सदस्य:Mukesh945

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    लाल कुर्ती आंदोलन

उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में सीमांत गांधी के नाम पर प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खान ने अपने खुदाई खिदमतगार संगठन के ध्वज और अपने स्वयं सेवकों के साथ इस आंदोलनो मैं अत्यंत सक्रिय रुप भाग लिया यह स्वयंसेवक लाल कुर्ती पहने हुए होते थे|यह पोशाक के कारण ही इन्हें लाल कुर्ती कहा जाता था यह आंदोलन विशुद्ध रूप से अहिंसक आंदोलन था कौमी आजादी के लिए उन्होंने कांग्रेस और गांधी जी का नेतृत्व स्वीकार किया|लाल कुर्ती दल ने गफ्फार खान को फज्र-ए-आफगान की उपाधि दी थी| इन्होंने पख्तून नामक एक पत्रिका पश्तो भाषा में निकाली जो बाद में 10 रोजा नाम से प्रकाशित हुई गफ्फार खां को बादशाह खान भी कहा जाता है| अप्रैल 1945 ईस्वी में गफ्फार खां को जिन्ना ने जंगी पठानों के हिंदू कारण तथा उन्हें नपुंसक बनाने की कार्यवाहक की संज्ञा दी| गफ्फार खां 1946 1947 ईस्वी में पख्तूनिशताब की मांगों को लेकर सक्रिय आंदोलन चलाया| पेशावर में एक महत्वपूर्ण घटना यह घटित थी कि 23 अप्रैल 1930 को जब गफ्फार खान को गिरफ्तार कर लिया गया तो पेशावर में हिंसा भड़क उठी| भीड़ की किस्सा कहानी बाजार में 3 घंटे तक बख्तरबंद गाड़ियां एवं तेज गोलाबारी के मध्य डटी रही| सरकारी सूचना के अनुसार इस घटना में 30 लोग मारे गए | गढ़वाली सिपाहियों के दो प्लाटून ने अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया|इसके नेता चंद्र सिंह गढ़वाली थे बाद में इनका कोर्ट मार्शल किया गया और लंबी जेल की सजा दी गई इस प्रकार राष्ट्रवाद की भावना सेना तक भी पहुंच चुकी थी|