सदस्य वार्ता:Banti kumawat
विषय जोड़ें{{साँचा:सहायता|realName=|name=Banti kumawat} नया धर्म रंगीश धर्म 2024 धर्म 🟠🟡🟢🔵🟣🟤⚫⚪🔴🌱 धर्म - रंगीश धर्म धर्म प्रतीक - पेड़ का प्रतीक धर्म का भगवान - प्रकृति धर्म धर्म पाबंदी - नकाब चेहरा नकाब धर्म खान पान - कोई भी भोजन । धर्म पहनावा - कोई भी वस्त्र धर्म भाषा - सभी भाषा धर्म रंग - लाल काला पीला नीला हरा सफेद भूरा जामुनी आसमानी धर्म का उद्देश्य - भेद भाव नही करना एकता लाना । धर्म का प्रस्तावना- यह भगवान प्रकृति को मानता है धर्म का विवरण - इस धर्म को बनाने का मकसद प्रकृति को बचाना है तथा सभी जीव जन्तु मे एकता लाना है रग भेद को खत्म करना है इस धर्म से साइंस भी मानती है तथा साइंस कोई धर्म नही मानती पर इसे मानती क्योंकि इस धर्म कई रूप रेखा है यह मानव को ईश्वर नही मानती है क्योंकि अगर मानव ईश्वर होता तो मानव की सभी प्रजाति पहले से बनी होती सभी ग्रह पर जीवन होता है तथा ईश्वर को लोग होमो सेपियंस प्रजाति मानव को लोग ईश्वर मानते है पर सभी जीव जन्तु प्रकृति भगवान मानते है तथा अगर ईश्वर मानव की होमो सेपियंस प्रजाति है तो मानव की वो कई प्रजाति कौनसा धर्म मानती थी क्या इस प्रश्न जवाब है वो प्रजाति कोई धर्म नही मानती है अर्थात् आदि मानव कौनसा धर्म मानता था। कोई धर्म नही मानता था। इस धर्म से पेड़ पौधो की संख्या अधिक होगी तथा जो प्रजाति विलुप्त उनको बचाया जा सकता है तथा नई जीव जन्तु पेड़ पौधो की नई प्रजाति वि विकसित होगी तथा हमे नये नये जीव देखने मिलेगे तथा भोजन की कमी तथा आक्सीजन की कमी अर्थात् सांस संतुलित साफ होगी वातावरण वापस बन जाएगा प्रजाति विलुप्त होने बचाया जा सकता तथा बच्चे स्कूल मे पढाई कर सकते तथा उनको बेहतर जीवन मिल सकता अर्थात् प्रजाति विलुप्त होने बचाया जा सकता है रग भेद नीति खत्म हो जाएगी तथा जो लोग फिरते रहते वो कृषि पद्धति द्वारा भोजन विकास कर सकते है , आदिवासी लोगो कृषि शिक्षा देकर वो भी अनाज पैदा कर सकते है समाज संतुलित बन सकता समाज बेहतर बनेगा इस धर्म से एकता प्यार खुशहाल का वातावरण स्वच्छ बन सकता नये नये मार्ग खुलेगे तथा विश्व प्रदुषण कई लोग कई मृत्यू हो जाती तथा ओजोन परत वापस बनना प्रारम्भ हो जाएगा जिसे विकिरण अधिक नही निकलेगी कैंसर जैसी समस्या भी दूर हो सकती है यह धर्म संतुलित वातावरण देगा जो मोमबत्तियों ईसाई लोग चर्च मे उजाला करते उसी मोमबत्तियों से किसी का भी उजाला हो सकता है। लोग कहते ईश्वर होते है पर हमे मिलेगा कोई ईश्वर होता नही है । लोगो अंधविश्वास जाल बना दिया इसलिए यह धर्म अंधविश्वास पर रोक लगाता है । तथा अध विश्वास ज्ञान खत्म करता इससे समाज संतुलित होगा है। यह धर्म यह बताता है नई कोई ईश्वर होता है न कोई भूत होता है । भगवान एक होता प्रकृति होती क्योंकि हम उससे भोजन खनिज सांस लेते है। वापस प्रथ्वी मे मिल जाते है। यह धर्म भेदभाव खत्म करता है तथा जीवन वापस बनाने पुरा सहयोग देता इसे वापस पृथ्वी जीवन योग्य हो जायेगी । धर्म रंगीश है जो प्रकृति भगवान मानता है खुशहाल प्यार एकता विश्वास भेदभाव नही करने वाला है। इस धर्म को सभी जीव जन्तु मानते है तथा आकाश से लेकर तारो तक तारो से लेकर विश्व गृहों तक इस धर्म मे है । विज्ञान इस धर्म मानती तथा प्रकृति का वापस निर्माण सहयोग मिल सकता और अंधविश्वास खत्म हो जाएगा । रंगीश धर्म से प्रथ्वी का वातावरण तो बनेगा साथ मानव प्रजाति भी सही हो जाएगी । यह धर्म एकता प्रतीक है। पेड़ पौधो जीव जन्तु मानव प्रथ्वी हर कण कण मौजुद है । इससे सभी मानव एक हो जाएंगे तथा आपसी लड़ाई झगड़ा खत्म हो जाएगा तथा लोग मिल जुल कर रहने लगे । हमे पृथ्वी मे नई नई खोज होगी तथा जिसे पृथ्वी साथ हम अन्य ग्रह पर जीवन को उत्पन्न करने मदद मिलेगी तपा सभी वैज्ञानिक एक होकर खोज करेंगे तथा जिससे हम नया परिवर्तन कर सकते है , और मानव अस्तित्व को बचाने मदद मिलेगी । अन्य धर्म लोग आपस लड़ते रहते जिससे खुद ही नष्ट हो जाते पुरा ध्यान ईश्वर पर ही लगाते जिससे हम नया परिवर्तन नही कर सकते तथा ईसाई हिंदु से लड़ता है मुस्लिम बौद्ध लड़ता जैन सीख से लड़ता रहता है हर साल धर्म कारण आतंकवाद दंगे लड़ाई झगड होता रहता है लोग आपस मरते रहने हैं। ये धर्म मानता कुछ नया करने के लिए अपना ध्यान एक पर ही लगा दो तथा जिस लड़ाई झगडा आतंकवाद आदि बचाव हो जाएगा। यह धर्म विश्व को एकता करने मे विश्वास रखता है। इस धर्म से लोगो विश्वास बढ़ेगा । वातावरण प्रकृति और ज्यादा अच्छी हो जाएगी । पृथ्वी को आगे बढाने प्रवास करता है।🔴🟠🟡🟢🔵🟣🟤⚫⚪🌿 रंगीश धर्म । धर्म का भाग - इस धर्म का भाग प्रकृति तथा मानव जीव जन्तु सन्तुलन करना खुशहाल वातावरण पैदा करना तथा साइंस भी इस धर्म मानती है। धर्म का विषय- एकता प्रकृति को भगवान धर्म की कड़ी- सभी को एक करना है।
"रंगीश धर्म "
इस धर्म अलग अलग रंग तथा एक पेड़ प्रतीक लाल - सभी लोगो रक्त लाल होता जो आपस जोड़ता है यह कहता मानव एक ही है क्योंकि पेड़ पौधो का D N A ( रक्त की कड़ी ) 40% जीव जन्तु मिलता है हर मानव D N A 99% मिलता आपस है 1%DNA अलग होता इस कहा जा सकता जीव द्रव्य आपस मिलता है। इस का अर्थ जीव डी एन ए पौधो से मिलता है जीवो DNA आपस मे मिलता है। 1% अलग होता है। जीवो आपस निर्माण करता है। हरा - हरा रंग एक पेड़ पौधो का रंग है। जो हमे आक्सीजन देते है अर्थात् सांस देते है भोजन देते जिसे हम जीवित रहते है। इस रंग बिना जीवित रहना मुश्किल है। पीला - पीला रंग फुल फलो का होता जो इस धर्म विश्वास का प्रतिक होता है। ज्ञान-विज्ञान का भी प्रतीक होता है अंध विश्वास खत्म करता है, । सफेद - शान्त वातावरण प्रेम भाव बढ़ाता तथा आपसी रिश्तो को बांधता है। सफेद रंग मानसिक संतुलन प्रदान करता है। तरो ताजगी रखता है। काला - यह रंग ऊर्जा खत्म नही होने देता है। तथा प्रकृति संतुलन बनाये रखता है इसलिए रात होती है जिससे सूर्य एक भाग दूसरे भाग चल सके अगर विश्व दिन होता रह हो सूर्य ऊर्जा खत्म हो जाएगी विश्व असंतुलित हो जाएगा । नीला - यह आकाश रंग होता जो हमे जल वास कर वापस धरती पर भेजता है जिसे हम मीठा पानी पीते तथा जो जीव खारा जल पीते है समुद्र रहते है जो जीव मीठा जल पीते वो भुमि के भाग पर रहते है भूरा - यह रंग आपस मे जोड़ता क्योंकि भू भूमि कहा गया इस भाग मे जीव जन्तु पेड़ पौधे आदि गृह देता है। जिस प्रकार जल की भूमि मे लकीरें नही होती उसी प्रकार भू पट्टी पर भी लकीरें नही खींचता है। एकता प्रतिक है। सुनहरा - यह रंग धातु अयस्कों का होता है बहुत पक्का होता है। जो उसी प्रकार मानव रिश्ते आपस मे पक्का बनाया रखता है। जामुनी - यह रंग सम्बंधों अच्छा रखता है इस धर्म माना जाता जामुनी रंग थोडा काला नीला होता विश्वास साथ साथ निभाने तक वादा होता है गहरा हरा - जो जीवन जीने साथ सांस गुणवत्ता भी बढ़ाता है वातावरण भी साफ रखता है । स्टील रंग- यह रंग संतुलन रखता मानव प्रजाति जीव जन्तु को जिस प्रकार स्टील जंग लगता उसी प्रकार रिश्तो प्यार जंग नही लगता है सम्बंधों मे जग नही लगता है। हल्का पारदर्शी रंग- जिस प्रकार हम पृथ्वी से सुरज देख सकते कई परत से देख लेते उसी प्रकार जीवन मे हर पेड़ पौधे जीव जन्तु विश्लेषण कर सकते है इंसान के पारदर्शी गुणों को देखकर उसके बारे बता सकते है गुलाबी - यह प्यार प्रतिक होता है सुंदर जीवन जीने का प्रतीक होता हैं। तथा खुशहाल जीवन की रूप रेखा होता है। स्लेटी रंग- यह रंग सीखने वाले रंग होता है। इसे बच्चो ज्ञान प्राप्त करता है। तथा जीवन हर मार्ग दर्शन को सीखता है, यह रंग अध विश्वास खत्म करता है। रंगीन रंग- यह रंग विश्व सुंदर बनाता तथा प्रकृति अच्छा बनाता है तथा रंगीन जीवन देता है। जैसे च पक्षी जन्तुओं भूमि चट्टान खनिज सुरज चंद्रमा गृहों आदि है जो सभी जीव जन्तु देखने आकर्षक बनाता है। अच्छा प्रतीक कराता है। भ्रुण रंग- प्रकृति द्वारा सम्बंध को जोड़ता है जीवन को आगे बढाता है जीवन प्रगति करता है। तथा भ्रुण बिना जीवन अस्तित्व नही होता है। हर जीव पेड़ का भ्रुण बनता है जिससे जीवन बनता है यह रंग जीवन उत्पन्न करने रंग । रंगहीन - पानी होता है इसके बिना जीवन अस्तित्व करना मुश्किल है यह सभी जीवो रक्त मे तथा बहार खान बनता है रक्त बनता है सांस बनाता है अगर पेड़ो भोजन नही मिलेगा किसी जीव भोजन नही मिलेगा है यह हर जीव पेड़ पौधो तरल रूप होता है। इसके बिना जीवन कल्पना मुश्किल है। यह हर जीव मे बहता है रंग धातु पैदा करते जीव मे है। धर्म जीवन आधार - इस प्रकार जीवन कई अन्य प्रकार रंग भी होते पर उनका मकसद जीवन को बनाना है। जिस प्रकार धरती मे चट्टान एक प्रकार होती पर वातावरण के कारण उनमें रंग बदल जाता जिसके कारण अलग अलग रेत मिट्टी होती पर एक ही होती है। जिस प्रकार पानी रंग मिल जाता वैसे ही मिट्टी मे भी धातु तथा अयस्क मिल जाते जिससे रंग परिवर्तन हो जाता है। उसी प्रकार इंसान का रक्त समान होता DNA समान होता है पेड़ पौधो रंग भी इस कारण बदल जाता है जहा धुप होता हैं जहा वहा झाड़ियां पैदा होती है पर पेड़-पौधे तो समान होते है पानी रहने वाले हो या भुमि पर एक होते है। उसी प्रकार गैसों का रंग भी उसके प्रभाव कारण पैदा हो जाता है, वातावरण ही प्रभाव पैदा करता है पर गैसे तो एक है सभी वातावरण घुलती है दिखती नही है। सभी जीव पेड़ की आवाज समान पर वातावरण कारण अलग अलग हो जाती है जिसे भाषा कहते है। पर मुख हवा आवाज एक समान होती है इस दुनिया बहुत भाषा है समझा आप निर्भर करता है। पर एक आवाज होती है जो भोजन खाते है वो एक समान होता पर वातावरण प्रभाव टेस्ट बदल जाता कही खट्टे कही मीठे फल कही कड़वे होते पर सब एक होते है उनमें वातावरण प्रभाव कारण स्वाद बदल जाता है । रंग मिट्टी कारण बदल जाता पर मिट्टी एक होती है। उसी प्रकार इंसान भी एक होता पर वातावरण प्रभाव कारण भाषा रंग तथा रूप बदल जाता है यह प्रभाव जीन मे होता हैं बस पर DNA सब एक समान है इंसान एक होता है। क्योंकि पक्षी भी आपको जन्तु ही मानते है आप पक्षी जन्तु मानते बस इतना फर्क है अगर एक आवाज होती है ना जीवन नही चल सकता है। क्योंकि खान मे रंग चाहिए । आप मांस नही खा पाते पेड़ो नही खा पाते है। पर एक समान ही सब जीव जन्तु एक जीव दूसरे पर निर्भर रहता बस इतना फर्क है। उसी प्रकार धर्म एक ही होता है। बस आगे एक भाग बदल जाता है पर हर धर्म मे एक भाग लगा होता धर्म बस इस को समझान चाहिए । अगर इंसान खुद ईश्वर माने लगा तो पक्षी पेड़ो भुमि का भगवान कौन बताओ ? इस पृथ्वी मे कोई जीव पेड़ आपस नफरत नही करते है । शेर के सामने शेर रख दो कोई भी का रंग चिड़िया के समाने वैसी चिड़िया रख दो लोह समाने कोई देश लोह रख दो बंदर के समाने वैसा बदर रख दो नही लड़ेंगे ! उसी प्रकार बिल्ली के समाने बिल्ली रख दो वैसी की वैसी कोई फर्क नही पड़ता सब समान होता है। लोह के रंग करने से लोह नही बदल जाता है। लोह रूप देने से लोहा नही बदलेगा । लोहा तो लोहा रहेगा । उसी प्रकार जीव के रग बदलते से रूप बदलने जीव नही बदलता है जीव तो जीव रहेगा । उसी प्रकार लोहा स्टील बना देता है उसी प्रकार पेड़ पौधो का अंश आप मौजुद होता है । हर जीव DNA मिलता है आपस से। !
रंगीश धर्म
[संपादित करें]यह धर्म अध विश्वास खत्म करता तथा रंग भेद भाव खत्म करता है साथ प्रकृति को वापस उत्पन्न करने मे मदद करेगा जिसे लोगो मे एकता व आपदा ओ लिपटने मदद मिलेगा साथ ही समाज को बेहतर बनाया जा सकता है सीमा विवाद भी खत्म हो जाए तो देश वापस विकसित हो सकता है रंगीश धर्म एक अच्छा धर्म है तथा सभी धर्म इंसान ईश्वर मानते पर यह धर्म इंसान ईश्वर नही मानता साथ प्रकृति भगवान कहता है हर रंग के मध्य भेद भाव खत्म हो जाएगा जिसे से समाज बेहतर और बन जाए गा जो बच्चे धर्म ग्रन्थ पढ़ते है वो विद्यालय शिक्षा गृहण कर पाये तथा साथ धर्म गृंथ नही पढ़ने से अध विश्वास खत्म हो जाएगा तथा जीवन और ज्यादा बेहतर हो जाएगा साथ ही देश के मध्य आर्थिक सहयोग बढ जाएगा तथा हर देश धर्म के प्रति युद्ध खत्म हो जाएगा साथ प्रकृति और विकसित हो जाएगा हमे नये नये कार्य करने अवसर मिलेंगे तथा अगर सभी देश लोग एक हो जाएंगे तो हमे उन देशों के बारे सोचने मौका मिल जाएगा जो देश आर्थिक एव भुखमरी लिपटने मे असमर्थ है धर्म एक होगा भगवान एक हो गा और ज्यादा ज्यादा सहयोग मिलेगा रुढ़िवादी सोच का खात्मा हो जाएगा जो एक विश्वसनिय है तथा एक धर्म होने से प्रकृति को बहुत ज्यादा सहयोग मिलेगा जिस हम आपदा ओ से लिपटा रहा हो सकता है लोग काम प्रति प्रेरणा भी मिलेगी । साथ अंध विश्वास अवधारण से छुटकारा मिलेगा जो एक बहुत अच्छा रहेगा । पत्थरो मे इंसानों मे भगवान खोजने अच्छा खुद व दूसरो विकसित करने सहयोग देना चाहिए इससे एक सह बंधन प्रेम या सम्बंध आपस जुड़ा रहेगा साथ लोग एक दूसरे नुकसान पहुंचाना बंद कर देंगे जब कई देश एक हो जाएं तो समाज मे अपने आप बदलाव आ जाएगा जो एक बहुत अच्छा हो गा जो एक विकसित प्रणाली को जन्म देगा । अगर सम्पूर्ण विश्व को एक कर दिया जाए तो समाज बेहतर हो जाएगा तपा देश और ज्यादा विकसित हो जाएगा धार्मिक रूप कट्टरता खत्म हो जाएगी हमे अन्य विषय के बारे सोचने को मिलेगा । उदाहरण - अफ्रीका देश एक हो जाए तो उन देशों बारे सोचा जा सकता वहा समस्या से निजात मिल सकता है जो बेहतर रूप अच्छा होगा । साथ रंग भेद खत्म होने से समाज और ज्यादा बेहतर हो गा देश वापस परिपूर्ण हो जाएगा शिक्षा भोजन आर्थिक नई खोजे ये काफी मजबूत हो जाएगा । जो बेहतर जीवन को जीने की प्रेरणा देता है । इस धर्म से कोई संस्कृति खत्म नही होती है क्योंकि यह धर्म निम्न बात कहता है 1 आपका मन करे वो पहन सकते है 2 आपका मन करे वो खा सकते हो 3 धर्म के मध्य टकराव नही होगा एक धर्म होने से 4 आपका मन करे वो भाषा बोल सकते है 5 इसमें नकाब पाबंद क्योंकि इससे स्त्री को आजादी नही मिलने तथा उन से भेद भाव करने का मुख्य कारण यह धर्म स्त्री को खुली आजादी देता साथ ही स्त्री पढ़ने लिखने नौकरी करने बिजनेस करने खेती करने अन्य कार्य के लिए हक देता है रंगीश धर्म मे न रंग भेद भाव होता ना लिंग भेद भाव होता है कोई भी लिग हो उसे उतना ही हक होगा । जितना जीवन जीने के लिए शिक्षा के लिए अन्य प्रकार कार्य करने लिए होता है जिस प्रकार पक्षी पेड़ पौधे जानवर प्रथ्वी हर तत्व भेद भाव नही होता उसी जीवन मे जीने के लिए कोई भेद भान नही होता है क्योंकि एक लिग दूसरे लिंग का हिस्सा होता यह समझना चाहे । अगर प्रथ्वी मे धनात्मक न हो ऋणात्मक हो तो कोई वस्तु नही बन सकती पृथ्वी के हर तत्व मे दो भाग अवश्य दिखेंगे पत्थर मे ऋणात्मक कण है धनात्मक कण है मान लो ऋणात्मक होता तो पत्थर नही बन सकता धनात्मक कण होता उस को जोड़ता है मजबूत से अगर धनात्मक कण हो ऋणात्मक कण नही तभी पत्थर नही बनेगा क्योंकि धनात्मक कण जोड़े गा किसको धनात्मक व ऋणात्मक कण एक दूसरे पूर्वक है इनके बिना जीवन नही हो सकता है। आसान भाषा कहे तो मान लो एक जंगल उस जंगल मे नर शेर ही रहता है मादा शेर न रहे तो जंगल मे जीव जन्तु विस्तार हो सकता है क्या अगर मादा शेर रहे नर शेर न रहे तभी जंगल विस्तार नही हो सकता है । हर धर्म रहता भूत होते है पर यह धर्म नही कहता भूत होते क्योंकि आप शरीर एक डर तंत्रिक का बन जाती है जिससे आप समझते उस जगह भूत रहते पर वास्तव भूत नही होते क्योंकि जब डर तंत्रिका शरीर बन जाती है उस जगह पर जाने रोकती है अगर आप कह रखा 12 बजे भूत आ जाते है तो आप मे 12 बजे डर तंत्रिका बन जाएगा उसके बाद आप 12 बजे जैसे घर निकल भी गये तो भी डर बहुत बढ जाएगा जो तंत्रिक मस्तिस्क पर बहुत बुरा प्रभाव छोड़ देती है जिससे मस्तिष्क जिस वस्तु डर रहा था वो वस्तु उसके अन्दर अनुभव होने लग जाती है डर खत्म हो जाता है व्यवहार बदल जाता जिससे मस्तिस्क की रचनात्मक क्रियात्मक साथ कार्य तंत्रिका असर डाल देता है इसे मस्तिस्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता और मानसिक व्यवहार खराब हो जाता है फिर आप कहते मंदिरो मे या किसी बाबा के पास जाते है तो वह कुछ नही करता क्योंकि आपका मस्तिष्क यह कहता यह इंसान आपको सही कर देगा पर ऐसा नही होता है यहां तंत्रिका खेल होता है एक वो बात डर पैदा किया एक बात डर को बहार निकाल देगी । जब मस्तिस्क पर प्रभाव पड़ता है तो मस्तिस्क पर कु प्रभाव पड़ता फिर आप मस्तिष्क इस चीज से निजात पाने के लिए उस के प्रति आपके मस्तिस्क के प्रति डर पैदा हो जाता है जब भूत डर निकलता है भगवान डर पैदा हो जाता है भगवान डर निकलता है भूत डर पैदा हो जाते है यानि एक तंत्रिका डर खत्म दूसरी तंत्रिकाओं का डर तंत्रिका पैदा हो जाती है जैसे बाबा या भगवान मंदिर जाते हो तो वहां जो भूत की डर तंत्रिका खत्म हो जाती क्योंकि आपके मस्तिष्क मे एक डर तंत्रिका और बन जाती जैसे उस चीज प्रति विश्वास आस्था होती तो डर तंत्रिका खत्म हो जाती पर आस्था विश्वास तंत्रिका डर खत्म हो जाता आस्था आप में विश्वास पैदा हो जाता है आप आसने से सही हो जाते है क्योंकि आपके मस्तिष्क मे उस डर तंत्रिकाओं के प्रति विश्वास होता जिससे सही हो जाते हो । पर वापस भूत प्रति डर तंत्रिका बन जाती है। यानि कह सकते कि एक का डर दूर होता है तो दूसरे प्रति डर पैदा हो जाता है। हमारा धर्म कहता भूत नही होता है क्योंकि प्रकृति धर्म बना दिया तो डर खत्म हो जाएगा भगवान प्रति भूत प्रति भी । सामान्य हो जाओगे तो अपने आप डर खत्म हो जाएगा न क्योंकि आपके अन्दर प्रकृति तंत्रिका बन जाएगी जिससे डर खत्म हो जाएगा क्योंकि प्रकृति हर चीज भगवान रूप देखोगे । जिससे डर न भूत होगा न प्रकृति होगा क्योंकि आप प्रकृति वातावरण रह रहे हो । फिर आप चाहे २ बजे रात घुमा या श्मसान घाट जाओ कोई फर्क नही पड़ेगा । चाहे मिठाई खाओ खट्टा खाओ । डर तंत्रिका खत्म हो जाएगी समान्य तंत्रिकाएं हो जाएगी । रंगीश धर्म द्वारा डर खत्म हो जाएगा तथा अध विश्वास खत्म हो जाएगा प्रकृति आपके साथ रहेगी हर पल । भूमि प्रकृति आकाश प्रकृति जंगल प्रकृति प्रथ्वी हर कण प्रकृति अंतरिक्ष प्रकृति सभी प्रकृति है। ्क्क्क Banti kumawat (वार्ता) 07:54, 22 दिसम्बर 2024 (UTC)
भगवान एव प्रकृति
[संपादित करें]रंगीश मे भगवान को प्रकृति कह सकते क्योंकि भगवान ही प्रकृति अगर सही रूप व्याख्य करे तो भगवान ही प्रकृति अर्थात् प्रकृति भगवान है जो एक तरीके सही बात है क्योंकि मनुष्य एव जीव जन्तु पेड़ पौधो कई रूप विकास होता है साइंस भी प्रकृति है क्योंकि अगर रंगीश धर्म मान लिया जाए तो समाज बेहतर हो जाता एक नये समाज का विस्तार कर सकते है तपा अध विश्वास को बढ़वा भी खत्म हो जाएगा साथ बच्चे स्कूल शिक्षा को भी ग्रहण कर सकते जो एक बेहतर समाज बनाया जा सकता है प्रकृति द्वारा सबसे पहले DNA बनता है कुछ रहस्य जिनका जवाब खोज सकते जैसे ' अतंरिक्ष कैसे बनता है कोई गृह कैसे बना है साथ नई प्रजाति कैसे बनती है बिना आक्सीजन जीव DNA कैसे बना है कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर खोजना बाकी तथा भगवान प्रकृति कह सकते क्योंकि प्रकृति भगवान करते जीव सरल बन जाएगा यह वास्तविक घटना होती है जिसे र समझना पड़ता है भगवान उसे कहते जो आपको सब कुछ दे रहा है जैसे खाना सास आवास जल अर्थ आदि सब कुछ जो जीवन बेहतर बनाता है इस लिए प्रकृति भगवान कह सकते इससे वन जीव जन्तु प्रजाति त विकसित होगी भोजन समस्या से लिपटा रहा हो सकता है अगर भगवान इंसान होता तो बाकी जीवो भगवान कौन है भगवान कभी मरते नही हमेशा जीवित रहते जैसे प्रकृति यह कभी भी नष्ट नही होती है साथ आपके पास जो विचार आते तंत्रिका संवेदक कारण आते अर्थात् वातावरण से आपकी तंत्रिका मे सूचना प्रवाहित होती जिसे विचार बनता है अर्थात् प्रकृति से ही विचार आते मस्तिष्क मे साथ आप गलत अच्छा व्यवहार करते तंत्रिका के द्वारा खले वातावरण से सुचना आपके तंत्रिका मे पास जाती उसे आप सोचते है अर्थात् रह सकते मस्तिष्क भी प्रकृति चलाती आपका साथ घर से लेकर जिताना कुछ करते प्रकृति द्वारा करते प्रकृति अलग अलग रंगो जीव बनाये जो खुबसुरत पैदा करते है पेड़ हवा चलती वो कहा से आती अचानक आपदा आ जाती फिर नही बचा पाते क्यो कि प्रकृति जो घटना होने वाली है प्रकृति खुद करती है प्रकृति एक प्रजाति से नई प्रजाति विकास करती है । इस समय बहार खड़े होकर खुली हवा सास ले रहे हो प्रकृति से ही आ रहे । फिर डर किस बात का चलो प्रयोग करते आप अपनी सांस बद कर लो क्योंकि अगर भूत आना हो तो सांस अन्दर चला जाएगा । पर ऐसा नही होता क्योंकि सांस बद कर ले आपकी मृत्यू तय प्रकृति सांस नही लि जाए आप मर रकते है । आपका ईश्वर इंसान है वो भी सांस लि थी जब सांस बंद मृत्यू हो गई । क्योंकि कोई जीव इस धरती अमर नही रह सकता क्योंकि नया बनेगा पुराना जीव जाएगा प्रकृति नियम आप बदल नही सकते है मृत्यू कैसे शरीर एक जीव द्रव्य है व जीव द्रव्य धीरे धीरे पुराना होने लग जाता तो विघटित होगा जब जीव प द्रव्य पुराना हो जाता बुढ़ापे आ जाता है जिससे त्वचा तरल बिगड़ने लगता है जब बच्चा जन्म बुढापे तक तरल धीरे धीरे विघटित होता रहता जिससे जवानी बुढापा बन जाता आखिर मौत तय है। पेड़ का फल होता वो पहले फुल उगता निषेचन क्रिया बाद मे फल बनता है धीरे धीरे फल तरल विघटित हो जाता है कच्चा से पक्का बन जाता पक्का बाद गल जाता फिर मृत्यू हो जाती है वापस बीज बनता है उग जाता है पहले बीज तरल विघटित हो जाता उसके बाद पेड़ छोटा उगता जिसे बच्चा कह सकते हो उसके बाद तरल और ज्यादा विघटित होता है पेड़ जवानी अवस्था आ जाता है तरल और विघटित होता बुढा अवस्था आ जाता अत पेड़ मृत्यू हो जाती है इस अर्थ जीवन जो प्रकृति चीजे बनाई है वह विघटित हो कर नष्ट हो जाती है। प्रकृति अमर होती है न मरती न नष्ट होती है पृथ्वी जीवन खत्म हो जाये तभी प्रकृति जीवित रहेगी । क्योंकि भगवान कभी नही मरता है जो मर गये व भगवान नही जो वास्तविक है वो ही भगवान है । प्रकृति भगवान जिसे आप चल रहे हो । पेड़ ही जीवन क्योंकि जहा पेड़ होते वहा जीवन होता हैं । Banti kumawat (वार्ता) 18:07, 22 दिसम्बर 2024 (UTC)