सदस्य:Sudhir sain

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

मार्टिन लूथर का जन्म १४८३ में जर्मनी के सैक्सनी राज्य के इस्लीडेन नामक गांव में हुआ था। उसके पिता हेन्स लूथर एक गरीब किसान था और वे अपने बेटे को एक वकील बनाना चाहते थे। इस कारण मार्टिन लूथर को एरफर्ट विश्वविद्यालय में जाना पड़ा। लेकिन मार्टिन लूथर ने कानून के स्थान पर धर्मशास्त्र का अध्ययन किया। अन्तत वह विटनबर्ग विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र का प्रोफेसर नियुक्त किया गया। विटनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के रूप में १५११ में मार्टिन लूथर ने रोम की यात्रा की। जहां पर पोप के नैतिक पतन को देखकर काफी निराशा हुई। प्रारंभ में लूथर पोप का विरोधी नहीं था लेकिन पापमोचन पत्रो की घटना ने उसे पोप का विरोधी बना दिया। मार्टिन लूथर ने इस प्रथा के विरोध में विटनबर्ग के कैसल गिरिजाघर के प्रवेश द्वार पर १५१७ को अपना विरोधी पत्र (९५थिसिस) लटका दिया। प्रारंभ में यह लैटिन भाषा में था लेकिन बाद में इसे जर्मन भाषा में अनुवाद कर अन्य नगरों में भेज दिया। शीघ्र ही लूथर को जन समर्थन मिलने लगा और जर्मनी से धर्म सुधार आंदोलन का सुत्रपात हुआ। 1520 में पोप ने मार्टिन लूथर को आदेश दिया कि वह अपने विचारों को 60 दिन के अंदर-अंदर वापस ले अन्यथा उसे धर्म से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। लूथर ने इसकी परवाह नहीं करते हुए एक सार्वजनिक सभा में उस आदेश को जला दिया, ऐसा करने पर लूथर को धर्म से बहिष्कृत कर दिया गया। 1521 में बमर्स में आयोजित जर्मन राज्यों की सभा में मार्टिन लूथर से अपने विचारों को वापस लेने के लिए कहा गया और उनकी रचनाओं को भी ग्रह‌‌कामिनी घोषित कर दिया गया लेकिन मार्टिन लूथर ने अपने विचार वापस लेने से मना कर दिया। इस अवधि में मार्टिन लूथर ने‌ ऑनमोनास्टिक बौज नामक पुस्तक लिखी तथा बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद किया, जिससे बाइबिल की उक्तियां आम जन तक पहुंचने लगी। इसी अवधि में दक्षिणी, पूर्वी और मध्य जर्मनी के किसानों ने विद्रोह कर दिया जिसका मुख्य कारण सामंतों द्वारा किसानों का शोषण करना था।