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लोक-शैली ‘रसिया’ पर आधारित kavirameshraj की तेवरियाँ Kavirameshraj (वार्ता) 10:11, 31 अगस्त 2016 (UTC)[संपादित करें]

|| लोक-शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

…………………………………………………………………..1.

मीठे सोच हमारे, स्वारथवश कड़वाहट धारे

भइया का दुश्मन अब भइया घर के भीतर है।


इक कमरे में मातम, भूख गरीबी अश्रुपात गम

दूजे कमरे ताता-थइया घर के भीतर है।


नित दहेज के ताने, सास-ननद के राग पुराने

नयी ब्याहता जैसे गइया घर के भीतर है।


नम्र विचार न भाये, सब में अहंकार गुर्राये

हर कोई बन गया ततइया घर के भीतर है।


नये दौर के बच्चे, तुनक मिजाजी-अति नकनच्चे

छटंकी भी अब जैसे ढइया घर के भीतर है।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

……………………………………………………………………………………..2.

खद्दरधरी पट्ठा, जन-जन के अब तोड़ें गट्टा

बापू के भारत में कट्टा देख सियासत में।


तेरे पास न कुटिया, तन पर मैली-फटी लँगुटिया

नेताजी का ऊंचा अट्टा देख सियासत में।


तेरी मुस्कानों पर, रंगीं ख्वाबों-अरमानों पर

बाजों जैसा रोज झपट्टा देख सियासत में।


खुशहाली के वादे, तूने भाँपे नहीं इरादे

वोट पाने के बाद सिंगट्टा देख सियासत में।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

………………………………………………………………………….3.

बेपेंदी का लोटा, जिसका चाल-चलन है खोटा

उससे हर सौदे में टोटा आना निश्चित है।


जो गोदाम डकारे, जिसका पेट फूलकर मोटा

उसके हिस्से में हर कोटा आना निश्चित है।


रेखा लाँघे सीता, रावण पार करे परकोटा

इस किस्से में किस्सा खोटा आना निश्चित है।


उसकी खातिर सोटा, जिसने बाँध क्रान्ति-लँगोटा

विद्रोही चिन्तन पर ‘पोटा’ आना निश्चित है।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

………………………………………………………………………….4.

रोयें पेड़ विचारे, जैसे वधिक सामने गइया

कुल्हाड़ी देख-देख डुगलइया थर-थर काँप रही।


वाणी डंक हजारों, पूत का जैसे रूप ततइया

उसके आगे बूढ़ी मइया थर-थर काँप रही।


मन आशंका भारी, जीवन की डगमग है नइया

बाज को आता देख चिरइया थर-थर काँप रही।


जहाँ घोंसला उसका, अब है भारी खटका भइया

साँप को देख रही गौरइया, थर-थर काँप रही।


गैंग-रेप की मारी, जिसका एक न धीर-धरइया

अबला कैसे सहै चबइया, थर-थर काँप रही।


बन बारूद गया है जैसे सैनिक युद्ध-लड़इया

कबूतर को अब देख बिलइया थर-थर काँप रही।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

………………………………………………………………………………….5.

राजनीति के हउआ, कपिला गाय खौंटते कउआ

निधरन को नित नये बनउआ देखे इस जग में।


नीम-आम मुरझायें, नागफनी-सेंहड़ लहरायें

सूखा में भी हरे अकउआ देखे इस जग में।


जो हैं गांधीवादी, वे सारे व्यसनों के आदी

उनके पड़े जेब में पउआ देखे इस जग में।


क्या बाबू-, क्या जज या डी.एम-मिनिस्टर

ज्यादातर रिश्वत के खउआ देखे इस जग में।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

…………………………………………………………....................6.

नदी किनारे पंडा, सबको मूड़ रहे मुस्तंडा

धर्म से जुड़ा लूट का फंडा पूरे भारत में।


अब तो चैनल बाबा, जनश्रद्धा पर बोलें धावा

ऐंठकर दौलत बांधें गंडा पूरे भारत में।


लोकतंत्र के नायक, खादी-आजादी के गायक

थामे भ्रष्टतंत्र का झंडा पूरे भारत में।


घनी रात अँधियारी, खोयी प्यारी सुई हमारी

उसको टूँढें हम बिन हंडा पूरे भारत में।


मोहनभोग खलों को, सारे सुख-संयोग खलों को

सज्जन को सत्ता के डंडा पूरे भारत में।


सोफे ऊपर बैठी, विदेशी दे आदेश कनैटी

देशी नीति पाथती कंडा पूरे भारत में।


हम सबने फल त्यागे, लस्सी देख दूर हम भागे

प्यारे कोकाकोला-अंडा पूरे भारत में।


आबदार अपमानित, जिसने किया सदा यश अर्जित

अब तो सम्मानित हैं बंडा पूरे भारत में।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

……………………………………………………………………………7.

सुनना मेरे बाबुल, बछिया बहुत तिहारी व्याकुल

बगिया का मुरझाया-सा गुल, दुःख की मारी है।


सत्य मानियो मइया, पिंजरे में है सोच चिरइया

ततइया ससुर, सास बरइया, ननद कुठारी है।


क्या बतलाऊँ दीदी, कितने घाव दिखाऊँ दीदी

और तो और जिठानी बैरिन बनी हमारी है।


सुन लो चाचा-चाची, मैं कहती हूँ साँची-साँची

देने की अब मुझको फाँसी की तैयारी है।


सब दहेज के भूखे, देवर-जेठ, बाप पप्पू के

हर कोई कुत्ते-सा भूके बारी-बारी है।


बधिकों के द्वारे पर, अब दिन-रात काँपती थर-थर

बँधी रहेगी बोलो कब तक गाय तुम्हारी है?

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

............................................................8.

बदले सोच हमारे, हम हैं कामक्रिया के मारे

अबला जिधर चले इक छिनरा पीछे-पीछे है।


दालें भरें उछालें, कैसे घर का बजट सम्हालें

मूँग-मसूड़-उड़द के मटरा पीछे-पीछे है।


देखा दाना बिखरा, चुगने बैठ गयी मन हरषा

चिडि़या जान न पायी पिंजरा पीछे-पीछे है।


मननी ईद किसी की, कल चमकेगी धार छुरी की

कसाई आगे-आगे बकरा पीछे-पीछे है।


साधु नोचता तन को, कलंकित करे नारि-जीवन को

अंकित करता ‘रेप’ कैमरा पीछे-पीछे है।


आज जागते-सोते, हम अन्जाने डर में होते

लगता जैसे कोई खतरा पीछे-पीछे है।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

………………………………………………………………………………9.

पूँजीवादी चैंटे, कुछ दिन खुश हो लें करकैंटे

जनवादी चिन्तन की खिल्ली चार दिनों की है।


राजनीति के हउआ, कुछ दिन मौज उड़ालें कउआ

सत्ता-मद में डूबी दिल्ली चार दिनों की है।


ओढ़े टाट-बुरादा, फिर भी ऐसे जिये न ज्यादा

गलती हुई बरफ की सिल्ली चार दिनों की है।


अब घूमेगा डंडा, इसकी पड़े पीठ पर कंडा

दूध-मलाई चरती बिल्ली चार दिनों की है।


कांपेंगे मुस्तंडे, अब अपने हाथों में डंडे

जन की चाँद नापती गिल्ली चार दिनों की है।


शोषण करती तोंदें , कल संभव है शोषित रौंदें

फूलते गुब्बारे की झिल्ली चार दिनों की है।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

…………………………………………………………………………………..10.

त्यागी वे चौपालें, मन की व्यथा जहाँ बतिया लें

अब तो चिलम-‘बार के हुक्का’ हमको प्यारे हैं।


नूर टपकता हरदम, उन बातों से दूर हुए हम

लुच्चे लपका लम्पट फुक्का हमको प्यारे हैं।


हर विनम्रता तोड़ी, हमने रीति अहिंसक छोड़ी

गोली चाकू घूँसा मुक्का हमको प्यारे हैं।


कोकक्रिया के अंधे, हमने काम किये अति गन्दे

गली-गली के छिनरे-लुक्का हमको प्यारे हैं।


धर्म-जाति के नारे, यारो अब आदर्श हमारे

सियासी धन-दौलत के भुक्का हमको प्यारे हैं ।

+रमेशराज


|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||

……………………………………………………………………………..11.

तेरे हाथ न रोटी, उत मुर्गा की टाँगें-बोटी

नेता उड़ा रहे रसगुल्ला, प्यारे देख जरा।


खड़ी सियासत नंगी, जिसकी हर चितवन बेढंगी

ये बेशर्मी खुल्लमखुल्ला, प्यारे देख जरा।


नेता करें सभाएँ, छल को नैतिक-धर्म बताएँ

इनके अपशब्दों का कुल्ला, प्यारे देख जरा।


गर्दन कसता फंदा, छीले सुख को दुःख का रंदा

सर पै रोज सियासी टुल्ला, प्यारे देख जरा।


नश्वर जगत बताकर, तेरे भीतर स्वर्ग जगाकर

लूटने जुटे पुजारी-मुल्ला, प्यारे देख जरा।

………………………………………………………………………………..

+रमेशराज, 15/109 , ईसानगर , अलीगढ़-202001

मोबा. 9634551630 07:57, 3 अक्टूबर 2016 (UTC)07:57, 3 अक्टूबर 2016 (UTC)07:57, 3 अक्टूबर 2016 (UTC)~

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Kavirameshraj (वार्ता) 13:41, 5 फरवरी 2017 (UTC)== ==