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डि ए ने की फौस्फोडाईएस्टर बौन्ड

डीएनए रेप्लिकेशन[संपादित करें]

डीएनए प्रतिकृति(रेप्लिकेशन) एक मूल डीएनए अणु से डीएनए के दो समान प्रतिकृतियां बनाने की जैविक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया सभी जीवों में होती है और जैविक विरासत का आधार है। डीएनए दो किस्मो(स्रटैन्ड) की एक दोहरी हेलिक्स से बना है। इस प्रतिकृति के दौरान, ये किस्में अलग होती हैं डीएनए सबसे पहले १८६९ मे फ्रेड्रिक मिशर नामक एक जर्मन वैग्यानिक द्वरा अव्लोकन किया गया था।

डीएनए संरचनाएं[संपादित करें]

डीएनए, सेल निउक्लिअस यानी कोशिका केन्द्र मे स्थित है। डीएनए की छोटी मात्रा कोशिका के माइट्रोकोनड्रिया मे भी पाया जाता है। प्रात्तेक डीएनए २ मीटर लम्बा होता है। डीएनए इत्ने लम्बे होते है कि वे शही पैकेजिग के बिना कोशिको के फिट नही हो सकते है। कोशिको के अन्दर फिट होने के लिये डीएनए कसकर कुनड्लित रहते है और क्रोमोसोम का आकार लेते है। डीएनए(डीओक्सीराइबोन्युक्लिक ऐसिड) के दो पोलीन्युक्लिओ स्ट्रैन्ड है जो एक सीढी के तरह प्रतित होता है। डीएनए के नाइट्रोजेनस आधार मे एक व्यक्ति के प्रत्तेक चरित्र की जान्कारी रखी होती है। डीएनए, न्युक्लिओटाइड नामक अणुओ से बना है। हर एक न्युक्लिओटाइड मे फोस्फेट स्मुह, एक चीनी और एक नाइट्रोजेन आधार होता है। ४ नाइट्रोजेन आधार है, ऐडेनाइन, थाइमीन, गुआनाइन और साइटोसिल। ऐडेनाइन, थाइमीन के साथ जुढता है और साइटोसिल गुआनाइन के साथ जुढ्ता है। जेम्स डी क्रिक ने डीएनए की दोहरी पेचदार स्नरचना का सुझाव दिया था।

डि ए ने रेप्लिकेशन की प्रक्रिया

[1]

प्रक्रिया[संपादित करें]

मोलीक्युलर बाइओलोजी मे यानी आण्विक जीव विग्यान मे, डीएनए रेप्लिकेशन यानी डीएनए प्रतिक्रिति, एक डीएनए से दो समान डीएनए बनाने की प्रक्रिय है। डीएनए को कोपी किया जाता है। डीएनए प्रतिक्रिती के काफी सारे प्रक्रिया है। [2] इस प्रक्रिया मे प्रत्येक डीएनए किस्मे अलग हो जाती है। प्रथम है, इनिसिएशन, दुरसा है, ईलोङेशन, और तीसरा एवङ आखरी वाला है, टरनमिनेशन। डीएनए रेप्लिकेशन ओरिजिन औफ रेप्लिकेशन नामक जगह से शुरु होती है। ओरिजिन औफ रेप्लिकेशन अङ्रेजी के अक्शर Y जैसा प्रतित होता है इसिलिये उसे रेप्लिकेशन फोर्क भी काहा जाता है। डीएनए हेलिकेस नामक एनजाइम डीएनए को काटता है और दो अणुओ को अलग करता है। यह काम ए-टी रीच जगहो(ऐडेनिन एवङ थाइमीन जगाहो) पर शुरु होता है। सिङ्ल स्ट्रैन्डेड बाइन्डिङ प्रोटीन नामक प्रोटीन आकर सिर्फ एक डीएनए स्ट्रैन्ड मे जुड्ः जाता है ताकी वो दोनो सिङ्ल स्ट्रैन्ड आपस मे फिर से जुढ ना जाये। फिर रेप्लिकेशन की शुरुआत होती है। रेप्लिकेशन हमेशा ५ प्राइम से ३ प्राइम दिषा मे हि आगे बढ्ती है। डीनए रेप्लिकेशन मे रेप्लिकेशन दो अलग स्ट्रैन्ड मे दो दूस्ररी दिशाओ मे चलती है। इस इनिशिएशन कहा जता है। [3] प्राइमेस जो की एक आरएनए प्राइमर है, वो आके डीएनए की स्ट्रैन्ड मे आके बैट्ता है और वहीन से रेप्लिकेशन की शुरुआत हती है। याहान दो स्ट्रैन्ड, लीदिङ एवङ लैगिङ स्ट्रैन्ड है और दोनो मे ही अलग प्रकार से रेप्लिकेशन होती ही। लीडिङ स्ट्रैन्ड मे निरन्तर रेप्लिकेशन होती है परन्तु लैगिङ स्ट्रैन्ड मे रेप्लिकेशन रुक रुक कर होती है। यहान लैगिङ् स्ट्रैन्ड मे प्रत्येक प्राइमर से ओकाजाकी के टुकडे जुड्ःता रहता है और डीएनए की अणु लम्बी होती जाती है। पोलीमेरेस ३ नामक एनजाइम, हर अणु मे निउक्लिओटाइड जोढ्ता है जिस्से की डीएनए की अणु लम्बी होती जाती है। लीडिङ स्ट्रैन्ड लगातर लम्बी होती रहती है जिसे डीएनए पोलिमेरेस मदत करती है जिसकी काफी हाइ प्रोसेसिविटी यानी उच्च प्रक्रियात्मकता होती है। इसे इलोङेशन काहा जाता है। आखरी जो स्टेप है उसे टर्मिनेशन काहा जाता है। टर्मिनशन मे डीएनए रेप्लिकेशन फोर्क रुक जाता है और रेप्लिकेशन वही पर बन्ध हो जाता है। याहान दो प्रकार से टर्मिनशन होती है, एक है जाहान रेप्लिकेशन फोर्क तर्मिनेशन सीक्वेन्स से मिलता है और दुसरा है जहान एक प्रोटीन आके डीएनए सीक्वेन्स मे जुड्ः जाता है और रेप्लिकेशन रुक जाता है। इसि के साथ डीएनए रेप्लिकेशन की समाप्ती होती है। [4]

रेफरेन्स[संपादित करें]

  1. https://www.khanacademy.org/science/biology/dna-as-the-genetic-material/dna-replication/a/molecular-mechanism-of-dna-replication
  2. https://www.thoughtco.com/dna-replication
  3. https://www.yourgenome.org/facts/what-is-dna-replication
  4. http://www.biology-pages.info/D/DNAReplication.html