सदस्य:Nayantara Keswani 2230572/प्रयोगपृष्ठ

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चेट्टी चंद[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

सिंधी जनता चेट्टी चंद कि दिवस मनाते हैं। इस दिन सिंधी महीना चेट का पहला दिन पर होता हैं। [1] इस दिवस के लिए, सिंधी जनता चंद्रमा-संबन्धी पंचांग का प्रयोग करते हैं। यह दिवस वसंत और फसल का ॠतु का आगमन करता हैं।

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इतिहास[संपादित करें]

चेट्टी चंद सिंधी नए साल के द्वारा मनाया जाता हैं। उस दिन पर उनके देवता झूल्लेलाल का जन्म हुआ था। झुल्लेलाल या लाल सैं सिंधियों के संरक्षक संत थे। यह माना जाता हैं कि वह एक समुद्रर देवता थे जो समुद्र से एक मछली पर उभरा हुआ था। सिंधियों जो अत्याचारी शासक मिर्खशाह से डरते थे, उन लोग समुद्र के किनारे पर प्राथना कर रहे थे। तब माना जाता हैं कि झुल्लेलाल सैं उन लोगों कि रक्षा के लिए आए थे। [2]


उत्सव गतिविधियाँ[संपादित करें]

श्रद्धा के लिए, इस दिन पर लोग बेहरानो प्रस्ताव करते हैं। एक थाली में एक नारियल रखी गई हैं। गेंहू के अट्टा से दिया बनाकर पाँच बत्तियाँ जलाते हैं।[3] फूलों और फलों भी प्रस्ताव के लिए थाली पर रखे गए हैं। मिश्री, इलायची, जल और देवता के मुर्ति थाली पर रखकर, लगभग साँझ के समय पर उस थाली समुद्र या नदी में डूबा गया हैं। भक्तों अखो साहिब से प्रार्थना करते हैं। अखो साहिब के समय में लोग अपने हाथ जोड़कर वे भगवान के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते है और उनके मनोकामनाए पूरी करने के लिए उनके देवता को प्रार्थना करते हैं। सिंधियों इस दिवस के लिए मीठी चावल - "तैरी" मिट्टी के मटका में बनाते हैं। इस तैरी चावल में केसर, छीनी, और घी डालकर, उस मटका गुंधा हुआ अट्टा के साथ बंद करके, बेहरानो साहिब के साथ समुद्र में डूबा जाता हैं। मिठाई जैसे सीरो, मालपुआ, रबड़ी, खीर, मीटो लोलो (एक सिंधी विनम्रता) और गुलाब जामुन इस दिन पर प्रसाद के रूप में खाया जाता हैं। जब बैहरानो समुद्र कि तरफ जाता है, सिंधियों और अलग-अलग जन छेज नाचते हैं।[4] छेज एक सिंधी लोक नृत्य है जहाँ लोग एक चक्र में नाचते हैं। नर्तकियों के हाथों में ढोकला पकड़ते हैं। एक प्रमुख नर्तक या नर्तकों कि एक जोड़ी चक्र कि बीच में नाचते हैं। छेज में समन्वय कि आवश्यक्ता है और इसे गरबा के समान भी कहा जाता हैं।[5] भक्तों लाल सैं प्नझ्रों भी गाते हैं। वे समुद्र देवता झुल्लेलाल सैं के स्तुति में गाए हुए पाँच पंक्ति के भक्त गीत हैं जो इस दिवस पर सारे भक्तियों गाते हैं।[6] इस नव वर्ष के लिए उत्सवों, जुलूस, और दावत दलों भी होते हैं। चेट्टी चंद पर कुछ लोग इस त्योहार व्रत के साथ शुरूआत करते हैं। सिंधी गरीबों को भोजन और कपड़े देते हैं। वे इस दिन कमज़ोर लोगों के मदद के लिए दान करते हैं क्योंकि जब वे एसी स्थिति में थे जहाँ वे असुरक्षित थे, झुल्लेलाल सैं ने उनकी मदद की। बदले में, उन्हे बचाने के लिए उनके जन्म का जश्न मनाने के लिए, सिंधी ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उस दिन दान करना जारी रखते हैं। इस त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है और गुड़ी पड़वा और उगादी के लगभग एक ही समय में मनाया जाता हैं।


निष्कर्ष[संपादित करें]

इसके बजाय, सिंधियों "चंद" या "चंद्र रात" भी हर महीना मनाते हैं। इस दिन हेर महिने के पहला दिन पर मनाते हैं (हिंदू पंचाग के अनुसार पर)। इस अमावास्या पर हर महीना सिंधियों लाल सैं के भजन गाते हैं, तैरी बनाते है, प्रसाद के लिए कनाओ खाते हैं और मंदिर जाके हवन और प्रार्थना करते हैं। [7]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Cheti_Chand
  2. https://en.wikipedia.org/wiki/Cheti_Chand
  3. https://www.mypandit.com/festivals/cheti-chand/
  4. http://lisindia.ciil.org/Sindhi/sindhi_cult.html
  5. https://thesindhuworld.com/sindhi-folk-dance-chhej/
  6. http://lisindia.ciil.org/Sindhi/sindhi_cult.html
  7. https://www.mypandit.com/festivals/cheti-chand/