सदस्य वार्ता:Manoj12kum/प्रयोगपृष्ठ

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उत्तरदाताओं की सामाजिक- आर्थिक पृष्ठभूमि सामाजिक विज्ञानों में जब कोई अनुसन्धानकर्ता किसी समस्या का अध्ययन करता है, यह अध्ययन किसी भी विधि द्वारा क्यों न किया जाये, अध्ययन से कुछ न कुछ तथ्य या आंकड़े अवश्य प्राप्त होते हैं। जब कोई अनुसंधानकर्ता किसी भी अनुसन्धान समस्या का अध्ययन करता है तो वह अध्ययन में तथ्य संकलन की एक या कुछ यंत्रों का उपयोग करता है। जैसे साक्षात्कार, प्रश्नावली, अनुसूची, निरीक्षण आदि। इन यंत्रों के उपयोग से भी अनुसंधानकर्ता को अनुसन्धान समस्या के सम्बन्ध में महत्वपूण्र तथ्य प्राप्त होते हैं। सामाजिक अनुसंधान में अनुसंधान विधियों के द्वारा और तथ्य संकलन के यंत्रों के द्वारा जो तथ्य प्राप्त होते हैं वह या तो शब्दों से होते हैं या अंकों में होते हैं अथवा शब्द और अंकों अर्थात् मिले-जुले रूप में होते हैं। यह तथ्य बिखरे हुए एक ढेर के समान होते हैं और अनुसंधानकर्ता के लिये इस रूप में अधिक महत्वपूर्ण नहीं होते हैं। इन बिखरे हुए तथ्यों को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को अथवा समानता और भिन्नता के आधार पर तथ्यों को विभिन्न वर्गों या श्रेणियों में जब विभाजित किया जाता है तब इसे तथ्यों का वर्गीकरण कहते हैं। वर्गीकरण करने के बाद स्तम्भों और पंक्तियों में तथ्यों को जब व्यवस्थित किया जाता है तब इसे तथ्यों का सारणीयन कहते हैं। तथ्यों का वर्गीकरण और सारणीयन जब किया जाता है तब तथ्य अधिक बोधगम्य हो जाते हैं और वर्गीकरण तथा सरणीयन के बाद सांख्यिकीय विश्लेषण के लिये भी मार्ग प्रशस्त हो जाता है। तथ्य संकलन शोध प्रक्रिया का एक पद या चरण है। कोई भी शोध अध्ययन तब तक पूरा नहीं हो सकता है जब तक तथ्य संकलन न किया जाये। वैज्ञानिक विधि से तथ्य संकलन एक महत्वपूर्ण पद है। कार्ल पियर्सन (1911) का विचार है कि, ’’सत्य तक पहुँचने के लिये कोई संक्षिप्त रास्ता नहीं है। विश्व की घटनाओं के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक विधि के द्वार से गुजरने के सिवाय और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। तथ्य का अर्थ- समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में तथ्य संकलन के महत्वपूर्ण उपकरणों जैसे निरीक्षण, साक्षात्कार, अनुसूची, प्रश्नावली, वस्तुपरक परीक्षण और मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की सहायता से जो सूचनाएँ या आँकड़ें या तथ्य, सामग्री एकत्र होती है उन्हें तथ्य (प्रदत्त) कहते हैं। जे0पी0 गिलफोर्ड 1958 के अनुसार- अंकात्मक तथ्य या प्रदत्त दो प्रकार के होते है गणनाश्रित तथ्य या प्रदत्त यह वह प्रदत्त है जो गिने जा सकते है जैसे, दो छात्र, छः व्यक्ति, आठ किशोरियाँ, चैदह पेन्सिल, पन्द्रह पुस्तके आदि। मीट्रिक प्रदत्त-दूसरे प्रकार के प्रदत्त या तथ्य वह हैं जिन्हें माप तो जा सकता है परन्तु गिना नहीं जा सकता है, जैसे, दो मीटर कपड़ा, पाँच लीटर दूध, दस किलोग्राम गेहूँ आदि। सामाजिक अनुसंधानों में विशेष रूप से समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में तथ्य के अन्तर्गत वही सूचनाएँ सम्मिलित होती हैं जिन्हें निरीक्षण किया जा सकता है या जिन्हें लिखा जा सकता है अथवा जिन्हें रिकार्ड किया जा सकता है। तथ्यों में छोटी-छोटी सभी प्रकार की सूचनाएँ महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इन्हीं तथ्यों का विश्लेषण करके निष्कर्ष निकालते जाते हैं, नियम और सिद्धांत प्रतिपादित किये जाते हैं। समाज के प्रत्येक सदस्य का उसकी सामाजिक आर्थिक प्रस्थिति से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज और संस्कृति का विशिष्ट उत्पाद होता है। अतः यह उल्लेखनीय है कि प्रत्येक परिवर्तनशील समाज में सदस्यों की समायोजनशीलता उनकी सामाजिक आर्थिक प्रस्थिति से सम्बद्ध होती है। ऐसी स्थिति में समाज की प्राथमिक इकाई के रूप में प्रत्येक परिवार अपने सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति उपलब्ध संसाधनों, नियमों तथा कार्य प्रणालियों के अनुरूप करता है। परिवर्तन तथा गतिशीलता के व्यवस्थित अध्ययन में उस पृष्ठभूमि का जिसका कि व्यक्ति अंग है, का अध्ययन आवश्यक है। व्यक्ति का उसकी सामाजिक- आर्थिक पृष्ठभूमि और उसकी गतिशीलता में अत्यन्त निकट सम्बन्ध पाया जाता है। विशिष्ट परिवेश में सृजित सामाजिक-आर्थिक दशायें, व्यक्ति की प्रदत्त प्रस्थिति, जीवन शैली, व्यवसाय, आकांक्षा आदि को ही निर्धारित नहीं करती अपितु प्रत्येक व्यक्ति और समाज के जीवन के लिए आवश्यकताओं की पूर्ति की संघर्षपरक क्षमता को भी निर्धारित करती है। समाज में व्यक्ति की क्षमता के निर्धारण में उसके विशिष्ट गुणों का महत्वपूर्ण योगदान होता है उसमें निहित विशिष्टतायें समाज के साथ उसके समायोजन की दिशा एवं स्वरूप निर्धारित होता है। इसी संदर्भ मे शोधार्थी द्वारा उत्तरदाताओं की सामाजिक- आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया गया है। उत्तरदाताओं का आयु स्तर, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- आयु व्यक्ति की वह जैवकीय विशेषता है जिसके आधार पर व्यक्ति शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के विभिन्न स्तरों में विभाजित किया गया है। मानव समाज में आयु सामाजिक स्तरीकरण का प्रथम व महत्वपूर्ण आधार है। प्रायः आयु मनुष्य की मानसिक परिपक्वता का संकेतक है। विश्व के सभी समाजों में आयु के आधार पर विभाजन स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है, जो मानव के व्यक्तित्व व्यवहार तथा प्रेरणा को एक नई दिशा प्रदान करता है। जिस व्यक्ति की जितनी आयु होगी उसका अनुभव, कार्यकुशलता तथा क्षमताओं का विकास भी उतना ही अधिक परिपक्व होगा। किसी भी व्यक्ति के दृष्टिकोण में भिन्नता होने की सम्भावना ज्यादा रहती है। अतः व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में आयु का विशेष महत्व होता है। इस संदर्भ के साथ शोधार्थी ने उत्तरदाताओं से आयु सम्बन्धी तथ्यों का संकेन्द्रण किया, जिन्हें निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है। तालिका संख्या 4.1 उत्तरदाताओं का आयु के आधार पर वर्गीकरण शैक्षणिक स्तर कामकाजी महिला घरेलू म्हिला कुल संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत 20-24 वर्ष 37 24.67 24 16.00 61 20.33 25-29 वर्ष 62 41.33 70 46.67 132 44.00 30-34 वर्ष 29 19.33 37 24.67 66 22.00 35-39 वर्ष 15 10.00 12 8.00 27 09.00 40-44 वर्ष 07 04.67 07 4.67 14 4.67 कुल 150 100 150 100 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.1

सारणी से स्पष्ट है कि शोधार्थी ने उत्तरदाताओं की आयु वर्ग 20-44 वर्ष रखा है जिनमें से 44.00 प्रतिशत उत्तरदाता 25 से 29 आयु वर्ग के है जो सबसे अधिक है। 30-34 आयु वर्ग के उत्तरदाता 22.00 है, 20-24 वर्ग के उत्तरदाता 20.33 प्रतिशत व 35-39 आयु वर्ग के उत्तरदाता 09.00 प्रतिशत है जबकि 40 से 44 आयु वर्ग के उत्तरदाताओं की संख्या 4.67 प्रतिशत है जो सबसे कम है। माताओं की आयु विवरण उनकी कार्य स्थिति के अनुसार तालिका संख्या 4.1 के अवलोकन से बात होता है कि अधिक संख्या में (2/6 वाॅ हिस्सा) महिलाओं की आयु 25-29 वर्ष थी, उसके बाद अधिक संख्या में महिलाओं की आयु 30 से 34 वर्ष थी। कामकाजी व घरेलू महिलाओं की औसत आयु क्रमशः 28, 43 और 28.93 वर्ष आंकी गई है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि कामकाजी महिलाओं व घरेलू महिलाओं की औसत आयु के बीच कोई महत्वपूर्ण अन्तर नहीं था। अतः उक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि आयु से व्यक्ति का बौद्धिक स्तर व मानसिक परिपक्वता का पता चल जाता है। व्यक्ति के अनुभव, कार्यकुशलता एवं क्षमता आयु से प्रभावित होती है। साक्षात्कार के दौरान किये गये अवलोकन से ज्ञात हुआ है कि 40 से अधिक आयु के उत्तरदाताओं की शिक्षा में कमी, पारम्परिक सोच व बच्चों के प्रति जागरूकता का अभाव था, लेकिन 18 से 38 वर्ष की आयु के उत्तरदाताओं में बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति काफी उत्साह देखने को मिला है जबकि 38 से 48 वर्ष की आयु स्तर की उत्तरदाताओं का बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति नजरिया सामान्य था। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा व वर्तमान में हो रहे सामाजिक परिवर्तन के चलते कामकाजी महिलाओं एवं घरेलु महिलाओं में अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता देखी गई। उत्तरदाताओं का शैक्षणिक स्तर, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- शिक्षा ज्ञान एवं सूचना की वह गत्यात्मक व्यवस्था है जो सामाजिक इकाई को मानव संसाधन, सांस्कृतिक पूंजी एवं आर्थिक, राजनीतिक दृष्टि से सक्षम बनाती है ताकि वह सामाजिक इकाई सामाजिक रूपान्तरण में सक्रिय योगदान कर सके। शिक्षा मनुष्य को सभी दासताओं से मुक्त कराती है और उसे आलोचनात्मक चेतना के परिवेश का अंग बनाती है। शिक्षा सामाजिक इकाई को स्थानीयकरण की प्रक्रिया का अंग बनाकर उसके (विजनरी) दृष्टिमान भी बनाती है। जीवन की गुणवत्ता का विकास, अवसरों की उपलब्धता, विकासात्मक दृष्टि, उदारवाद, दक्षता एवं गुणवत्ता का विकास, समन्वय शिक्षा को सामाजिक दायित्वों एवं वांछनीय समाज से संबद्ध करता है। समाजशास्त्रीय दृष्टि से शिक्षा उन विचार व्यवस्थाओं एवं क्रियाओं का समुच्चय है जिन्हें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इसलिए हस्तान्तरित किया जाता है कि व्यक्ति समाज की भूमिकाओं का बोध कर सके, इस दृष्टिकोण से शिक्षा व्यक्ति एवं समाज के मध्य सामंजस्य की स्थिति उत्पन्न करती है। समाजशास्त्रीय इमाइल दुर्खीम ने शिक्षा को एक ऐसा साधन माना है, जिसके द्वारा समाज बच्चों में अपने अस्तित्व की अनिवार्य अवस्था को तैयार करता है। वही प्रमुख समाजशास्त्री कार्लमाक्र्स ने शिक्षा को एक ऐसा उपकरण माना है जिसके माध्यम से लाभ हानि पंूजी के संकेन्द्रण प्रतियोगिता तथा मानसिक एवं शारीरिक श्रम के मध्य विभेद एवं निम्न वर्गों के प्रति उपेक्षित दृष्टि को विकसित करने के प्रयास किये जाते है। उनके अनुसार शिक्षा प्रत्येक समाज व्यवस्था में शासक वर्ग के हितों का प्रतिनिधित्व करती है। मैक्सवेबर के दृष्टिकोण को आधार बनाकर यह तर्क दिया जा सकता है कि शिक्षा वह तार्किकवैधानिक प्रक्रिया है जो विभिन्न सामाजिक व्यवस्थाओं में वैज्ञानिकता के तत्व को विकसित करती है और संस्कृति को विश्व प्रक्रिया का अंग बनाती है। इस प्रकार एक व्यापक संदर्भ में शिक्षा समाजीकरण एवं समाज में सामाजिक नियंत्रण का प्रभावी माध्यम है, जो सामाजिक परिवर्तन को न केवल उत्पन्न करती है अपितु परिवर्तन को उपयुक्त दिशा भी प्रदान करती है। साथ ही शिक्षा एक ऐसी चेतना उत्पन्न करती है जो श्रम के विशिष्टीकरण में सहायक है, तथा विरोध/असहमति को तार्किक आधार प्रदान करती है। अतः अध्ययन क्षेत्र में भी उत्तरदाताओं की शैक्षणिक पृष्ठभूमि को ज्ञात करना आवश्यक था क्योंकि शिक्षा से सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं के प्रति एक साकारत्मक व्यक्तिगत सोच का निर्माण होता है। इस संदर्भ के साथ शोधार्थी ने उत्तरदाताओं से शिक्षा से संबंधित तथ्यों का संकेन्द्रण किया है, जिन्हें निम्न सारणी से प्रस्तुत किया गया है। सारणी 4.2 उत्तरदाताओं का शैक्षणिक स्तर, पर सारिणीयन शैक्षणिक स्तर कामकाजी महिला घरेलू महिला कुल संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत शिक्षित 09 06.66 59 39.33 68 22.66 प्राथमिक 28 18.67 31 20.67 59 19.66 माध्यमिक 04 02.67 27 18.00 31 10.33 स्नातक 52 34.67 19 12.67 71 23.66 परास्नातक 38 25.33 14 09.66 52 17.33 व्यवसायिक 19 12.67 00 00 19 6.33 कुल 150 100 150 100 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.2

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि 22.66 प्रतिशत उत्तरदाता केवल शिक्षित है एवं 19.66 प्रतिशत उत्तरदाता प्राथमिक स्तर पर शिक्षित है। 10.33 प्रतिशत उत्तरदाता माध्यमिक स्तर व 23.66 प्रतिशत उत्तरदाता स्नातक स्तर , 17.33 प्रतिशत उत्तरदाता परास्नातक स्तर व 6.33 प्रतिशत उत्तरदाता व्यावसायिक स्तर की शिक्षा प्राप्त है। उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि घरेलु महिलाओं में शिक्षा का स्तर निम्न है। शैक्षणिक पृष्ठभूमि में यह महिलाओं की निम्न प्रस्थिति को दर्शाता है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि घरेलु महिलाओं मे से 39.33 प्रतिशत महिला केवल शिक्षित है एवं 20.67 प्रतिशत उत्तरदाता प्राथमिक स्तर तक शिक्षित है। 18.00 प्रतिशत उत्तरदाता माध्यमिक स्तर व 12.67 प्रतिशत उत्तरदाता स्नातक स्तर , 09.66 प्रतिशत उत्तरदाता परास्नातक स्तर , 00 प्रतिशत उत्तरदाता व्यावसायिक स्तर की शिक्षा प्राप्त है। जबकि कामकाजी महिलाओं मे केवल 06.66 प्रतिशत महिला शिक्षित है एवं 18.67 प्रतिशत उत्तरदाता प्राथमिक स्तर पर शिक्षित है। 02.67 प्रतिशत उत्तरदाता माध्यमिक स्तर व 34.67 प्रतिशत उत्तरदाता स्नातक स्तर , 25.33 प्रतिशत उत्तरदाता परास्नातक स्तर 12.67 प्रतिशत उत्तरदाता व्यावसायिक स्तर की शिक्षा प्राप्त है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि कामकाजी महिलाओं का शैक्षणिक स्तर घरेलू महिलाओं की अपेक्षा अधिक है। उत्तरदाताओं का व्यावसायिक स्तर, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- भारतीय समाज व्यवस्था मंे व्यवसाय व्यक्ति की सामाजिक प्रस्थिति के निर्धारण का प्रमुख आधार है। परम्परागत भारतीय समाज में जाति एवं व्यवसाय का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। जाति की उच्चता एवं निम्नता के आधार पर ही व्यवसाय का विभाजन किया गया। लेकिन आधुनिक भारतीय समाज में जाति एवं व्यवसाय का यह घनिष्ठ सम्बन्ध निरन्तर शिथिल होता जा रहा है तथा व्यवसायों की उच्चता एवं निम्नता का आधार भी परिवर्तित होता जा रहा है। आर्थिक लाभ व्यावसायिक उच्चता का आधार बन गया है। व्यवसाय में प्रवेश का आधार जाति या नातेदारी व्यवस्था न होकर व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा एवं प्रशिक्षण हो गया है। व्यावसायिक जीवन में होने वाले इन परिवर्तनों ने व्यक्ति की सामाजिक प्रस्थिति के निर्धारण के आधार को अर्जनात्मक आधार बना दिया है और परम्परागत रूप से प्राप्त सामाजिक प्रस्थिति के महत्व को कम कर दिया है। इस संदर्भ के साथ शोधार्थी ने उत्तरदाताओं के परिवार के व्यवसाय से संबंधित तथ्यों का संकेन्द्रण किया, जिन्हें निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है। सरणी 4.3 उत्तरदाताओं का व्यावसायिक आधार पर वर्गीकरण व्यावसायिक आधार कामकाजी महिला घरेलू महिला कुल संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत खेती 01 0.67 15 10.00 16 5.33 व्यवसाय 51 34.00 58 38.67 109 36.33 नौकरी 62 41.33 53 35.33 115 38.33 मजदूरी 36 24.00 24 16.00 60 20.00 कुल 150 100 150 100 300 100


रेखाचित्र संख्या 4.3

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि शोध के सर्वाधिक उत्तरदाताओं की प्रस्थिति नौकरी एवं मजदूर है, जिनका क्रमशः 38.33 और 20.00 प्रतिशत है। 36.33 प्रतिशत उत्तरदाता व्यवसाय से सम्बन्ध रखते है एवं मात्र 5.33प्रतिशत उत्तरदाता खेती से है। तालिका के अनुसार कुल परिवार मे नौकरी तथा दूसरे स्थान पर 34.00 प्रतिशत तथा 24.00 प्रतिशत क्रमशः व्यवसाय तथा मजदूरी उनके परिवार का वयावसायिक आधार हैं। जबकि घरेलू महिलाओं में से सर्वाधिक 38.67 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं में से सर्वाधिक 41.33 प्रतिशत महिलाएँ के महिलाओं के परिवार मे व्यवसाय ही परिवार का वयावसायिक आधार हैं। उत्तरदाताओं का पारिवारिक स्वरूप, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- प्रत्येक समाज में व्यक्ति के रहने का अत्यधिक महत्वपूर्ण केन्द्र परिवार है। परिवार सामाजिक जीवन का वह प्रथम सोपान है जहाँ पर्याप्त मात्रा में व्यक्ति के व्यक्तित्व की ऊर्जा रूपी किरणों का प्रस्फुटन होता है। यह वह आधारशिला है जिस पर सामाजिक जीवन का विशाल भवन निर्भर करता है। परिवार न केवल मानव जीवन के प्रवाह को जारी रखने वाला अखण्ड स्रोत है बल्कि मानवोचित गुणों की प्रथम पाठशाला भी है। परिवार ही मानव शिशु को उसके अस्तित्व का ज्ञान कराता है। सारणी 6.6 में महिला उत्तरदाताओं के पारिवारिक स्वरूप को दर्शाया गया है। एक जैवकीय इकाई के रूप में एक परिवार वह समूह है जिसमें स्त्री व पुरूष को यौन सम्बन्धों की स्थापना व सन्तानोत्पत्ति को समाज की स्वीकृति होती है। सामाजिक इकाई के रूप में परिवार स्त्री पुरूष का वह समूह है जो विवाह, रक्त या गोद (दत्तक) के सम्बन्धों के आधार पर निर्मित होता है। बर्जेस एवं लाॅक के दृष्टिकोण को आधार बनाकर कहा जा सकता है कि परिवार व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो विवाह, रक्त अथवा दत्तक बंधनों से बंधा होता है। इसके द्वारा एक अकेले घर की रचना होती है इसके सदस्य पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन की सामाजिक भूमिका में एक-दूसरे से अन्तःक्रिया तथा अन्तःसम्प्रेषण करते हुए एक सामान्य संस्कृति की रचना करते है। अतः परिवार की संरचना के आधार पर परिवार को एकांकी व संयुक्त परिवार के रूप में विभाजित किया गया है। एकांकी परिवार- प्रो. जिमरमेन ने अपनी पुस्तक ’फैमिली एण्ड सिवलाइजेशन’; (1947) में सबसे छोटे ऐसे परिवार को आणविक अथवा लघु परिवार की संज्ञा दी है जो पति-पत्नी तथा उनके अविवाहित संतानों द्वारा बने होते है। इस प्रकार के परिवारों में अत्यधिक व्यक्तिवादिता की भावना पाई जाती है तथा परिवार के सदस्यों को पारिवारिक नियंत्रण से व्यक्तिगत छूट मिल जाती है। व्यक्ति सम्पूर्ण परिवार के हितों की अपेक्षा अपने कल्याण को अधिक महत्व देता है। ऐसे परिवारों में प्रथानुगत लोकाचारों का कोई महत्व नहीं होता है बल्कि परिवार के प्रत्येक सदस्य की स्वः इच्छा ही महत्वपूर्ण होती है। संयुक्त परिवार- संयुक्त परिवार व्यक्तियों का ऐसा समूह है जिसमें न्यूनतम तीन पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते है और जिसके सदस्य सम्पत्ति, आय, रसोई, पारस्परिक अधिकार व कर्तव्यों द्वारा एक दूसरे से आबद्ध होते है। भारत की संयुक्त परिवार प्रणाली की संरचना को बरकरार रखने में कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था ग्राम समुदायों पर आधारित सामाजिक संगठन और धर्म का प्रमुख हाथ है। शोधार्थी ने इस पृष्ठभूमि के साथ निदर्शन इकाईयों/उत्तरदाताओं के परिवार की प्रकृति को जानने का प्रयास किया जिसे निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है। सारणी 4.4 उत्तरदाताओं का पारिवारिक संरचना के आधार पर वर्गीकरण

परिवार की संरचना	  कामकाजी	महिला	      घरेलू	महिला	       कुल	

संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत एकल परिवार 75 50 88 58.67 163 54.33 संयुक्त परिवार 75 50 62 41.33 137 45.67 कुल 150 100 150 100 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.4

इस सारणी के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि बहुलांश 54.33 प्रतिशत उत्तरदाता एकांकी परिवार के है, जबकि संयुक्त परिवार के उत्तरदाताओं की संख्या 45.67 प्रतिशत है। जो इस बात की ओर इंगित करता है कि अध्ययन क्षेत्र में पारिवारिक स्वरूप एकांकी व संयुक्त दोनों ही प्रकार के परिवारों का एक साथ सह-अस्तित्व है। लेकिन अधिकांश उत्तरदाता एकांकी परिवार के है। तालिका के अनुसार कुल कामकाजी महिलाओं में से 50-50 प्रतिशत महिलाएँ एकल परिवार तथा संयुक्तं परिवार जबकि घरेलू महिलाओं में से सर्वाधिक 58.67 प्रतिशत महिलाएं एकल परिवार की हैं। तालिका संख्या 4.4 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि कुल महिलाओं की आधी से अधिक (54.33 प्रतिशत) एकल परिवार संरचना की थी, उसके बाद संयुक्त (45.67 प्रतिशत) थी। महिलाओं (50 प्रतिशत) की तुलना में घरेलू महिलाएँ (58.67 प्रतिशत) अपेक्षाकृत अधिक संख्या में एकल परिवार से संबंधित थी। तलिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि कामकाजी महिलाओं एवं घरेलू महिलाओं की पारिवारिक स्थिति और पारिवारिक ढांचों में बहुत महत्वपूर्ण अंतर नहीं था। इस प्रकार सारणी के विवेचन से स्पष्ट होता है कि भारतीय परम्परागत सामाजिक व्यवस्था के संयुक्त परिवार, एकांकी परिवार में परिवर्तित होते जा रहे है जिसका प्रभाव अध्ययन क्षेत्र पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। यहाँ के अधिकांश लोग एकांकी परिवार को अपना रहे है। भारतीय परम्परागत समाज संयुक्त परिवार में रहता था, परन्तु महिला शिक्षा, व्यावसायिक गतिशीलता, व्यवसाय को प्राथमिकता, स्वतंत्रता एवं वैचारिक मतभेदों के चलते संयुक्त परिवारों का विखण्डन होने लगा और संयुक्त परिवार की जगह एकांकी परिवार लेने लगे है। एकांकी परिवार से महिला शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ी है लेकिन दूसरी ओर वृद्धों की देखभाल व बच्चों के पालन-पोषण की समस्या का समाना करना पड़ रहा है। पारिवारिक सदस्यों के सम्बन्धों के बीच दूरिया बढ़ी है। अवलोकन में कुछ परिवार इस प्रकार के देखने को मिले जो दिखने में तो संयुक्त है, परन्तु हकीकत में वे एकांकी परिवार की तरह रहते है। जो स्थानिक गतिशीलता के फलस्वरूप अस्तित्व में आये है। इस प्रकार के परिवारों को शाखायी संयुक्त परिवार कह सकते है। शाखायी संयुक्त परिवारों में सांस्कृतिक एवं सम्पत्तिमूलक सम्बद्धता तो देखने को मिलती है परन्तु आवासीय संरचना का स्थानिक पृथक्ककरण पाया जाता है। उत्तरदाताओं का निवास स्थान, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- आवास की प्रकृति व्यत्ति की सामाजिक आर्थिक प्रस्थिति का एक महत्वपूर्ण परिचायक है। व्यक्ति अपनी जीवन उपलब्धि, धन, ऐश्वर्य की अभिव्यक्ति बहुधा अपने निवास स्थान के माध्यम से करता है। निम्न एवं अभावग्रस्त वर्ग के सदस्य प्राकृतिक विपदाओं और मानवीय क्रूरताओं से रक्षा के लिए तथा जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए जहाँ अत्यन्त कठिनाईपूर्वक झोपड़ी या कच्चे मकान का निर्माण कर पाते है, वही उच्च वर्ग के सदस्य अपनी सम्पत्ति एवं वैभव को प्रदर्शित करने के लिए भव्य आवासों का निर्माण करते है। वस्तुतः आवास न केवल व्यक्ति का प्राकृतिक और पारिस्थितिकीय विशेषताओं के साथ एक समझौता है, बल्कि यह मानवीय सभ्यता की प्रगति का परिचायक भी है। अध्ययन क्षेत्र के संदर्भ मेें देखा जाए तो यहाँ शहर व कस्बे के अधिकांशतः लोग तो ईट, पत्थरों से बने पक्के मकानों में रहते है। सामान्यतः पिछड़े इलाकों में घास-फूस व मिट्टी से बने घर भी पाये जाते है। कहीं-कहीं पक्के मकान भी बने होते है। इस संदर्भ में शोधार्थी ने उत्तरदाताओं के निवास स्थान से संबंधित तथ्यों को एकत्रित किया है, जिन्हें निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है। सारणी 4.5 उत्तरदाताओं का निवास स्थान के आधार पर वर्गीकरण निवास स्थान कामकाजी महिला घरेलू महिला कुल संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत अच्छी 120 80 103 68.67 223 74.33 सामान्य 30 20 34 22.67 64 21.33 स्ंातोषजनक - 13 8.67 13 4.33 कुल 150 100 150 100 300 100


रेखाचित्र संख्या 4.5

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि अच्छे आवास में निवास करने वाले उत्तरदाता 74.33 प्रतिशत है। सामान्य आवास में 21.33प्रतिशत उत्तरदाता व 4.33 प्रतिशत उत्तरदाता स्ंातोषजनक आवास में निवास करते है। यहाँ की अधिकांष जनसंख्या अच्छे आवास मे निवास करती है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि कामकाजी महिलाओ की अधिकांश संख्या अच्छे आवास में निवास करती है। तालिका के अनुसार कुल कामकाजी महिलाओं में से सर्वाधिक 80 प्रतिशत महिलाएँ के परिवार अच्छे आवास में निवास करते है तथा दूसरे स्थान पर 20 प्रतिशत सामान्य आवास में निवास करते हैं। जबकि घरेलू महिलाओं में से सर्वाधिक 68.67 प्रतिशत महिलाओं के परिवार अच्छे आवास में निवास करती है। तथा दूसरे स्थान पर 64 प्रतिशत सामान्य आवास में निवास करते हैं और 8.67 प्रतिशत महिलाओं के परिवार स्ंातोषजनक आवास में निवास करते हैं। उत्तरदाताओं के परिवार में सदस्यों की संख्या, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- उत्तरदाताओं के परिवार में सदस्यों की संख्या का अध्ययन इस तथ्य को ध्यान में रखकर किया गया है कि परिवार में सदस्यों की संख्या कितनी है तथा आय के साधनों व सदस्य संख्या का परिवार की महिलाओं के विकास, शिक्षा, चिकित्सा, भोजन, स्वास्थ्य, आवास व जीवन स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है। शोधार्थी ने उत्तरदाताओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं सदस्य संख्या से संबंधित तथ्यों का संकेन्द्रण किया है जिन्हें निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है। सारणी 4.6 उत्तरदाताआं के परिवार में सदस्य संख्या के आधार पर वर्गीकरण सदस्य संख्या कामकाजी व घरेलू महिला आवृत्ति प्रतिशत 4 से कम 105 35.00 4 से 8 107 35.67 8 से अधिक 88 29.33 कुल 300 100.00



रेखाचित्र संख्या 4.6

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं के परिवार में सदस्यों की संख्या 4 से कम है। 4 से 8 सदस्यों वाले परिवारों का प्रतिशत 35.67 एवं 8 से अधिक सदस्यों वाले परिवारों का प्रतिशत 29.33 है। इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि अधिकांश प्रतिनिधियों के परिवार 4-8 सदस्यों की संख्या वाले हैं। परिवार नियोजन एवं सीमित परिवार की उपयोगिता अध्ययन क्षेत्र में देखने को मिलती है। लेकिन कृषक परिवार, मुस्लिम परिवार आदि में जितने हाथ उतने काम एवं उतनी ही आर्थिक मदद मिलने वाली प्रवृत्ति देखने को पाई गई। अध्ययन क्षेत्र में पारिवारिक सदस्यों की संख्या समाज में विकास के लिए उचित नहीं है क्योंकि एकल परिवारों की बहुलता होने के बावजूद भी एक परिवार में सदस्यों की संख्या 4 से 8 हैं।

उत्तरदाताओं के कार्यों का विभाजन, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र- समाजशास्त्रीय दृष्टि से किसी भी व्यक्ति के कार्य की प्रकृति समाज में उसकी प्रस्थिति का निर्धारण करती है क्योंकि कार्य की प्रकृति से व्यक्ति के स्वास्थ्य, शिक्षा, रहन-सहन, खान-पान से सीधा सम्बन्ध है। परिवार में कार्यों का विभाजन स्त्री-पुरूष के मध्य लैंगिक आधार पर किया जाता है। महिलाओं की आर्थिक प्रस्थिति भी समाज में उसके पद, सम्मान व प्रतिष्ठा का निर्धारण करती है। शोधार्थी ने इस पृष्ठभूमि के साथ उत्तरदाताओं के कार्य की प्रकृति को जानने का प्रयास किया जिसे निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है। सारणी 4.7 उत्तरदाताओं द्वारा किये जाने वाले कार्य के आधार पर वर्गीकरण कार्य कामकाजी व घरेलू महिला आवृत्ति प्रतिशत घरेलू कार्य (गृहिणी) 150 50 नौकरी पेशा 106 35.33 दुसरों के धर मे झाड़ू पांेछा करना 6 2 दुकान पर काम 12 4 आफिस जाना 16 5.33 मजदूरी 8 2.66 अन्य 2 0.66 कुल 300 100.00

रेखाचित्र संख्या 4.7

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि प्रतिनिधियों में 50 प्रतिशत उत्तरदाता घरेलू कार्य (गृहिणी) है। 35.33 प्रतिशत उत्तरदाता नौकरी पेशा है। 2 प्रतिशत उत्तरदाता दुसरों के धर मे झाड़ू पांेछा करने का कार्य करती हैं व 4 प्रतिशत उत्तरदाता दुकान पर काम करती हैं। 5.33 प्रतिशत आफिस जाने का कार्य करती हैं। 2.66 प्रतिशत उत्तरदाता मजदूरी व 0.66 प्रतिशत उत्तरदाता अन्य क्षेत्र में कार्यरत है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि 50 प्रतिशत उत्तरदाता घरेलू कार्य (गृहिणी) है तथा 50 प्रतिशत उत्तरदाता नौकरी पेशा है अथवा कार्यरत है। विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत उत्तरदाताओं में से सर्वाधिक नौकरी पेशा वर्ग की है।

यदि नौकरी पेशा है तो किस क्षेत्र में, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.8 नौकरी का क्षेत्र कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत सरकारी 106 70.67 गैर सरकारी 44 29.33 कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.8

तालिका संख्या 4.8 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि कुल 150 कामकाजी महिलाओं में से 70.67 सरकारी तथा 29.33 प्रतिशत महिलाएँ गैर सरकारी क्षेत्र में नौकरी पेशा महिलाएँ है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ सरकारी नौकरी में हैं। आप आफिस कितने बजे जाती हैं ? प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.9 आफिस का समय कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत 6-7 बजे 87 58 7-8 बजे 30 20 8-9 बजे 18 12 9-10 बजे 15 10 कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.9

तलिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 58 प्रतिशत महिलाएँ 6-7 बजे सुबह में आफिस जाती हैं। 20 प्रतिशत 7-8 बजे के बीच, 12 प्रतिशत महिलाएँ 8-9 के बीच, 10 प्रतिशत महिलाएँ 9-10 बजे के बीच आफिस जाती हैं। तलिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक संख्या महिलाओं की है जो 6-7 बजे के बीच आफिस जाती हैं। जबकि 9-10 बजे के बीच आफिस जाने वाली महिलाओं की संख्या केवल 10 प्रतिशत है। कामकाजी महिलाएँ आफिस से घर कितने बजे घर पहुँचती है ? प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.10 आफिस से घर पहुँचने का समय कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत 2-3 बजे 38 25.33 3-5 बजे 66 44 5-6बजे 20 13.33 6-8 बजे 23 15.33 8 बजे के बाद 3 2 कुल 150 100



रेखाचित्र संख्या 4.10

तालिका संख्या 4.10 कामकाजी महिलाएँ आफिस से घर कितने बजे घर पहुँचती है से सम्बन्धित है। तलिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 25 प्रतिशत महिलाएँ 2-3 बजे दोपहर में घर आ जाती हैं। 44 प्रतिशत 3-5 बजे के बीच, 13 प्रतिशत महिलाएँ 5-6 के बीच, 15 प्रतिशत महिलाएँ 6-8 बजे के बीच घर पहुँचती हैं और 3 प्रतिशत महिलाएँ 8 बजे के बाद आॅफिस से घर पहुँचती हैं। तलिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक संख्या महिलाओं की है जो 3-5 बजे के बीच घर पहुँच जाती हैं। जबकि 8 बजे के बाद घर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या केवल 3 प्रतिशत है। अतः औसतन महिलाएँ 4-6 के बीच घर पहुँच जाती हैं।


कामकाजी महिलायें प्रतिदिन घर पर खाना बनाती है या नहीं, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.11 प्रतिदिन घर पर खाना बनाना कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	117	78
नहीं	27	18

कभी नहीं 6 4 कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.11


तालिका संख्या 4.11 कामकाजी प्रतिदिन घर पर खाना बनाती है या नहीं से सम्बन्धित है, तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 78 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे घर पर प्रतिदिन खाना बनाती है। 18 प्रतिशत ने कहा वे प्रतिदिन घर पर खाना नहीं बनाती हैं जबकि 4 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे घर पर खाना कभी नहीं बनाती। कमकाजी तालिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि अधिकांश कामकाजी महिलाएँ प्रतिदिन घर पर खाना बनाती है। जबकि केवल 4 प्रतिशत ही महिलाएँ हैं जो घर पर कभी खाना नहीं बनाती। कामकाजी महिलाओं का कार्यस्थल घर से कितनी दूरी पर है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.12 कार्यस्थल से घर की दूरी कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत 1-2 किलोमीटर 56 37.33 2-5 किलोमीटर 37 24.66 5-10 किलोमीटर 30 20 10-15 किलोमीटर 27 18 कुल 150 100


रेखाचित्र संख्या 4.12

तालिका संख्या 4.12 कामकाजी महिलाओं का कार्यस्थल घर से कितनी दूरी पर है से सम्बन्धित है तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 37.33 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं का कार्यस्थल 1-2 किलोमीटर के परिक्षेत्र में ही है 24.66 प्रतिशत महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर से 2-5 किलोमीटर की दूरी पर 20 प्रतिशत का 5-10 किलोमीटर के परिक्षेत्र है। जबकि 15.33 प्रतिशत महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर से 15 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है। तलिका के अध्ययन से स्पष्अ होता है कि अधिकांश महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर से 1-2 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि 5-10 किलोमीटर के परिक्षेत्र में भी 20 प्रतिशत महिलाओं के कार्यस्थल है। अतः औसतन कामकाजी महिलाओं का कार्यक्षेत्र 2-10 किलोमीटर के परिक्षेत्र में है।

कामकाजी महिलाएँ रेस्टोरेन्ट या होटल में खाना पसन्द करती हैं , प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.13 रेस्टोरेन्ट या होटल में खाना कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	63	42
नहीं	87	58

कुल 150 100 रेखाचित्र संख्या 4.13

तालिका संख्या 4.13 कामकाजी महिलाएँ रेस्टोरेन्ट या होटल में खाना पसन्द करती हैं से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 42 प्रतिशत महिलाएँ होटल या रेस्टोरेन्ट का खाना पसन्द करती है जबकि 58 प्रतिशत महिलाएँ होटल व रेस्टोरेन्ट का खाना पसन्द नहीं करती। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि लगभग समान संख्या में महिलाएँ होटल का खाना पसन्द करती है और नहीं करती है। कामकाजी महिलाएँ अपने बच्चों के साथ रेस्टोरेन्ट जाती है या नहीं से सम्बन्धित, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.14 बच्चों के साथ रेस्टोरेन्ट कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	89	59.33
नहीं	61	40.66

कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.14

तालिका संख्या 4.14, कामकाजी महिलाएँ अपने बच्चों के साथ रेस्टोरेन्ट जाती है या नहीं से सम्बन्धित, है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 59.33 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे बच्चों के साथ होटल का खाना पसन्द करती हैं जबकि 40.66 प्रतिशत महिलाएँ रेस्टोरेन्ट जाना पसन्द नहीं करती है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि जो महिलाएँ रेस्टोरेन्ट का खाना पसन्द करती है उनमें से अधिकांश महिलाएँ बच्चों के साथ होटल या रेस्टोरेन्ट जाना पसन्द करती हैं। यदि हाँ तो कब , प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.15 बच्चों के साथ रेस्टोरेन्ट जाने का समय कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत सप्ताह में एक दिन 60 8 सप्ताह के दो दिन 35 13.33 10-15 दिन पर 23 15.33 महीने में एक बार 20 13.33 23.33 कभी-कभार 12 40 कुल 150 100 रेखाचित्र संख्या 4.15

तालिका संख्या 4.15 यदि हाँ तो कब ? से सम्बन्धित है। तालिका संख्या 4.15 के अनुसार लगभग 40 प्रतिशत महिलाएँ कभी कभार, 23.33 प्रतिशत महिलाएँ महीने में एक बार, 15.33 प्रतिशत महिलाएँ 10-15 दिन पर 13.33  प्रतिशत, महिलाएँ सप्ताह में दो दिन तथा 8 प्रतिशत महिलाएँ सप्ताह में एक दिन बच्चों के साथ रेस्टोरेन्ट या होटल में जाती हैं। स्पष्ट है कि औसतन महिलाएँ एक महीने या कभी कभी ही रेस्टोरेन्ट जाती है।

शिक्षा ने महिलाओं को कामकाजी बनने के लिए प्रेरित किया है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.16 शिक्षा ने प्रेरित किया कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	237	79
नहीं	63	21

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.16

	तालिका संख्या 4.16 शिक्षा ने महिलाओं को कामकाजी बनने के लिए प्रेरित किया है से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 79  प्रतिशत महिलाओं ने इस सम्बन्ध में साकारात्मक उत्तर दिया तथा 21 प्रतिशत महिलाओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। 

तलिका के अध्ययन से ज्ञात होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात को मानती हैं कि शिक्षा ने महिलाओं को कामकाजी बनने के लिए प्रेरित किया है।


क्या शिक्षित महिलाएँ भी घरेलू हो सकती हैं से सम्बन्धित है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र तालिका संख्या 4.17 शिक्षा ने प्रेरित किया कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	207	 69
नहीं	93	31

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.17

तालिका संख्या 4.17, क्या शिक्षित महिलाएँ भी घरेलू हो सकती हैं से सम्बन्धित है, तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 69 प्रतिशत महिलाएँ यह मानती हैं कि शिक्षित महिलाएँ भी घरेलू हो सकती है जबकि 31 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि शिक्षित महिलाएँ घरेलू नहीं हो सकती।

तालिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाओं का यह मानना है कि शिक्षित महिलाएँ भी घरेलू हो सकती हैं।

क्या परिवार की जिम्मेदारियाँ महिलाओं को घरेलू कार्य करने के लिए प्रेरित करती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं रेखाचित्र 

तालिका संख्या 4.18 शिक्षा ने प्रेरित किया कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	243	 81
नहीं	57	 19

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.18

	तालिका संख्या 4.18, क्या परिवार की जिम्मेदारियाँ महिलाओं को घरेलू कार्य करने के लिए प्रेरित करती है,से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 81  प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि परिवार की जिम्मेदारिया महिलाओं को घरेलू कार्य करने के लिए प्रेरित करती है जबकि 20.19 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि परिवार की जिम्मेदारिया महिलाओें को घरेलू कार्य करने के लिए किसी भी प्रकार प्रेरित नहीं करती।

तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि अधिकांश महिलाओं का मानना है कि परिवार की जिम्मेदारिया महिलाओं को घरेलू कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। माता ही बच्चों के भावी स्वस्थ जीवन की आधारशिला है , प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.19 माता ही जीवन की आधारशिला कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	150	100
नहीं	00	00

कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.19

तालिका संख्या 4.19, माता ही बच्चों के भावी स्वस्थ जीवन की आधारशिला है से सम्बन्धित है तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 100 प्रतिशत महिलाएँ इस बात से सहमत है कि बच्चे के स्वस्थ जीवन की आधारशिला माता है जबकि इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर किसी भी महिला ने नहीं दिया। महिलाओं के कामकाजी होने से उनके बच्चों के जीवन में सुधार होता है , प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.20 कामकाजी होने से उनके बच्चों के जीवन में सुधार कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	123	 82
नहीं	27	18

कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.20

तालिका संख्या 4.20 महिलाओं के कामकाजी होने से उनके बच्चों के जीवन में सुधार होता है , से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 82 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि महिलाओं के कामकाजी होने से उनके बच्चों के जीवन स्तर में सुधार होता है। जबकि केवल 18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि महिलाओं के कामकाजी होने से उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। महिलाओं के घरेलू होने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.21 घरेलू होने से बच्चे स्वस्थ कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	174	58
नहीं	126	42

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.21

तालिका संख्या- 4.21 महिलाओं के घरेलू होने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 58 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि महिलाओं के घरेलू होने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं जबकि 42 प्रतिशत महिलाएं इस बात से सहमत नहीं है कि महिलाओं के घरेलू होने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं।

तालिका के अध्ययन से स्पष्ट होता है के अधिक संख्या में महिलाएं यह मानती है कि घरेलू होने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं। परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.22 परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	300	100
नहीं	00	00

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.22

तालिका संख्या 4.22 परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है से सम्बन्धित है।तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 100 प्रतिशत महिलाएँ इससे सहमत है कि बच्चों की प्रथम पाठशाला परिवार ही होती है। सभी महिलाएँ मानती है कि परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है आप मानती है कि माता ही बच्चों की प्रथम अध्यापिका होती है प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.23

माता ही बच्चों की प्रथम अध्यापिका कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	300	100
नहीं	00	00

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.23

तालिका संख्या 4.23 आप मानती है कि माता ही बच्चों की प्रथम अध्यापिका होती है से सम्बन्धित है।तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 100 प्रतिशत महिलाएँ इससे सहमत है कि बच्चों की प्रथम पाठशाला परिवार ही होती है। स्पष्ट है कि सभी महिलाएँ मानती है कि परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है तथा माता ही बच्चों की प्रथम अध्यापिका होती है।

आप मानती है कि स्वस्थ बच्चे स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते है प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.24 परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	300	100
नहीं	00	00

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.24

तालिका संख्या 4.24 आप मानती है कि स्वस्थ बच्चे स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते है से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 100 प्रतिशत महिलाएँ इससे सहमत है कि स्वस्थ बच्चे स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते है । स्पष्ट है कि सभी महिलाएँ मानती है कि स्वस्थ बच्चे स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते है। आप मानती है कि कामकाजी माँ के बच्चे व्यवहारिक होते हैं, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.25 कामकाजी माँ के बच्चे व्यवहारिक कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	276	92
नहीं	24	8

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.25

तालिका संख्या 4.25 आप मानती है कि कामकाजी माँ के बच्चे व्यवहारिक होते हैं, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 92 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि महिलाओं के कामकाजी होने से उनके बच्चों के जीवन स्तर में सुधार होता है। जबकि केवल 8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी माँ के बच्चे व्यवहारिक होते हैं। आप मानती हैं कि कामकाजी माँ के बच्चे काम और समय का महत्व अच्छी तरह समझते है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.26 कामकाजी माँ के बच्चे काम और समय का महत्व कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	204	68
नहीं	96	32

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.26


तालिका संख्या 4.26 आप मानती हैं कि कामकाजी माँ के बच्चे काम और समय का महत्व अच्छी तरह समझते हैं से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 68 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि कामकाजी माँ के बच्चे काम और समय का महत्व अच्छी तरह समझते हैं। जबकि केवल 32 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी माँ के बच्चे काम और समय का महत्व अच्छी तरह समझते हैं। आप मानती हैं कि कामकाजी माँ जीवन मेें कुछ सार्थक करने का संदेश भी देती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.27 सार्थक करने का संदेश कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	216	72
नहीं	84	28

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.27

तालिका संख्या 4.27 आप मानती हैं कि कामकाजी माँ जीवन मेें कुछ सार्थक करने का संदेश भी देती है, प्रश्न से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि 72 प्रतिशत कामकाजी माँ जीवन मेें कुछ सार्थक करने का संदेश भी देती है, जबकि केवल 28 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी माँ जीवन मेें कुछ सार्थक करने का संदेश भी देती है, मानती है कि घरेलू माँ जीवन में कुछ अच्छा संदेश देती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.28 कुछ अच्छा संदेश कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	132	44
नहीं	168	56

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.28

तालिका संख्या 4.28 मानती है कि घरेलू माँ जीवन में कुछ अच्छा संदेश देती है से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 44 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ जीवन में कुछ अच्छा संदेश देती है जबकि केवल 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तालिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि घरेलू माँ जीवन में कुछ अच्छा संदेश देती है । कामकाजी महिलाओं के बच्चों में आत्मविश्वास अधिक होता है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.29 आत्मविश्वास अधिक कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	276	92
नहीं	24	08

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.29

तालिका संख्या 4.29 कामकाजी महिलाओं के बच्चों में आत्मविश्वास अधिक होता है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 92 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में आत्मविश्वास अधिक होता है, जबकि केवल 08 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में आत्मविश्वास अधिक होता है, आप मानती है कि घरेलू महिलाओं के बच्चे आत्मविश्वास में कमजोर होते हैं, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.30 आत्मविश्वास में कमजोर कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	126	42
नहीं	174	58

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.30

तालिका संख्या 4.30 घरेलू महिलाओं के बच्चे आत्मविश्वास में कमजोर होते हैं, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 42 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू महिलाओं के बच्चे आत्मविश्वास में कमजोर होते हैं, जबकि केवल 58 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घरेलू महिलाओं के बच्चे आत्मविश्वास में कमजोर होते हैं। आप मानती हैं कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत पड़ जाती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.31 बच्चों में अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	174	58
नहीं	126	42

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.31

तालिका संख्या 4.31 आप मानती हैं कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत पड़ जाती है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 58 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत पड़ जाती है,। जबकि केवल 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत पड़ जाती है। आप मानती है कि घरेलू महिलाओं के बच्चें स्वयं निर्णय नहीं ले पाते है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.32 बच्चें स्वयं निर्णय नहीं ले पाते कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	72	24
नहीं	228	76

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.32

तालिका संख्या 4.32 आप मानती है कि घरेलू महिलाओं के बच्चें स्वयं निर्णय नहीं ले पाते है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 24 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू महिलाओं के बच्चें स्वयं निर्णय नहीं ले पाते है। जबकि केवल 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घरेलू महिलाओं के बच्चें स्वयं निर्णय नहीं ले पाते है। आप मानती है कि कामकाजी महिला अपने बच्चों को मार्गदर्शन देती, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.33 कामकाजी महिला अपने बच्चों को मार्गदर्शन कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	331	77
नहीं	99	33

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.33


तालिका संख्या 4.33 आप मानती है कि कामकाजी महिला अपने बच्चों को मार्गदर्शन देती है , से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 82 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि कामकाजी महिला अपने बच्चों को मार्गदर्शन देती है। जबकि केवल 18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी महिला अपने बच्चों को मार्गदर्शन देती है। आप मानती है कि घरेलू माँ अपने बच्चों का मार्ग दर्शन नहीं कर पाती है , प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.34 बच्चों का मार्ग दर्शन नहीं कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	60	20
नहीं	240	80

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.34

तालिका संख्या 4.34 आप मानती है कि घरेलू माँ अपने बच्चों का मार्ग दर्शन नहीं कर पाती है , से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 20 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ अपने बच्चों का मार्ग दर्शन नहीं कर पाती है। जबकि केवल 80 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घरेलू माँ अपने बच्चों का मार्ग दर्शन नहीं कर पाती है । आप मानती है कि कामकाजी बच्चों को स्वयं लेकर खाना, पड़ता है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.35 स्वयं लेकर खाना, पड़ता है कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	246	82
नहीं	54	18

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.35

तालिका संख्या 4.35 आप मानती है कि कामकाजी बच्चों को स्वयं लेकर खाना, पड़ता है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 82 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि कामकाजी बच्चों को स्वयं लेकर खाना, पड़ता है। जबकि केवल 18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी बच्चों को स्वयं लेकर खाना, पड़ता हैै। आप मानती है कि घरेलू माँ के बच्चे खाना के प्रति लापरवाह होते है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.36 बच्चे खाना के प्रति लापरवाह कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	135	45
नहीं	165	55

कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.36


तालिका संख्या 4.36 आप मानती है कि घरेलू माँ के बच्चे खाना के प्रति लापरवाह होते है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 45 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ के बच्चे खाना के प्रति लापरवाह होते है जबकि केवल 55 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घरेलू माँ के बच्चे खाना के प्रति लापरवाह होते है। आप मानती है कि कामकाजी माँ के बच्चे फास्टफूड पर ज्यादा निर्भर रहते है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.37 बच्चे फास्टफूड पर ज्यादा निर्भर कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	195	65
नहीं	105	35

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.37

तालिका संख्या 4.37 आप मानती है कि कामकाजी माँ के बच्चे फास्टफूड पर ज्यादा निर्भर रहते है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 95 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि कामकाजी माँ के बच्चे फास्टफूड पर ज्यादा निर्भर रहते है, जबकि केवल 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तालिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि कामकाजी माँ के बच्चे फास्टफूड पर ज्यादा निर्भर रहते है। आप मानती है कि घरेलू माँ के बच्चे फास्टफूड नहीं खाते है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.38 बच्चे फास्टफूड नहीं खाते कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	144	48
नहीं	156	52

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.38

तालिका संख्या 4.38 आप मानती है कि घरेलू माँ के बच्चे फास्टफूड नहीं खाते है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 48 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ के बच्चे फास्टफूड नहीं खाते है। जबकि केवल 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घरेलू माँ के बच्चे फास्टफूड नहीं खाते है। घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों के खोने को लेकर ज्यादा चिंतित रहती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.39 बच्चों के खोने को लेकर ज्यादा चिंतित कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	174	58
नहीं	126	42

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.39

तालिका संख्या 4.39 घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों के खोने को लेकर ज्यादा चिंतित रहती है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 58 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों के खोने को लेकर ज्यादा चिंतित रहती है, जबकि केवल 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों के खोने को लेकर ज्यादा चिंतित रहती है। घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों का खाना बनाते समय पोषक तत्वों का ध्यान रखती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.40 पोषक तत्वों का ध्यान कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	201	67
नहीं	99	33

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.40

तालिका संख्या 4.40 घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों का खाना बनाते समय पोषक तत्वों का ध्यान रखती है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 67 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों का खाना बनाते समय पोषक तत्वों का ध्यान रखती है,। जबकि केवल 33 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि घरेलू माँ की अपेक्षा कामकाजी माँ अपने बच्चों का खाना बनाते समय पोषक तत्वों का ध्यान रखती है। आप मानती है कि एक घरेलू माँ को पोषक तत्वों की जानकारी होती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.41

पोषक तत्वों की जानकारी	कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं

संख्या प्रतिशत

हाँ	81	27
नहीं	219	73

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.41

तालिका संख्या 4.41 आप मानती है कि एक घरेलू माँ को पोषक तत्वों की जानकारी होती है,से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 27 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि एक घरेलू माँ को पोषक तत्वों की जानकारी होती है, जबकि केवल 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि एक घरेलू माँ को पोषक तत्वों की अधिक जानकारी होती है। घरेलू माँ अपने बच्चों को सलाद खाने के लिए प्रेरित करती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.42

सलाद खाने के लिए प्रेरित	कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं

संख्या प्रतिशत

हाँ	105	35
नहीं	195	65

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.42

तालिका संख्या 4.42 घरेलू माँ अपने बच्चों को सलाद खाने के लिए प्रेरित करती है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 35 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घरेलू माँ अपने बच्चों को सलाद खाने के लिए प्रेरित करती है, जबकि केवल 65 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घरेलू माँ अपने बच्चों को सलाद खाने के लिए प्रेरित करती है। घर पर रहने वाली स्त्री अपने बच्चों को गाजर, मूली, चुकन्दर तथा दूध और मौसम के अनुसार मिलने वाले फलों को खिलाती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.43 मौसम के अनुसार मिलने वाले फलों कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	126	42
नहीं	174	58

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.43

तालिका संख्या 4.43 घर पर रहने वाली स्त्री अपने बच्चों को गाजर, मूली, चुकन्दर तथा दूध और मौसम के अनुसार मिलने वाले फलों को खिलाती है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 42 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि घर पर रहने वाली स्त्री अपने बच्चों को गाजर, मूली, चुकन्दर तथा दूध और मौसम के अनुसार मिलने वाले फलों को खिलाती है, जबकि केवल 58 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से असहमत है कि घर पर रहने वाली स्त्री अपने बच्चों को गाजर, मूली, चुकन्दर तथा दूध और मौसम के अनुसार मिलने वाले फलों को खिलाती है। आप जब आॅफिस से घर आती है तब बच्चों के लिये चाॅकलेट/टाॅफी/कुरकुरे आदि खाद्य पदार्थ लाती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.44 बच्चों के लिये चाॅकलेट/टाॅफी/कुरकुरे कामकाजी महिलाएं संख्य प्रतिशत

हाँ	135	45
नहीं	165	55

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.44


तालिका संख्या 4.44 आप जब आॅफिस से घर आती है तब बच्चों के लिये चाॅकलेट/टाॅफी/कुरकुरे आदि खाद्य पदार्थ लाती है,से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 45 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि जब वह आॅफिस से घर आती है तब बच्चों के लिये चाॅकलेट/टाॅफी/कुरकुरे आदि खाद्य पदार्थ लाती है,जबकि केवल 18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि जब वह आॅफिस से घर आती है तब बच्चों के लिये चाॅकलेट/टाॅफी/कुरकुरे आदि खाद्य पदार्थ लाती है, आप का बच्चा आलू की सूखी सब्जी (भुजिया) सर्वाधिक पसंद करता है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.45 आलू की सूखी सब्जी (भुजिया) सर्वाधिक पसंद कामकाजी महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	180	60
नहीं	120	40

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.45

तालिका संख्या 4.45 आप का बच्चा आलू की सूखी सब्जी (भुजिया) सर्वाधिक पसंद करता है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 82 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि उनका बच्चा आलू की सूखी सब्जी (भुजिया) सर्वाधिक पसंद करता है, जबकि केवल 18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि उनका बच्चा आलू की सूखी सब्जी (भुजिया) सर्वाधिक पसंद करता है। आप का बच्चा हरी सब्जियों को देखकर मुंख मोड़ लेता है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.46 हरी सब्जियों को देखकर मुंख मोड कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

हाँ	198	66
नहीं	102	34

कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.46

तालिका संख्या 4.46 आप का बच्चा हरी सब्जियों को देखकर मुंख मोड़ लेता है से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 66 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं का मानना है कि उनका बच्चा हरी सब्जियों को देखकर मुंख मोड़ लेता है जबकि केवल 34 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सम्बन्ध में नाकारात्मक उत्तर दिया। तलिका के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश महिलाएँ इस बात से सहमत है कि उनका बच्चा हरी सब्जियों को देखकर मुंख मोड़ लेता है। कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से किस प्रकार अलग होता है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.47 परिवार का स्वास्थ्य कमकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत

उत्तम होता है	105	35
मध्यम होता है	120	40

सामान्य होता है 75 25 कुल 300 100

रेखाचित्र संख्या 4.47

तालिका संख्या 4.47 कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से किस प्रकार अलग होता है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 35 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से उत्तम होता है, 40 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से मध्यम होता है, 25 प्रतिशत का कामकाजी कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से सामान्य होता है। तलिका के अध्ययन से स्पष्द होता है कि अधिकांश कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से मध्यम होता है, जबकि 35 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं के परिवार का स्वास्थ्य एक घरेलू गृहिणी के परिवार के स्वास्थ्य से उत्तम होता है। आप घर से बाहर कितना समय व्यतीत करती है, प्रश्न का सारिणीयन, विश्लेषण एवं लेखाचित्र तालिका संख्या 4.48 घर से बाहर कितना समय कामकाजी एवं घरेलू महिलाएं संख्या प्रतिशत 5 घण्टे 45 15 7 घण्टे 120 40 10 घण्टे 105 35 12 घण्टे 30 10 कुल 150 100

रेखाचित्र संख्या 4.48

तालिका संख्या 4.48 आप घर से बाहर कितना समय व्यतीत करती है, से सम्बन्धित है। तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि 15 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं 5 घण्टे घर से बाहर समय व्यतीत करती है, 40 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं 7 घण्टे घर से बाहर, 35 प्रतिशत का कामकाजी महिलाएं 10 घण्टे जबकि 10 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं 12 घण्टे घर से बाहर समय व्यतीत करती है । तलिका के अध्ययन से स्पष्द होता है कि अधिकांश महिलाएं 7 घण्टे घर से बाहर समय व्यतीत करती है, जबकि 10 घण्टे घर से बाहर समय व्यतीत करने वाली महिलाएं 20 प्रतिशत है।