सदस्य वार्ता:Dipam.Sharma/प्रयोगपृष्ठ

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लूसिफ़ेर प्रभाव[संपादित करें]

लूसिफ़ेर प्रभाव एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव है जो यह समझाता है की कैसे आचे लोग बुरा कम करने पे मजबूर हो जाते है या कैसे आचे लोग प्रभाव मे आकर बुरा कम करने लगते है। लूसिफ़ेर प्रभाव एक पुस्तक है जो सन २००७ मे प्रकाशित हुई थी एवं एक पुस्तक 'लूसिफ़ेर प्रभाव' मे प्रोफेसर फिल्लिप ज़िम्बर्दो के, स्टैनफोर्ड जेल प्रयोग के बारे मे लिखी गए विस्तृत लेखा प्रस्तुत है। इस पुस्ताक्मै ३० साल के अनुसन्धान के पुअर विचार करके यह लिखा गया है की वह कोन कोन सी मनोवैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय कारण है जो एक आचे भले इंसान को बुरे कम करने पे मजबूर कर देती है। शीर्षक का नाम ईश्वर के पसंदीदा दूत, लूसिफर, अनुग्रह से उनकी गिरफ्तारी, और शैतान की भूमिका, बुराई के अवतार की उनकी धारणा की बाइबिल की कहानी से लिया गया है।

The cover of the book "LUCIFER EFFECT"

पुरस्कार[संपादित करें]

एस पुस्तक ने न ही केवल बेहत ज्ञान प्रदान किया बल्कि इस पुस्तक ने कई पुरस्कार भी हासिल किये जिनमे कुछ अत्यंत मेहेत्वापूर्ण पुरस्कार है न्यू यॉर्क नॉन-फ्रिक्शन बेस्ट सेलर एवं अमेरिकन मनोवाज्ञानिक संस्था का विलियम जेम्स पुस्तक पुरस्कार।

किताब के शुरुआत में लेखक अबू ग्रैब में हुए हिंसा के बारे में लिखते हैं। वह कहते है की लोग जो अच्छे थे वह उन जेलों में जाकर बदल गए और वह लोगों को कष्ट देने लगे। वह इतने क्रूर काम करते की लोगों का उनके बारे में राय ही बदल जाता। ज़िम्बार्डो यह समझना चाहते थे की कैसे लोग इस तरह बदल सकते है। वह यह कहते है की उन्होंने यह किताब यह समझने के लिए लिखा है की कैसे अच्छे लोग अचानक परिस्थितियों एवं इख्तियार के वजह से यह सब होता है। फिर वह कहते है कि स्टैनफोर्ड प्रयोग ने लोगो को ऐसी परिस्तिथि में डाला था कि लोगो की आत्म जागरूकता ही मानो गायब हो गयी थी। इस कारण उनको जो गार्ड बने थे वह इतने क्रूर थे की जो कैदी बने थे वह भी अपने भूमिका उसी तरह निबाह रहे थे। पुस्तक का पहला अध्याय पुस्तक का एक बहत मेहेत्वापूर्ण अंक है क्योकि यह अध्याय पुस्तक के मुख्य विषय के बारे में प्रकाश डालता है जो की है नैतिक बदलाव जो की प्रभावित होता है स्थिती, प्रणाली की ताकत एवं अन्य कारणों से। पुस्तक का मुख्य लम्बा भाग है अध्याय २ से लेके अध्याय ९ तक, एवं यह भाग स्टैनफोर्ड जेल मे किये गए प्रयोग का विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यह लेख वास्तविकता मे जो जो हुआ था बिलकुल वैसे ही लिखा गया है एवं उस समय मे खिचे गए कुछ तस्वीर भी इन अध्याय मे पाए जाते है। इस पुस्तक को पढने के बाद कई महँ व्यक्तियों ने इस पुस्तक के उपर समीक्षा दे एवं इस पुस्तक की बेहत तारीफ की। रोज म्च्देर्मोत्त ने इस पुस्तक के उपर समीक्षा देते हुए यह व्यक्त किया की इस किताब को मनोवज्ञान के कोर्स पुस्तक मे होना कहिये एवं यह भी व्यक्त किया की यह पुस्तक उनकी पढ़ी गए आज तक की समाज मनोव्यागन की आज तक की सर्वासिष्ठ पुस्तक है। इस पुस्तक का आखरी अध्याय साहस के विषय पर प्रकाश डालते हुए जो डर्बी, अबू घरीब के मुखबिर घटना एवं क्रिस्टीना मस्लाच जिसने ज़िम्बर्दो को इस प्रयोग को रोखने के लिए मनाया। रोबर्ट व् लेविने ने इस पुस्तक को पढके यह कहा की यह पुस्तक को बस समाज मनोवाज्ञानिक को ही नही बल्कि राजनेता मे मोजूद लोगो को एवं निर्णय निर्मतायो को और शिक्षको को भी पढना अत्यंत आवश्यक है।

<ref name="Philip Zimbardo"><https://en.wikipedia.org/wiki/Philip_Zimbardo/ref>

<ref name="Deindividuation"><https://en.wikipedia.org/wiki/Deindividuation/ref>

<ref name="The Stanford Experiment"><https://en.wikipedia.org/wiki/Stanford_prison_experiment/ref>