सदस्य वार्ता:Shilpamehta

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जैसा कि हम जानते ही हैं - अंतरिक्ष नाम है अथाह और अनंत फैलाव का - जिसे कि माना जाता है कि यह पूर्ण रूप से खाली और रीता है - जिसे अंग्रेजी में वैक्यूम कहते हैं | लेकिन ध्यान देने की बात है कि यह शब्द "वैक्यूम" वैसा हे है जैसे कि शून्य या कि अनंत | दरअसल तो वैक्यूम जैसी कोई चीज़ नहीं होती - जब पदार्थ का घनत्व घटता ही जाए - तो हम एक निर्धारित सीमा के बाद उस जगह को वैक्यूम कहते हैं | जब हवा का दबाव इतना कम हो कि उसे व्यावहारिक रूप से जीरो या शून्य मान लिया जाए - तब उसे वैक्यूम कहते हैं - और अंतरिक्ष का यह विस्तार प्रभाव में तो शून्य है - किन्तु असलियत में अंतरिक्ष में भी अणु परमाणु होते हैं ! यह और बात है कि वह हमारे रौशनी के बल्ब के अन्दर की जगह से भी बहुत कम मात्रा में होते हैं | अंतरिक्ष के यह परमाणु बादल अतिशय तरल तो हैं , लेकिन रीते नहीं |

यह नक्षत्रीय धूल मुख्य रूप से हलकी गैसों - हाईड्रोजन एवं हीलियम की बनी है | यह बहुत बड़े विस्तार में फैली होती हैं - और इन्हें "नेबुला" कहा जाता है |यह एक चित्र है नेबुला का - यहाँ जो खम्बे से दिख रहे हैं, एक एक प्रकाश वर्ष जितने लम्बे हैं !! खम्बे के ऊपर जो उंगलियाँ सी दिखती हैं - वे संपूर्ण सौर्य मंडल से बड़ी हैं!!) इनमे कई हजारों लाखों तारे भ्रूण की स्थिति में पल रहे हैं

http://csep10.phys.utk.edu/astr162/lect/birth/proto.html
इन नेबुला के भी कई प्रकार हैं -  उत्सर्जन, प्रतिबिंबन, कृष्ण , नक्षत्रीय एवं सुपरनोवा अवशेष ) http://burro.astr.cwru.edu/stu/stars_birth.html) . यह नेबुला करोड़ों वर्षों तक विश्रांति की स्थिति में रहते हैं | फिर कभी उनके निकट से कोई अशांति का वाहक गुज़ारे (जैसे कि कोई ब्लैक होल  या कोई तारकीय विस्फोट) -तो धूल के इस बादल में कुछ उथल पुथल होती है | (जब हम निकट कहते हैं तो यह हमारी निकटता नहीं है - अंतरिक्ष में कई प्रकाश वर्षों की दूरी को निकट माना जाता है | जानकारी के लिए - प्रकाश एक सेकण्ड में ३ लाख किलोमीटर की दूरी तय करता है - तो एक मिनट में इसका साठगुना, फिर एक घंटे में इसका साठ गुना, फिर एक दिन में इसका चौबीस गुना और एक वर्ष में इसका भी तीन सौ पैसठ गुना | इस दूरी को प्रकाश वर्ष कहते हैं - और कई प्रकाश वर्षों की दूरी अंतरिक्ष में "निकट" कही जाती है ) 

तब कुछ गोलियां सी बन जाती हैं - समझें कि कस कर खिंची हुई एक चादर पर कुछ अंटियाँ बिखेर दी जाएँ और उस पर से एक भारी गोला लुढकाया जाए - तो उस गोले की वजह से जो दबाव और झुकाव बनेगा- तो सब छोटी अंटियाँ उस और लुढ़क पड़ेंगी और कुछ गुच्छे से बन जायेंगे | इन इकट्ठी हुई गोलियों की वजह से वहां चादर और नीची हो जाएगी एवं और अधिक गोलियां इस और आने लगेंगी - और यह होता ही जाएगा |इसे "अक्रेशन " कहते हैं | यह ढेरी और सघन होती जाती है , गुरुत्वाकर्षण से गर्मी बढती जाती है और दबाव भी बढ़ता जाता है |जब यह हाईड्रोजन का ढेर काफी बड़ा हो जाए और परमाणु प्रक्रिया शुरू होने के लायक दबाव बन जाए - तब इसे "प्रोटो स्टार " कहते हैं |

दबाव के कारण इस के अंतर में परमाणु प्रतिक्रिया होने लगती है और विस्फोट शुरू हो जाते हैं | यह है जन्म के पूर्व का सितारा!! यह गुरुत्वाकर्षण के कारण घने होते जाने की स्थिति करीब एक या डेढ़ करोड़ वर्षों तक रहती है (तुलना कीजिये - हम अपनी माँ कि कोख में सिर्फ नौ महीने रहते हैं!) यह जो नया तारा बना है - इसकी विस्फोटक प्रतिक्रयाओं के कारण बड़ी तेजी से वाष्प (पानी की नहीं - अभी पानी नहीं बना है) बाहर फूटती है और तारा तेज़ी से घूमने लगता है | इस वजह से जिस धूल के विशाल बादल ने इस तारे को बनाया था - वह दूर हो जाता है - और तारा "माँ" की कोख से बाहर आ जाता है | http://www.youtube.com/watch?v=4elLkaeLqZQ&feature=related यहाँ आप देख सकते हैं - तारे की जीवन यात्रा |