सदस्य:Tejas Ananya

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अल्बर्ट बंदुरा
अल्बर्ट बंदुरा
जन्म ४ दिसंबर १९२५
मुंदरे, अल्बर्टा, कनाडा
व्यवसाय मनोवैज्ञानिक
शिक्षा पीएच.डी. नैदानिक ​​मनोविज्ञान
उल्लेखनीय सम्मान इ ल थोरंडीके अवार्ड
संतान कैरोल कोलेय, मैरी बंदुरा

बोबो डॉल प्रयोग[संपादित करें]

भूमिका[संपादित करें]

हमारे समय के सबस प्रभावशाली मनोवैज्ञानिक में से एक, अल्बर्ट बंदर का मानना था कि आक्रामकता जेसे किसी बी भी सामाजिक व्यवहार को अवलोकन और नकल के माध्यम से सीखा जा सकता हैं और यही उन्होंने अपने सामाजिक शिक्षण सिद्धांत में कहा हैं और यही साभित करने के लिए उन्होंने बोबो डॉल एक्सपेरिमेंट का प्रस्ताव रखा| वह अपने सामजिक शिक्षण सिद्धांत का स्पष्टीकरण के लिए उन्होंने बोबो डॉल प्रयोग का प्रस्ताव उन्होंने रखा|


अल्बर्ट बंदुरा[संपादित करें]

अल्बर्ट बंदुरा अमेरिका से एक मनोवैज्ञानिक थे जिनका जन्म ४ दिसंबर १९२५ को हुआ था| वह ६ बच्चे में से सबसे छोटे थे और वह यूरोपियन मूल के माता पिता को पैदा हुए थे| उनके पिता पोलैंड से थे और उनकी माँ यूक्रेन से थी| उन्होंने आगे जाकर ब्रिटीश कोलंबिया से यूनिवर्सिटी से स्नातक की उप्पादि प्राप्त की| बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ आयोवा में स्नातक कार्य किय जहाँ उन्होंने नैदानिक मनोवैज्ञान में डॉक्टरेट की उपपधि भी प्राप्त की| डॉ बंदुरा आगे जाकर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में काम करने के लिए गए जहा उन्होंने बोबो डॉल प्रयो पर काम करने का चालु किया| उनकी मृत्य २६ जुलाई २०२१ में हो गयी थी. [1]

प्रायोग[संपादित करें]

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं पूर्वस्कूली उम्र के बच्चो के सामने एक विदूषक के चहरे वाले खिलोने का शारीरिक और मोखिक रूप से दुरूपयोग किया , जिसके कारण से बच्चो ने बाद में उसी अंदाज में गुड़िया पर हमला करके व्यस्को के व्यवहार की नकल की| इस अध्ययन के लिए उन्होंने बोबो गुड़िया नामा ३ और ५ फुट इन्फ्लाताब्ले प्लास्टिक के खिलौने का इस्तेमाल किया , जिन्हे कार्टून जोकर की तरह दिखाई देने के लिए चित्रिक किया गया था और जब वे खटखटाये जाते थे तो वे एक सीधी स्थिति में लौट आते थे| स्टैंफोर के प्रीस्कूलेर के तीन समूहो में विभाजीत किया गया  : एक समूह न आक्रामक व्यस्क व्यवहार मॉडल देखि , दुसरे समूह ने गैर आक्रामक व्यवहार मॉडल देखि और तीसरे समूह किसी व्यवहार मॉडल के संपर्क में नहीं था| पहले समूह में बच्चो को एक व्यस्क को बोबो दोल के प्रति आक्रामक होते देखने के लिए बनाया गया था| व्यस्क बोबो डॉल को मुक्का और लात मारेगा , उसके ऊपर चिल्लाएगा| दूसर समूह में बच्चो को एक गैर आक्रामक व्यस्क क अवलोकन कराया गया जहा उन्हों बोबो डॉल को पूरी तरह से नजरअंदाज का दिया| तीसरे समूह में कोई व्यस्क बोबो डॉल के साथ कोई व्यवहार नहीं का रहा था. किसी भी डॉल के साथ व्यस्क का कोई संपर्क नहीं था| इसके बाद बच्चो को बोबो डॉल के साथ एक कमरे में छोड़ दिया गया और उनका व्यवहार देखा गया| परिणाम निन्मवत थे| [2] [3]

परिणाम[संपादित करें]

पहले समूह के बच्चे को जब बोबो डॉल के साथ अकेले एक कमरे में बांध किया ता वो अपने बोबो डॉल के साथ वही तरह से पेश आता जैसे उसने अपने व्यस्क को पेश आते हुए देखा| वह बोबो डॉल के खिलाफ आक्रामकता का प्रदर्शन करता हैं| वह वही व्यवहार को नक़ल करता है जो उसने उस कमरे के अन्दर जाने स पहले देखा था , यानी की वह उस डॉल पर चिल्लायेगा और उस डॉल को मुक्का और लात मारेगा| दूसरे समूह क बच्चे भी वही व्यवहार का नकल करेंगे जो उनक दयारा देखा गया था| वे डॉल को पूरी तरह से नजरअंदाज करते है| यह परिणाम इस बात का प्रमाण है कि बच्चे उस व्यवहार की नक़ल करते है और सीखते है उन्होंने व्यस्को को करते हुए देखा था| [4]


सम्बन्धित अवधारणो[संपादित करें]

यह समझने के लिए बंदुरा न ध्यान , प्रतिधारण , मोटर प्रजनन और प्रेरणा की प्रतिक्रियाओं को महत्त्व दिया| ध्यान एकाग्रता या जागरूकता है कि आसपास क्या हो रहा है जबकि अवधारण एक व्यक्ति की जानकारी को धारण करने और याद रखने की क्षमता हैं| मोटर उत्पादन उक्त व्यक्ति की विशिष्ट प्रेरणा के तहत उक्त क्रिया को दोहरान य नक़ल करने की क्षमता है| एक बच के व्यवहार को दोहराने के लिए ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है क्यों कि यदि वे ध्यान नहीं देते है तो वे अधिनियाम की नक़ल नहीं करेंगे | अपधारण जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है , जानकारी को अपने मन में बनाये रखने की क्षमता है और इस प्रकार यदि को बच्चा उस व्यवहार के बारे में जानकारी रखने में सक्षम नहीं है जिसकी नक़ल कारण की आवश्यकता है तो प्रयोग काम नहीं करेगा | बच्चे को देखे गए और देखे गए कार्यो और व्यवहार को पुनः उत्पन्न कर क लिए बह प्रेरित करने की भी आवश्यकता है | [5]


उपयोग और उपसंहार[संपादित करें]

यहाँ प्रयोग को कही सारे मनोवैज्ञानिक ने इस्तमाल किया है| कहि लोगो ने यह प्रयोग का इस्तमाल करके अपने सिधान्तो को सिद्ध करने का प्रयास किया है | एक मनोवैज्ञानिक टीवी पे आते हुए फिल्मो के बारे में पढ़ रहे थे और उन्होंने बोबो डॉल का प्रयोग का इस्तमाल कर यहाँ साबित किया कि यही फिल्मो को देख बच्चे उस व्यवहार को नकल करते थे | इससे कहे सख्ते है कि यह प्रयोग मनोवैज्ञान को खूब बदला है

रेफरेन्से[संपादित करें]

  1. https://www.britannica.com/event/Bobo-doll-experiment
  2. https://www.britannica.com/event/Bobo-doll-experiment
  3. https://www.verywellmind.com/bobo-doll-experiment-2794993
  4. https://www.verywellmind.com/bobo-doll-experiment-2794993
  5. https://www.verywellmind.com/bobo-doll-experiment-2794993