सदस्य:Nair Kirti/प्रयोगपृष्ठ

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
A Bharatanatyam pose representing 'certainty'.

भारतानाट्यम प्रदर्शणों की सूची[संपादित करें]

दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम, भाव, राग और ताल के मिलन से बनता है. भरत मुनि के नाट्यशस्त्र पर आधारित यह शैली नृत्त, नृत्य और नाट्य क मेल है. इस कला मे प्रशिक्षित नर्थक जब पहली बार रंगमंच पर नृत्य करते है तोह उसे "अरंगेत्तम" कहा जाता है. अरंगेत्तम क अर्थ है "मंच पर चढ़ना". एक भारतानाट्यम प्रदर्शनी मे किए जाने वाले प्रदर्शनों की सूची को 'मारगम' कहा जाता हैं. भारतानाट्यम मारगम मे निम्नलिखित नृत्य शामिल हैं:

पुष्पांजलि[संपादित करें]

भारतानाट्यम प्रदर्शनी का शुरुआत इस नृत्य से होता हैं. अंजली का अर्थ होता हैं, समर्पण करना. जिस प्रकार गीतों के समर्पण को 'गीतांजलि' और सम्मान के समर्पण को 'श्रद्धांजली' कहा जाता हैं, उसी प्रकार पुष्पों के समर्पण या अर्पण को 'पुष्पांजलि' कहा जाता हैं. [1] इस नृत्य के द्वारा नर्थकी भगवान और रंगमंच को प्रणाम करतीं हुई उसपर पुष्प अर्पित करतीं हैं. कभी-कभी, इसमें श्लोकों का भी प्रयोग किया जाता हैं जो कोई एक देवता या देवी की प्रशंसा करता हो. यह नृत्य मुख्यरुप से नृत्य के देवता, नटराज के वंदना पर आधारित हैं. नर्थकी, त्रिदेवों, देवियों, अष्टादिकपालको और गुरुजनों को प्रणाम करतीं हुई उनके सामने पुष्प अर्पित करतीं हैं.

अलारिप्पू[संपादित करें]

कन्नड़ मे अलरिप्पू का अर्थ हैं, फूल का खिलना. यह इसलिए हैं क्यूंकि इसमें नृत्य और नर्थक फूल के समान धीरे-धीरे विकसित होता हैं. यह नृत्य भी, पुष्पांजलि की तरह दर्शकों का अभिवादन और स्वागत करने के लिए किया जाता है. नार्थकी अपनी पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से अपने गुरु, संगीतकारों, वादकों तथा दर्शकों का सादर प्रणाम करतीं हैं. अलरिप्पू मे नृत्त का प्रयोग किया गया हैं अर्थात, इसमें अभिनय और भावनाओं का प्रयोग ना करते हुए, तीव्र और लायबद्ध गति से हाथ और पैर का उपयोग किया जाता हैं. अलरिप्पू सामान्य रूप से नाटा, गौला, हम्सध्वनि, गंभीरनाटा आदि रागों मे गाया जाता हैं. यह एक "वार्म-अप डांस" माना जाता हैं क्यूंकि इसमें शरीर के सभी छोटे-बड़े अंगों का प्रयोग करते हुए, मृदंग की लय के अनुसार किया जाता हैं. [2]

जाथिस्वरम[संपादित करें]

दर्शनी का तीसरा नृत्य जाथिस्वरम हैं. यह भी नृत्त का प्रयोग करते हुए, अभिनय का प्रयोग बिलकुल नहीं करता. यह नृत्य, नर्थक के शरीर और मन को शांत और संतुलित करते हुए उसका ध्यान नृत्य की ओर पूर्ण रूप से केंद्रित करता हैं. जाथिस्वारम एक विशेष राग और ताल मे स्वरों के मिलन से बना जाता हैं. यह समान्य रूप से कल्याणी, हिन्दोलाम, शांकराभारणाम, हम्सनंदी, वचस्पथी, तोड़ी, भैरवी आदि रागों मे पेश किया जाता हैं. यह नृत्य तीव्र गति और आमतौर पर चतुश्र जाती मे किया जाता हैं. नर्थक सरल लयबद्ध संरचनाओ से आरम्भ करते हुए अधिक जटिल संरचनाओ की ओर बढ़ता हैं. [3]

शब्दम्[संपादित करें]

यह भारतानाट्यम मारगम का पहला नृत्य हैं जिसमे अभिनय का उपयोग किया जाता हैं. यह नृत्य साहित्य से भरपूर हैं. अक्सर यह नृत्य 4-5 छंद मे विभाजित हैं. हर एक छंद के बाद नृत्त के खंड होते हैं. प्रत्येक छंद मे अलग-अलग कहानी भी हो सकती हैं या पूरा नृत्य एक कहानी को दर्शा सकती हैं. परन्तु यह हमेशा एक व्यक्ति या एक विषय के बारे मे होता हैं. शब्दाम् को यशोगीतम भी कहा जाता हैं. पहले इन्हे सिर्फ एक राग मे गाया जाता था परन्तु अब इन्हे रागमालिका (रागों का माला) मे भी गाया जाता हैं. [4] पहले इस नृत्य द्वारा राजाओं की प्रशंसा की जाती थी परन्तु अब यह देवों और देवियों की आराधना करने के लिए भी की जाती हैं. आमतौर पर शब्दम् का आरम्भ राग कम्भोजी और मिश्रचाप ताल से होता हैं और आगे बढ़ते हुए हर एक छंद प्रत्येक राग मे गाया जाता हैं. [5]

वरणम्[संपादित करें]

यह नृत्य भारतानाट्यम मारगम का सबसे कठिन नृत्य माना जाता हैं क्यूंकि इसमें नृत्त और अभिनय का समानरूप से प्रयोग किया जाता हैं.यह सबसे लम्बा खंड और नृत्य हैं. एक पारंपरिक वरणम् 30-45 मिनट या कभी-कभी एक घंटे तक लम्बा हो सकता हैं. "मंच के स्थान का सही उपयोग होना चाहिए. नर्थक को मंच पर भटकना नहीं चाहिए, आगे बढ़ने के कुछ निर्धारिथ तरीके हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए". [6] वरणम् के पहले अंग, नर्थकी त्रिकाल जथि से शुरु करतीं हैं जिसमे गाये जाने वाले स्वरमाला के अनुसार नर्थकी लयबद्ध नृत्त का प्रयोग तीन काल मे करतीं हैं. वरणम् विभिन्न प्रकार के होते हैं जिसमे से पद वरणम् को भारतानाट्यम नृयत मे उपयोग किया जाता हैं. संगीत-गायन मे तान वरणम् को उपयोग किया जाता हैं. [7]

पदम्[संपादित करें]

अभिनय से भरा हुआ यह नृत्य रूप लोकप्रिय हैं क्यूंकि भारतानाट्यम के बारे मे ना जानते हुए भी एक व्यक्ति इस नृत्य को समझ सकते हैं और उसका आनंद ले सकते हैं. इस नृत्य रूप मे ज़्यादातर देवी-देवताओं की कहानियाँ दिखायी जाती हैं. नायक-नायिका के बीच का प्रेम सम्बन्ध भी इस नृत्य का महत्वपूर्ण विषय हैं. इस नृत्य मे भक्ति, श्रृंगार और विरह का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता हैं. यह नृत्य आमतौर पर तमिल, तेलुगु और कन्नड़ मे लिखे जाते हैं और यह धीमी गति मे किए जाते हैं. यह नृत्य अधिक भावनाओं के साथ किया जाता हैं और इसका उद्देश्य दर्शकों मे भी इन भावनाओं का उत्पन्न करना हैं. पदम् भारतानात्याम मार्गम् का सबसे सुन्दर और मनोहर नृत्य माना जाता हैं. [8]

थिल्लाना[संपादित करें]

यह नृत्य भारतानाट्यम मारगम का अंतिम नृत्य हैं. इस नृत्य के द्वारा नर्थक और दर्शक अभिव्यक्ति से बाहर निकलते हुए नृत्त शैली मे लौटते हैं, जहां शुद्ध गति और संगीत की एक श्रृंखला लयबद्ध रूप से की जाती हैं.इसमें पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम शामिल हैं. 'उसी अडावु' थिल्लाना की एक विशेषता हैं, जब नर्थक गति के त्वरित और तेज़ अनुक्रम द्वारा मंच का पूर्ण रूप से उपयोग करता हैं.

मंगलम्[संपादित करें]

मारगम के सबसे अंत मे नर्थक/नर्थकी अपने दर्शकों को प्रणाम करते हुए उन्हें धन्यवाद कहते हैं. वह अपने गुरु, संगीतकार और वादकों को भी प्रणाम करते हैं और उनके धैर्य और सहयोग के लिए धन्यवाद कहते हैं.

भारतानाट्यम नर्थक/नर्थकी कहलाने के लिए इन सब नृत्य रूपओं का ज्ञात होना अनिवार्य हैं. हर एक भारतानाट्यम प्रदर्शनी इस मारगम के अनुसार ही होता हैं. यह मारगम इस तरह बनाया गया हैं की दर्शकों को भारतानाट्यम की पारंपरिक सौंदर्य का पूर्ण रूप से आनंद ले सके.

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. https://onlinebharatanatyam.com/2010/12/10/pushpanjali/
  2. https://www.hindu-blog.com/2023/01/alarippu-in-bharatanatyam.html?m=1
  3. https://www.hindu-blog.com/2021/08/jathiswaram-meaning-bharatanatyam.html?m=1
  4. https://www.lokogandhar.com/margam-in-bharatnatyam-tradition/#:~:text=Margam%20means%20a%20path%20or,of%20the%20Bharatanatyam%20dance%20form.
  5. https://kalyanikalamandir.com/blogs/shabdam/
  6. https://nasa2000.livejournal.com/58658.html
  7. https://kalyanikalamandir.com/blogs/varnam/
  8. https://www.quora.com/What-is-a-padam-in-Bharatanatyam