सदस्य वार्ता:विशाल सक्सेना स्वतंत्र पत्रकार

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{{साँचा:सहायता|realName=|name=विशाल सक्सेना नमस्कार साथियों मेरा नाम विशाल नमस्कार साथियों मेरा नाम विशाल सक्सैना मैं बतौर स्वतंत्र टीवी रिपोर्टर कार्य करता हूं समाज में दबे कुचले लाचार मजबूर असहाय लोगों की आवाज को उठाना शासन-प्रशासन तक पहुंचाना मेरा प्रथम कर्तव्य है मैं पिछले 10 सालों से लगातार समाज हित में पत्रकारिता कर रहा हूं और करता रहूंगा हमारे इस चौथे स्तंभ में कुछ छोटी-छोटी कमियां भी हैं हम सभी लोगों को मिलकर उन कमियों को दूर करना चाहिए क्योंकि भारत के तीनों स्तंभों के बाद चौथा स्तंभ मीडिया को माना गया है टेबल का कोई एक पैर भी खराब हो जाए तो टेबल गिर जाएगी इसलिए इसे संभालने का प्रयास करें और समाज हित में काम करें शासन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर विशेष नजर रखें और जहां कमी दिखाई दे वहां समाचार के माध्यम से लोगों के बीच में यही हमारा कार्य धन्यवाद चौथा स्तंभ डगमगा रहाहै* अलीगढ़ मैं एक स्वतंत्र टीवी रिपोर्टर हूं और इस देश का एक आम नागरिक हूं मैंने पढ़ाई के लिए पत्रकारिता को चुना मुझे लगता है था कि मैं इस माध्यम से समाज में दबे कुचले मजबूर लोगों की आवाज उठाने का कार्य कर सकता हूं हालांकि कुछ लोगों को इस बात का पता नहीं है कि जनसंचार की भी एक पढ़ाई होती है जोकि अनुभव के तौर पर काम आती है मैं आज भी बतौर स्वतंत्र टीवी रिपोर्टर के तौर पर कार्य कर रहा हूं यह तो मेरा एक छोटा सा परिचय था अब मैं विषय पर आता हूं भारत की जनसंख्या अधिक होने के कारण समस्याएं भी बहुत हैं कुछ ऐसी जटिल समस्याएं हैं जो कुंडली मारकर सिस्टम में जड़े जमा चुके हैं विधायक सरकार कार्यपालिका न्यायपालिका समाज का काम करती है हालांकि मीडिया की एक महत्वपूर्ण भूमिका है यह सरकार के बीच में एक सेतु की तरह काम करती है इसीलिए मीडिया को भारत का चौथा स्तंभ माना जाता है एक बात और अगर टेबल के चार पैर सही हो तभी ट्रेवल्स इस्सर रह सकता है अगर एक पाया भी गड़बड़ होने लगे तो वह टेबल गिर जाएगी पत्रकारिता पर बात करने से पहले हमें यह जानना होगा कि हमारे आस पास हर तरफ मीडिया मौजूद है रेडियो टेलीविजन नेट यूट्यूब अन्य अनेक माध्यम यही कारण है इसका असर समाज पर पड़ता है जनसंचार एक व्यक्ति से नहीं होता यह सामूहिक रूप से प्रचारित किया जाता है जैसा कि मैंने पहले कहा था कि विधायक सरकार पालिका न्यायपालिका और मीडिया चारों की ही इस देश में महत्वपूर्ण भूमिका है अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति ने यह कहा था कि अगर मुझे सरकार और अखबार दोनों में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं अखबार को ही चुन लूंगा क्योंकि यही वह माध्यम है जो लोगों तक अपनी बात को पहुंचाता है अगर आज से हम उन गुलामी के दिनों को याद करें तो हमें ज्ञात होगा कि उस समय अख़बार ही एक ऐसा माध्यम था जिससे हम अपनी बात अपने देश की जनता तक पहुंचाते थे हालांकि अन्य देशों में मीडिया को कुछ विशेष अधिकार दिए गए लेकिन हमारे देश में जो एक आम आदमी को अधिकार हैं वही अधिकार एक पत्रकार को भी है मैं सरकार से अपील करता हूं कि मीडिया के कुछ अधिकार सुनिश्चित किया जाए जिससे आए दिन पत्रकारों के साथ होने वाली घटनाओं पर रोक लगाई जा सके हमारे देश में सरकार मीडिया के लिए जितनी उपयोगी है उतनी ही सरकार मीडिया के लिए भी उपयोगी है इसीलिए मुझे ऐसा लगता है कि हमें तालमेल बनाकर काम करना चाहिए आज कुछ अखबार ऐसे भी हैं जो सरकार तंत्र के गुलाम बन चुके हैं उन्हें सच सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में देर नहीं लगती अगर एक ही चीज को कई बार दोहराया जाए तो झूठ भी सच लगने लगता है यही कारण है कि हमारे देश में मीडिया का स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है मुझे ऐसा लगता है कि सरकार और मीडिया के संबंध कभी बेहतर नहीं हो सकते क्योंकि सरकार के कामों पर विशेष रूप से मीडिया नजर रखता है और यही हमारा काम भी है देश में योजनाओं को पहुंचाने का काम कार्यपालिका का है देश में कानून व्यवस्था और एक स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना के लिए न्यायपालिका की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है विधायक का काम उन योजनाओं को बनाना होता है जो समाज हित में हो वही मीडिया एक वाचिंग की तरह काम करती है जहां कहीं गड़बड़ी हो उसे तुरंत प्रकाशित करना हमारा कर्तव्य है *पत्रकारिता आज खुद पूछ रही है कि मैं कौन हूं* आज टेलिविजनओं पर मिर्च मसाला लगाकर खबरें प्रकाशित की जाती है और उनको देखने के बाद यह तय करना भी मुश्किल हो जाता है कि यह जो दिखाया जा रहा है यह सही है या गलत अक्सर आम जनता इसे सच ही मान लेती है लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है जब से सोशल मीडिया और पोर्टल टेलीविजन प्रसारण शुरू हुआ है तब से अखबार जैसे कहीं खोता हुआ नजर आ रहा है आज हम दबे कुचले मजबूर लाचार असहाय गरीबी विकास सामाजिक मुद्दों से हट गए हैं आज हमारा देश आतंकवाद नक्सलवाद हिंदू मुस्लिम बाद जैसी समस्याओं में फंसकर रह गया है और आज का मीडिया मौन है मुझे ऐसा लगता है कि आज समय के अभाव के चलते हम खबरों पर रिसर्च करने का समय नहीं दे पा रहा है अगर कहीं से कोई आतंकवादी के गिरफ्तार होने की सूचना मिलती है तो बिना जांच-पड़ताल के ही हम उसे आतंकवादी घोषित कर देते हैं और टीआरपी बटोरे लगते हैं और यह भी बहुत दुखदाई है यह बात सही है कि मीडिया की इस देश में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन आज हमारे संपादक पत्रकार कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में भटकाव का शिकार हो रहे हैं सभी बदलाव की बात करते हैं लेकिन पहल कोई नहीं करना चाहता किसी को तो बिल्ली के गले में घंटी बांधनी ही होगी देखते हैं इस चौथे स्तंभ कब तक ऐसे ही तर्क और सवाल उठते रहेंगे हम सब लोग मिलकर सुधार की दिशा में काम करें ऐसी मैं कामना करता हूं संवाददाता विशाल सक्सेना रिपोर्ट[1]

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; undefined नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।