सदस्य:Priya Kori

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Priya Kori
नाम प्रिया कोरी
जन्मनाम प्रिया कोरी
लिंग स्री
जन्म तिथि १७/०७ /२०००
जन्म स्थान बैंगलोर
निवास स्थान बैंगलोर
देश साँचा:Country data हिंदुस्तान
नागरिकता हिन्दू
शिक्षा तथा पेशा
पेशा छात्र
महाविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
विश्वविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
उच्च माध्यामिक विद्यालय दीक्षा कॉलेज
शौक, पसंद, और आस्था
शौक गाना
धर्म हिंदू





परिचय[संपादित करें]

मेरा नाम प्रिया कोरी है |मेरा जन्म १७ जुलाई २००० को सिद्दापुर नाम के एक छोटे से गाँव में हुआ था |हालाँकि मैं भारत में पैदा हुई थी लेकिन मैंने अपना बचपन विदेश में बिताया।मेरे बचपन के सबसे अच्छे दिन नाइजीरिया में बीते थे |मैं लगभग आठ साल वहाँ थी| मैं उस माहौल में घुल मिल सी गयी थी |वहाँ आठ साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला |नाइजीरिया में इतने साल बिताने के बावजूद मैं अपनी भारतीय संस्कृति को नहीं भूली |करीब दस साल हो गए हैं मुझे भारत आये हुए |पहले तो मुझे अपनी मातृभाषा सीखने में मुश्किल हुई, लेकिन अब मैं उसमें प्रवाहित हूँ |

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

मेरा नाम प्रिया कोरी है |मेरा जन्म १७ जुलाई २००० को सिद्दापुर नाम के एक छोटे से गाँव में हुआ था |हालाँकि मैं भारत में पैदा हुई थी लेकिन मैंने अपना बचपन विदेश में बिताया।मेरे बचपन के सबसे अच्छे दिन नाइजीरिया में बीते थे |मैं लगभग आठ साल वहाँ थी| मैं उस माहौल में घुल मिल सी गयी थी |वहाँ आठ साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला।मेरी पढ़ाई दूसरी कक्षा तक इंडियन लैंग्वेज स्कूल में हुआ |मैंने वहाँ कई सारे कौशल सीखे ,जिनमें से कुछ नृत्य और तायक्वोंडो थे | तब मैं केवल दो भाषाएँ जानती थी - हिंदी और अंग्रेजी।हम दस भारतीय परिवारों के साथ एक कॉलोनी में रहे | शायद यह भी एक वजह हो सकती है की मैंने अपनी संस्कृति नहीं भुलाया हो |हमने अपनी कॉलोनी में सभी त्योहार मनाए | हमारी कॉलोनी बहुत बड़ी थी जिसमें बच्चों के खेलने का क्षेत्र, स्पोर्ट्स क्लब, फैक्टरी, जिम शामिल इत्यादि थे। मैं और मेरी बहन रोज बैडमिंटन खेलते थे |इस तरह हम स्वस्थ थे और हमें अपना मनोरंजन भी मिलता था | साल में एक बार हम समुद्र तट पर जाते थे | हम वहां दो महीने की गर्मियों की छुट्टियां मनाते थे | उन दो महीनों में हमने दुबई, मलेसिया जैसे कई अन्य स्थानों की यात्रा की | तब सब कुछ अच्छा लगता था|हम सन २००७ को भारत वापस लौटे |पहले तो मुझे कभी कुछ अच्छा नहीं लगता था परन्तु अब यहाँ घर सा लगता है ।करीब दस साल हो गए हैं मुझे भारत आये हुए |पहले तो मुझे अपनी मातृभाषा सीखने में मुश्किल हुई, लेकिन अब मैं उसमें प्रवाहित हूँ |जब मैं भारत वापस आई तो मैं अपने दादा-दादी और परिवार के बाकी सदस्यों को देखकर बहुत खुश हुई थी |मैं दूसरों की तरह शर्मीली किस्म की कभी नहीं थी |शुरुआत में मैं सबसे कम बात करती थी जिसकी वजह मातृ भाषा थी  जो मुझे उन दिनों ठीक से नहीं आती थी |पर अब कोई यह नहीं कहेगा की मैं काम बोलती हूँ |मैंने दूसरी कक्षा से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई द ऑक्सफ़ोर्ड सीनियर सेकेंडरी स्कूल में की | मुझे कहना होगा कि वहाँ की यात्रा वास्तव में बहुत सुंदर रहा।वहाँ मैंने बहुत अच्छे दोस्त बनाए |

लक्ष्य[संपादित करें]

बचपन की सबसे अच्छी बात सपना देखना रहा है | हमारे हर सपनों को जैसे किसी ने पंख दे दिया हो | लेकिन मेरा पहला सपना पायलट बनना था ,हवा में ऊंची उड़ान भरने का था | परन्तु उस समय मुझे वास्तविकता का कोई ज्ञान न था | मैं तो अपने सपनो की दुनिया में मग्न थी | और जब होश आया तब से सिर्फ एक ही सपना देखा और वो था सी.ए. बनने का | सी.ए. बनकर मैं अपने परिवार पर गर्व महसूस कराना चाहती हूँ |मैं उन सभी लोगों को सही साबित कराना चाहती हूँ जो सोचते हैं की मैं  जिंदगी में कुछ कर सकती हूँ - चाहे वो मेरे अध्यापक हो या मेरे दोस्त |मैं अपने निर्णयों को लेकर आश्वस्त हूँ और मैं अपने सपनों का पालन करुँगी | मुझे यकीन है कि भगवान ने मेरे लिए कुछ अच्छा ही सोचा होगा | बस मुझे निडर होके ,बिना रुके आगे बढ़ते रहना होगा |