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साहित्य

साहित्य, लिखित कार्यों का एक शरीर होता है। यह नाम परंपरागत रूप से कविताओं और गद्यों के उन कल्पनात्मक कार्यों पर लागू किया गया है जो उनके लेखकों के इरादे से प्रतिष्ठित हैं और उनके निष्पादन की अनुमानित सौंदर्य उत्कृष्टता है। साहित्य, राष्ट्रीय मूल, ऐतिहासिक काल, शैली, और विषय वस्तु सहित विभिन्न प्रणालियों के अनुसार साहित्य वर्गीकृत किया जाता है। साहित्य की कला पृष्ठ को महज शब्दों में आँका नहीं जा सकता है; वे पूरी तरह से लेखन के शिल्प से उत्पन्न होता हैं। एक कला के रूप में, साहित्य को खुशी देने के लिए शब्दों के संगठन के रूप में वर्णित किया जा सकता है। फिर भी शब्दों के माध्यम से साहित्य "केवल" खुशी से परे अनुभव को बढ़ाता है और बदल देता है। साहित्य भी सांस्कृतिक मूल्यों की आलोचना और पुष्टि दोनों के साधन के रूप में समाज में अधिक व्यापक रूप से कार्य करता है।

कविता[संपादित करें]

कविता, साहित्य के उस आकार को कहते हैं जो अनुभव के एक केंद्रित कल्पनाशील जागरूकता को उजागर करता है या भाषा के माध्यम से चुने गए शब्दों के माध्यम से एक विशिष्ट भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है और इसके अर्थ, ध्वनि और ताल के लिए व्यवस्थित होता है।

चतुर्दश-पदी[संपादित करें]

यह एक गीत काव्य होता है , जिसके एक छंद में चौदह पंक्तियाँ होती हैं। इन पंक्तियों को एक दूसरे के साथ अनुप्रासों में जोड़ा जाता है। इस तरह की कविताओं के लिए साहित्य में दो प्रतिरूप पाए जाते हैं।

पेत्रार्चन चतुर्दश पदी[संपादित करें]

इटली के साहित्य में पेत्रार्चन चतुर्दश पदी का चलन है। इसे चौदहवीं सदी के इतालवी कवि पेत्रार्च को सम्मानित करते हुए यह नाम दिया गया है। इन कविताओं के दो मुख्य हिस्से होते हैं और इनकी पहली आठ पंक्तियों को ऑक्टेव कहा जाता है एवं आखरी की छँह पंक्तियों को सेस्टेट कहा जाता है। ऑक्टेव पंक्तियां अनुप्रास "अ ब ब अ अ ब ब अ" का पालन करती हैं जबकि सेस्टेट पंक्तियां अनुप्रास "सी डी ई सी डी ई" का अनुसरण करती हैं।

पेत्रार्च के चतुर्दस पदियों का पहली बार ब्रिटेन में अनुकरण किया गया था। यहां इनके शैली के साथ इनके मानक विषय-वस्तु का भी पालन किया गया था। पेत्रार्च की कविताओं के मुख्य विषय वस्तु एक प्रेमी और उसके उम्मीदों और दर्द पर आधारित हुआ करते थे। इन कविताओं को ब्रिटेन में शुरुआती सोलहवीं सदी मैं अंकित करने वाले कवि थे सर थॉमस वायट। पेत्रार्च शैली को इसके पश्चात कई विभिन्न विषयों में विभिन्न कवियों के द्वारा इस्तेमाल किया गया है। कवि जैसे मिल्टन, वोर्द्स्वोर्थ, क्रिस्टीना, रॉसेटी और कुछ अन्य कवियों ने इतावली चतुर्दश पदी का अंग्रेजी संस्करण बनाते हुए उसमें नए तुकों को सम्मिलित कर लिया था - खासतौर पर ऑक्टेव में। ऐसा करना इसलिए अनिवार्य था क्योंकि अंग्रेजी भाषा में उतने अनुप्रास नहीं बन पाते जितने इटालियन में बनते हैं।

अंग्रेजी चतुर्दश पदी[संपादित करें]

शेक्सपियर

पेत्रार्च की चतुर्दश पदियों के पश्चात सरी के राजा और कुछ अन्य अंग्रेजी प्रयोगकर्ताओं ने सोलहवीं सदी में एक नहीं चतुर्दश पदी शैली को जन्म दिया जिसे उनकी भाषा में अंग्रेजी चतुर्दश पदी या फिर शेक्सपियरान सोनेट कहा जाता था। यह नाम इस प्रकार की कविता के महान अभ्यासकर्ता विलियम शेक्सपियर को सम्मानित करते हुए रखा गया था। इसके एक और प्रकार को सेंसपेरियन सोनेट कहा जाता है, जो कि कवि स्पेंसर ने कुछ और परिवर्तनों के साथ पेश किया था।

सान्दर्भ[संपादित करें]

https://www.theguardian.com/books/2010/oct/16/shakespeare-sonnets-don-paterson https://www.independent.co.uk/arts-entertainment/books/features/400-years-young-the-magic-and-mystery-of-shakespeares-sonnets-1687684.html