सदस्य:Kaviraj rajdeep/प्रयोगपृष्ठ

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भारतीय फैशन का मनोविज्ञान[संपादित करें]

परिचय:-[संपादित करें]

भारतीय नारियों कि वेश-भूषा

फैशन शब्द देखने या सुनने में जितना सरल प्रतीत हो रहा है, असल में यह उतना सरल है नहीं। ’फैशन मनोविज्ञान’ का दायरा कपड़े और सुंदरता से अधिक फैला हुआ है।आज सारा दुनिया फैशन का दीवाना है क्यों‍कि इसमें समाई है दरियादिली। यदि हम अपने सामाजिक आचरण पर गौर करें तो पाएँगे कि हमारा अधिकांश आचरण फैशन पर ही आधारित है। चाहे यह आचरण केश सज्जा के संबंध में हो या जेवर, वेशभूषा, फर्नीचर, जूते-चप्पल, मकान बनाने या कमरे सजाने से संबंधित हो, हम सब चिजों में फैशन से ही प्रभावित रहते हैं चूँकि मानव स्वभाव नवीनता प्रिय होता है इसीलिए वह फैशन का अनुकरण करता है। फैशन की परिवर्तनशीलता के ही वजह आज हम लोग अंधानुकरण करते हुए भी इसके पीछे-पीछे भाग रहे हैं लेकिन इसके आगे नहीं निकल पाते हैं।

आज़ की दिनचर्या में अक्सर हमारा सामना ऐसे लोगों से होता है जो कुछ अलग तरह के कपड़े पहनकर घूमते हैं। उन्हें देखकर हम अपने मन में उनकी एक तस्वीर बना लेते हैं और फिर उसके अनुरूप ही उनसे बात या आचरण करते हैं। उदाहरण के तौर पर, पिछले दिनों गुड़गांव के एक शॉपिंग मॉल में एक बुजुर्ग महिला ने एक युवती को उसके द्वारा पहने गये ’छोटे कपड़ों’ को लेकर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा हुआ। गौरतलब है कि उस महिला ने उस युवती के कपड़ों को देख कर अपने मन में उसकी एक तस्वीर गढ़ ली होगी। इसी वजह से उसकी बातों और उस लड़की के प्रति महिला के आचरण ों पर इसका प्रभाव पड़ा। यही है फैशन मनोविज्ञान। आचरण िक विज्ञान से जुड़ा यह शब्द दो बेहद जरुरी शब्दों के मेल से बना है- फैशन और मनोविज्ञान। यह शब्द पढ़ने या सुनने में जितना आसान प्रतीत हो रहा है, असल में यह उतना आसान है नहीं। ’फैशन मनोविज्ञान’ का दायरा कपड़े और मेकअप से ज्यादा विस्तृत है।

क्या है इसके पीछे का मनोविज्ञान :-[संपादित करें]

फैशन के जन्म और नाश में एक और मनोवैज्ञानिक प्रेरक शक्ति विद्यमान है वह यह कि फैशन व्यक्ति की हीनता की भावना की क्षतिपूर्ति करता है। जिन लोगों के व्यक्तित्व में कुछ कमी या गलती होता है। उनमें इसी वजह हीनता की भावना पनपती है और वे इसी गलती की क्षतिपूर्ति करने के लिए फैशन के क्षेत्र में नेतृत्व करने की बात सोचते हैं। आज सारा दुनियाफैशन का दीवाना है क्यों‍कि इसमें समाई है दरियादिली। यदि हम अपने सामाजिक आचरण पर गौर करें तो पाएँगे कि हमारा अधिकांश आचरण फैशन पर ही आधारित है।

फैशन मनोविज्ञान का दूसरा अहम भाग है – मनोविज्ञान। मनोविज्ञान अथवा मनोविज्ञान मूल रूप से लोगों की मानसिक प्रकिया और उनके आचरण का अध्ययन है। मनोवैज्ञानिक लोगों के आचरण , उनके हाव-भाव और उनके बातचीत करने के तौर-तरीके से उनकी भावनाओं का अध्ययन करते हैं और फिर उनके व्यक्तित्व के बारे में एक निश्चित निष्कर्ष निकालते हैं। इस दृष्टिकोण से देखें, तो फैशन मनोविज्ञान का अर्थ है- व्यक्ति के फैशन के अनुसार उसके मन की भावनाओं का अध्ययन करना।

अब जानिए क्या है फैशन मनोविज्ञान? :-[संपादित करें]

फैशन मनोविज्ञान का अर्थ किसी व्यक्ति के पहनावे और उसके रहन-सहन के अनुसार उसकी पर्सनैलिटी का अध्ययन करना है। वर्तमान समय में फैशन उद्ध्योग के बढ़ते प्रसार की वजह से फैशन मनोविज्ञान काफी डिमांड में है। किसी फैशन प्रोडक्ट की मार्केटिंग के दृष्टिकोण से भी यह काफी कारगर है। कौनसे प्रोडक्ट का कितना कारोबार होगा और किस तरह के खरीदारों को क्या पसंद आयेगा, इस बात का अनुमान लगाने में फैशन मनोविज्ञान बेहद मददगार प्रतीत हो रही है।

फैशन मनोविज्ञान की उत्पत्ति :-[संपादित करें]

कुछ लोग ये समझते हैं कि फैशन मनोविज्ञान की उत्पत्ति बीसवीं सदी में हुई जबकि इसकी जड़ें असल में 19वीं सदी से ही जुड़ी हुई हैं। हेनरी जेम्स, जिनका जन्म 1841 में अमेरिका में हुआ था, उन्होंने सबसे पहले अपने भाषणों और लेखनी में फैशन मनोविज्ञान शब्द का उपयोग किया था। सर जेम्स ने सन 1869 में मेडिकल की पढ़ाई पूरी की, लेकिन उन्होंने मेडिसिन में काम न करके हावर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चरर की नौकरी कर ली।

वर्तमान फैशन मनोविज्ञान:-[संपादित करें]

सन् 1800 से अब तक फैशन की दुनिया में कई बदलाव आ चुके हैं। फैशन मनोविज्ञान का क्षेत्र अभी भी शुरुआती स्तर पर है। इस क्षेत्र में रिसर्च के साथ-साथ ही विभिन्न डिग्री कोर्सेस की भी शुरुआत हुई है। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने मनोविज्ञान में डिग्री लेकर इस क्षेत्र में आगे रिसर्च की।

भारत में फैशन मनोविज्ञान:-[संपादित करें]

भारतीय पुरुष की वेश-भूषा

आधुनिक युग में बॉलिवुड हस्तियों ने फैशन स्टाइलिस्ट के महत्व को समझा है और उन्हें बढ़ावा दिया है। अनायिता श्रॉफ अदजानिया, रिया कपूर और पर्निया कुरैशी जैसी स्टाइलिस्ट वर्तमान फैशन उद्ध्योग के जाने-पहचाने नाम हैं। इन्होंने बदलते दौर की जरूरत और लोगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए फैशन में नित नये प्रयोग किये। लोगों द्वारा भी उनके इस प्रयोग को खूब पसंद किया जा रहा है। यदि आप किसी पार्टी में एक ऐसा व्यक्ति देखेंगे, जिसने सलीके से सूट-बूट पहन रखा हो, तो आपके दिमाग में यही ख्याल आता है कि वह व्यक्ति जरूर किसी अच्छे पद पर कार्यरत हैं। इसी तरह अगर आपको कोई महिला बेतरतीब साड़ी लपेटे हुए नजर आती है और उसके चेहरे का मेकअप भी लिपा पुता सा दिखता है, तो आप अंदाज लगाते हैं कि या तो उसे अपने घर-परिवार और काम से फुर्सत नहीं मिलती या फिर उसे अपनी चिंता नहीं । जैसे- सैनिकों की वर्दी, जो उनके भीतर साहस और शौर्य का संचार करती है और उन्हें अपनी ड्यूटी को मुस्तैदी से निभाने के लिए प्रेरित करती है।

निष्कर्ष :-[संपादित करें]

फैशन उन लोगों के लिए एक आदर्श क्षेत्र प्रदान करता है। यह भी एक धारणा है कि फैशन में स्त्रियों की रुचि पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है। भारतीय समाज पुरुष प्रधान है जहाँ सदैव ही स्त्रियों को निम्न दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। इसलिए स्त्रियाँ अपने अस्तित्व को आकर्षक दिखाने में कायम रखती हैं। प्राचीन समाज में स्त्रियाँ आभूषण और तड़क-भड़क वाली कपडा पहनकर पुरुषों को अपनी ओर आकृष्ट करती थीं किंतु आज ये सोच बदल चुके हैं और लड़कियाँ अपने आपको पुरुषों के बराबर प्रतीत करना चाहती हैं।

संदर्भ :-[संपादित करें]

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