जब आँख खुली तो मुख पे माँ ही स्वर आया ,

दुनिया में किस बात का डर जब सिर पर हो माँ का साया||


पहला स्वर सुनते ही उसने छाती से अमृत डाला,

अपने वक्षस्थल में रखकर ममता से उसने पाला |

प्रथम गुरु है माँ ही अपनी उससे पहला ज्ञान मिला,

माँ का रूप है सबसे प्यारा सबसे उसको मान मिला ||


नारी के तो रूप अनेकों भगिनी रूप में वो भाती ,

संगिनी रूप में साथ निभाकर मातृत्व से सम्पूर्णता पाती |

अपरम्पार है माँ की महिमा त्याग की मूरत वो कहलाती ,

उसके कर्म से प्रेरित होकर मातृ-भूमि पूजी जाती ||


माँ में ही नवदुर्गा बसती माता ही है कल्याणी ,

माँ ही अपनी मुक्तिदायिनी माँ का नाम जपें सब प्राणी |

माँ के चरणों में स्वर्ग है बसता करते सब तेरा वंदन,

तेरा कर्जा कभी न उतरे तुझको कोटिश अभिनन्दन ||


"हिन्दी महिमा"[संपादित करें]

सोने जैसी खरी है हिन्दी,

चाँदी जैसी उज्जवल हिन्दी,

गंगा जैसी निर्मल हिन्दी,

माटी की सुगंध है हिन्दी,

ममता का आँचल है हिन्दी,

करुणा का सागर है हिन्दी,

ब्रह्मा का वरदान है हिन्दी,

सरस्वती का सम्मान है हिन्दी,


उर्दू की भगिनी है हिन्दी,

मराठी की संगिनी है हिन्दी,

गुजराती में गौरव हिन्दी,

पञ्जाबी की प्रीति है हिन्दी,


कर्मयोग का सार है हिन्दी,

संस्कृत का अवतार है हिन्दी,

वेद पुराणों का ज्ञान है हिन्दी,

अपनों की पहचान है हिन्दी,


हिन्दी सरल बनानी होगी,

जन जन तक पहुंचानी होगी,

अंग्रेजी से हाथ मिलाकर ,

ज्ञान की ज्योंति जलानी होगी|


"जय जवान"[संपादित करें]

हवाओं में महके कहानी उसी की ,....2

जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |


अपनों से बिछड़े और घर बार छोड़ा,

वतन की जरुरत पे संसार छोड़ा.......2

सरहद से लौटी निशानी उसी की .....२

जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |


हवाओं में महके कहानी उसी की .....


दिलों में बसे हैं वतन के ये जाये,

खुशनसीबी है अपनी फतह ले के आये..२

कभी भी न भूले कुर्बानी उसी की ....२

जो सरहद पे जाए जवानी उसी की..


हवाओं में महके कहानी उसी की .....


अपना अमन चैन कायम है इनसे,

सच्चे यही हैं निगाहबां अपने .......२

हुई सारी दुनिया दीवानी इन्ही की ....२

जो सरहद पे जाए जवानी उसी की..


हवाओं में महके कहानी उसी की ..... जो सरहद पे जाए जवानी उसी की..


अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता" का संक्षिप्त जीवन-वृत्त[संपादित करें]

संक्षिप्त जीवन-वृत्त[संपादित करें]

अम्बरीष श्रीवास्तव A.M. A.E.I., A. M. ASCE., Seismic Design courses IIT-Kanpur.

जन्म: जून, ३०, १९६५ ग्राम-सरैयां कायस्थान, सीतापुर, भारत. व्यवसाय: आर्कीटेक्चरल इंजीनियर, कवि. माता : श्रीमती मिथलेश श्रीवास्तव पिता : श्री राम कुमार श्रीवास्तव

प्रकाशित रचनाएँ: छः कवितायेँ संयुक्त अरब अमीरात की ई-पत्रिका अनुभूतिहिंदी.ओआरजी वेबसाइटपर, छः कवितायेँ काव्यांचल.कॉम वेबसाईट पर, चार कवितायेँ साहित्यशिल्पी.इन पर, एक भजन कविताकोश.ओआरजी पर और इक्कीस कवितायें स्वर्ग विभा.टीके वेबसाइट पर, नौ कवितायेँ "ड्रीम्स इण्डिया" पत्रिका में, एक रचना "शिक्षक प्रभा" में व एक रचना "मज़मून" पत्रिका में प्रकाशित.. प्राप्त सम्मान: २००९ में हिन्दी कविता के क्षेत्र में हिन्दी साहित्य परिषद सीतापुर द्वारा "सरस्वती-रत्न" सम्मान, २००७ में उत्कृष्ट सेवाओं, विशेष उपलब्धियों और योगदान के लिए राष्ट्रीय अवार्ड “इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी अवार्ड” इसके अतिरिक्त, २००७ में भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन" द्वारा अभियंत्रण श्री" सम्मान.

संपर्क: 91/९१, सिविल लाइंस सीतापुर, उत्तर प्रदेश, इंडिया. मोबाइल (+919415047020) ईमेल: ambarishji@gmail.com website: http://en.wikipedia.org/wiki/Ambarish_Srivastava www.hindimekavita@blogspot.com www.ambarishsrivastava.com