सदस्य:Vaibhavi Nagendra/प्रयोगपृष्ठ

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= आयुर्वेद चिकित्सा का एक विभाग। भूत विद्या इन्सान के मानसिक विकारों पर आधारित है। मानसिक रोगी का इलाज औषधीय चिकित्सा के अतिरिक्त, योगा[1] और प्रानायाम से भी की जाति है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है की आयुर्वेद का यह विभाग अलौकिक शक्ति (जो मन और तन पर कब्ज़ा करती है) पर आधारित है। हमारे आंखों के लिये भूत अद्रुश्य होते है और कई तरह के मुसीबत निमित्त्त कर सकते है। भूत विद्या-भूतों की क्रिया को प्रतिबंध लगाने वाला ज्ञान। विशेषज्ञों के दूसरे समूह का यह मानना है कि 'भूत', जीवाणु और वाइरस जैसे सूक्ष्म जीवों का प्रतीक है। भूत विद्या पौधों के निस्संक्रामक प्रयोजन पर ज़ोर देता है। भूत विद्या 'ग्रहम विद्या चिकित्सा' नाम से भी जाना जाता है। ग्रहम चिकित्सा उन रोगों से संबंधित है जो अंजान कारण से अर्जित होते है। आधुनिक शब्दावली मैं यह अज्ञातहेतुक रोग माना जा सकता है। आयुर्वेद, 'कर्म' की सिद्धांत पर विश्वास रखता है। पूर्व कर्म कुछ रोगों का कारण होता है। ज्यादातर् मामलों मै अशांत मन बीमारी क कारण होता है। 'रजस' और 'तमस' योगदान देने वाले कारक माने जाते है। आयुर्वेद का यह विभाग 'पागलपन' और 'मिरगी' जैसे रोगों की चिकित्सा करता है। आयुर्वेद के हिसाब से ऐसे मानसिक बीमारी

आयुर्वेसद के तत्व

देवा, असुरा, गन्धर्वा, यक्शा, राक्शसा, नागा आदि बुरी आत्मा की वजह से है। इन बीमारियों का सटीक शरीर क्रिया विज्ञान को बड़े पैमाने पर शोधन करना है। आयुर्वेद का यह विभाग बीमारियों के अनजान तथ्वों की अन्वेषणा करता है। भूत विद्या के अलावा आयुर्वेद के कई विभाग है जैसे, कया चिकित्सा, शालाक्या तन्त्रा |शालक्या तन्त्रा, अगद् तन्त्रा, शल्य तन्त्रा,कौमार तन्त्रा, रसयन तन्त्रा, बजीकरण तन्त्रा, पन्चकरमा आदि।भारत (और दुनिया के अन्य भागों) मैं यह प्रचिलित है कि म्रुत लोग आते है और लोगों का नियंत्रन करते है| अक्सर यह माना जाता है कि यह आत्मा म्रुत लोगों कि अधूरी इच्छाऔं को पुरा करने के लिये सझ है| भूत मानव आंखों के लिये अद्रुश्य है और अलग अलग तरह कि परेशानी पैदा कर सकता है|

केरल आयुर्वेद का स्वर्ग है| दुनिया मै कोई भी देश आयुर्वेद मै केरल के सात समता का दावा नहीं कर सकता है| केरल आयुर्वेद उपचार चाहनेवालों के लिये, प्रति वर्ष व्रुद्धि दर २०% के आसपास है| आयुर्वेद के ३००० साल पुरना विज्ञान,शरीर,आत्मा[2] और मन के साद्भव को प्राप्त करने मैं मदद करता है| आयुर्वेद का मतलब है जीवन क विज्ञान| प्राचीन काल मैं साधुऔं को जडी बूटीं और पौधों का महत्व पता था| वे मानव जाति के लाभ के लिये उनके अनुभव और ज्ञान 'थलियोल' मै लिखा है| केवल कुछ साल पहले, कुंडली केरल के खजूर के पत्ते पर लिखा गया है| संक्षेप में आयुर्वेद उपचार बीमारियों की रोकथाम से संबंधित है| बीमारी का इलाज माध्यमिक महत्व क है| आयुर्वेद के अनुसार 'त्रिदोशास' शरीर क शासन करते है| यह तीन तत्व एक दूस्ररे के पूरक है| इनका प्रभाव शारीरिक और भावनात्माक विशेषताओं पर निर्भर करता है जो हर व्यक्ति के लिये भिन्न होता है| आयुर्वेद के अनुसार बीमारी तब होता है जब किसी एक या अधिक त्रिदोशा(वात, पित्त, कफ) असंतुलित या अनियमित समारोह से आंतरिक अंगों को खराब करता है| वायु, जल, अग्नि, प्रुथ्वी, व्योम और ब्रह्मांड के पांच मूल तत्व मानव शरीर के शक्ति के लिये आव्शयक तत्व भी है| थलापोतिचाल,सिरोवसति र्और धारा उपचार सब केरल मै उत्प्न्न हुआ है| यह उपचार पेपटिक अल्सर, आस्थमा, ह्रुदेय रोग आदि शिकायतों के लिये प्रभावी है|

  निदान और उपचार: हालाकि एक मनोवैज्ञानिक समस्या का सही कारण ज्ञात नही किया जा सकता, ग्रह चिकित्सा का एक व्यव्सायी पह्ले बीमारी का इतिहास पता लगाने की कोशिश करेंगे|उपचार, भजन या मंत्र का जप और विशिष्ट तांत्रिक अनुष्ठानों का आयोजन करके किया जाता है| योग, ध्यान और प्रानायाम भी मन की शांति के लिये महत्वपूर्ण है| इस चिकित्सा के कई कुशल चिकित्सकों को मनोचिकित्सा,सम्मोह्न,मानसिक विकारों के इलाज के लिये गठबंधन किया गया है| इसका मार्ग आधुनिक चिकित्सा से अलग है किंतु प्रभावी है|

संदर्भ[संपादित करें]

  1. http://www.yogajournal.com/
  2. hindi.webdunia.com/.../आत्मा-के-बारे-में-10-जानकार..