सदस्य:Shyamrao Wani/प्रयोगपृष्ठ
तुझे पता नही दोस्त
तेरे अपने कितने है
तेरे सपने जितने है
तेरे खिलाफ उतने है
अभी मै जिंदा हूँ रोजगार की तलाश में एक लाश मै एक बेरोजगार बंदा हूँ
कैसे फिरू मस्त गगन में? How can i wonder in sky
पिंजरे में बंधा परिंदा हूँ ।
मै अँधा नही हूँ मेर आँखो पर जबरण बँधी है पट्टी मेरे दुख की, पापी -पेट भूख की
मै शमशेर बहादूर बंदा हूँ ।
पिंजरे में बंधा परिंदा हूँ
अब मैं चूप नही रहूँगा
जूल्म किसिका नही सहूँगा
मै मरा नही , मै डरा नही . अभी मैं जिंदा हूँ । किंतू पिंजरे में बंधा परिंदा हूँ
मैं मेरी बेडी तोड दूँगा-
हाथ पैर पत्थर फोड दूंगा गुलामी को गले लगाकर मै शर्मिदा हूँ
कावि लेखक शापराव वाणी 9552787478
मै और मेरा दोस्त
मेरे दोस्त तुझे पता नही तेरे अपने कितने है तेरे सपने जितने है उसके खिलाफ उतने है दोस्त तू मेहमान है राम रहिम या रहमान है पत्थर का पुजारी तेरा बड़ा नाम है तू बेइमान है तुझ में इमान है
गुलाम का अपमान तेरा समान है
दोस्त तेरा मेरा रिश्ता खतम तरी आस्था तेरा रास्ता पत्थर दिल तेरा भगवान है भूख प्यास की आग मे शमशान मे जलता इंसान हैं तेरा वास्ता तेरे राम से मै यहॉ मेरे इमान से मैंने चाँद को चाँद कहा सूरज को अभिमान से कहा तेरे बिना जिंदगी नहीं इस धरती का तू भगवान है तूने ना किया कोई भेद ना धर्म जाति कोई वेद तेरा इंसाफ हर जीव जंतू इंसान मे धरती के सूरज तू मेरा भगवान है कवि लेखक शामराव वाणी दोस्त तू यहाँ है
तेरी जिंदगी कहाँ है
तेरी दोस्ती फिजूल है
तेरी दुश्मनी कबूल है
ना सच बोलते हो ना कुछ राज खोलते हो तूम गल गए हो ख्वाबो खयालो मे जल गए हो तुम्हे क्या कहूँ तुम्हे मर्द कहू या मुर्दों कहू जिंदादिल बंदा तुझे अंधा कहू तुम्हारे दरिदिंगी से अच्छी है मेरी जिंदगी जहाँ खूद को मै जिंदा कहूँ तेरी फितरत में तू एक फितूर था शातीर चोर छुपा रुस्तम चतूर था ना सवाल का जवाब क्या तेरा वसूल था अमीर का जमीर मर चुका है क्या यह तेरा कसूर था तुम्हारे गंदगी से अच्छी है मेरी बंदगी मै जिंदादिल बंदा हूँ मै आजाद उडता परिंदा हूँ
कवि लेखक शामराव वाणी