सामग्री पर जाएँ

सदस्य वार्ता:Satji/प्रयोगपृष्ठ

पृष्ठ की सामग्री दूसरी भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
विषय जोड़ें
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

अजातशत्रु बिम्बिसार के बाद उसका बेटा अजातशत्रु गद्दी पर बैठता है जिसने अंग के शासक के साथ मिलकर बिम्बिसार की हत्या क र दी थी। अजातशत्रु अपने पिता की हत्या करके गद्दी पर बैठा था। फिर सारे महाजनपद अजातशत्रु। के दुश्मन बन गए ओर अजातशत्रु पर आक्रमण करने लगे। अजातशत्रु ने सारे महाजनपद को जीता।ओर जब इसने कौशल पर आक्रमण किया तो प्रशन्नजित हर गया ओर प्रशन्नजित ने अपनी बेटी की शादी अजातशत्रु से करवा दी ओर काशी को फिर दहेज में अजातशत्रु को से दिया। काशी ही एक ऐसा महाजनपद था जिसको दो बार दहेज में दिया गया है।अजातशत्रु ने बज्जी को अपने दोस्त की मदद से जीता। इसके बाद अजातशत्रु को उसके बेटे उदयिन ने मर दिया।ओर खुद शासन करने लगा। इस वंश के प्रत्येक शासक ने राजगद्दी प्राप्त करने के लिए अपने पिता कि हत्या की थी इसलिए इस वंश को पित्रहंता वंश भी कहा जाता है।

उदयन या उदयिन[संपादित करें]

उदयिन अजातशत्रु के बाद उसका बेटा उदयिन गद्दी पर बैठा।इसने भी अपने पिता को मारकर राजगद्दी प्राप्त की थी।उदयिन ने गंगा ओर सोन नदी,जो बिहार में है,के संगम पर पाटलिपुत्र की स्थापना की। तथा मगध की राजधानी पाटलिपुत्र को बनाया। इसकी हत्या महा पद्म नंदिनी ने कि तथा इसने नंद वंश की स्थापना की।परन्तु इसके शासन कल में यह वंश इतना विस्तृत नहीं पाया।ओर इसकी हत्या महापद्म नंद ने कर दी।इसी ने नंड वंश को आगे बढ़ाया।

नन्द वंश[संपादित करें]

नंदी वंश (344 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व तक) पद्म नन्द नंदी वंश का वास्तविक संस्थापक पद्म नन्द था।इसी के शासन काल में राज्य का विस्तार हुआ। इसके बाद इसका बेटा गद्दी पर बैठा था।उसके बेटे का नाम घनानंद था।कुछ इतिहाकारों का कहना है कि घनानंद उसका बेटा नहीं था।परन्तु हमें घनानंद  को उसका बेटा ही मानना है।

घनानंद घनानंद के शासन काल में सिकन्दर भारत आया।घनानंद ने भारत में बहुत काम किए।इसके राज दरवारी विष्णुगुत था। इसी ने चन्द्रगुप्त का पालन पोषण किया था।विष्णुगुप्त तक्षशिला का शिक्षक था।