सदस्य:Tanmay jain shastri

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न्याय दीपिका ये जैन ग्रंथ द्रव्यानुयोग का है । इस ग्रन्थ के लेखक श्री मदभिनव धर्मभूषण यती द्वारा विरचित है । इस ग्रंथ के तीन प्रकाश है ।

  1. प्रमाण प्रकाश
  2. प्रत्यक्ष प्रकाश
  3. परोक्ष प्रकाश

यह ग्रंथ शास्त्री विद्यालयो में अध्ययन कराया जाता है।

इसमे प्रथम प्रकाश में न्याय का स्वरूप एवं प्रमाण का स्वरूप एवं अन्य मत के अनुसार प्रमाण का खंडन है ।

द्वतीय प्रकाश में प्रत्यक्ष का स्वरूप, भेदों का स्वरूप , सामान्य सर्वज्ञ सिद्धि एवं विशेष सर्वज्ञ सिद्धि।

अंतिम प्रकाश में परोक्ष , हेतु , का ववरण है।

-तन्मय जैन शास्त्री सिंगोली