सदस्य:Hrithikkundu1840348

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मेरा नाम हृतिक कुंडू है। मैं उत्तर पूर्व के एक सुंदर राज्य असम के निवासी हु। मेरी मातृ  भाषा  बंगाली है, परंतु मुझे असमिया भाषा का भी ज्ञान है।

मैने अपनी स्कूली शिक्षा केन्द्रोय विद्यालय नगाओं से पूरी की है।

मैन कक्षा 10वी  साल 2015 में पास की थी तथा 12वी मैने 2017 में पास की।

बचपन :- बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं । बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है ।माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना परिवार के लोगों के साथ घूमना-फिरना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं । सचमुच बचपन के दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक होते हैं।

मुझे अपने बाल्यकाल की बहुत-सी बातें याद हैं । इनमें से कुछ यादें प्रिय तो कुछ अप्रिय हैं । मेरे बचपन का अधिकतर समय नगाँव में बीता है । नगाँव के पाठशाला में एक गणित के शिक्षक थे । वे पहाड़ा याद न होने पर बच्चों को कई तरह से दंड देते थे ।

मुझे भी उन्होंने एक दिन कक्षा में आधे घंटे तक एक पाँव पर खड़ा रहने का दंड दिया था । इस समय मुझे रोना आ रहा था जबकि मेरे कई साथी मुझे देखकर बार-बार हँस रहे थे । मैं बचपन में कई तरह की शरारतें किया करता था ।

छुट्टी के दिनों में दिन भर गुल्ली-डंडा खेलना, दोस्तों के साथ धमा-चौकड़ी मचाना, फिाई का ढेला, ईंट आदि फेंककर कच्चे आम तोड़ना, काँटेदार बेर के पेड़ पर चढ़ना आदि मेरे प्रिय कार्य थे । इन कार्यो में कभी-कभी चोट या खरोंच लग जाती थी । घर में पिताजी (श्री विप्लव कुंडू) की डाँट पड़ती थी मगर कोई फिक्र नहीं अगले दिन ये कार्य फिर शुरू ।

मेरे बचपन से है मेरी माँ ने मुझे बड़े है लाद प्यार से रक्खा है।

मेरी बचपन की घर की सहेली मेरी छोटी बहन हुआ करती थी।

हम् साथ मे स्कूल जाते थे। तथा खूब मस्ती करते थे।


शिक्षा - मेरे जीवन का पहला स्कूल का नाम लोयोला पब्लिक स्कूल था। वह मैने कक्षा नर्सरी से एल के जी तक कि पढ़ाई की है।

उसके बाद मेरा एडमिशन केंद्रीय विद्यालय नगांव में करवाया गया।

मैने अपने छात्र काल का अधिकतर समय केंद्रीय विद्यालय नगॉव प्रांगण में ही व्यतीत किया है। कक्षा पहली से 12वी तक का सफर कब खत्म हो गया भनक तक नही लगी।

स्कूली शिक्षा के दौरान मेरे इंग्लिश सब्जेक्ट के शिक्षक मेरे बोहुत प्रिय हुआ करते थे। उनका नाम मिस्टर के एम सिंहा था।

मुझे 10वी में 9.8 सी जी पी ए आया था, तथा कक्षा 12वी में भी में अच्छे अंको से पास हुआ था।


परिवार: मेरा परिवार बहुत अनोखा है। मेरे परिवार के सभी सदस्य खुले दिमाग के हैं। हर क्षेत्र में अच्छा करने के लिये वो मुझे हमेशा प्रेरित करते हैं। प्रोत्साहित करने के बजाय वो कभी मुझे पीछे नहीं खींचते हैं। इस परिवार में जन्म लेकर मैं बहुत खुश हूँ। मेरा परिवार पार सांस्कृतिक विस्तृत परिवार है जहां मेरे चाचा-चाची, दादा-दादी, कज़िन आदि एक साथ रहते हैं। मेरे पिताजी का नाम विप्लव कुंडू है।माता का नाम माल्लिक कुंडू है। मेरी एक छोटी बहन है, उसका नाम भूमिश्री कुंडू है।

मेरे पितजी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यकर्त है। मेरी माँ गृहणी है। मेरी बहन कक्षा 8वी की छात्रा है।


उपलब्धियां: मैने अपने जीवन काल के 18 वर्ष गुज़ारे है। तथा इन 18 वर्षों में मैंने बोहुत सारी चीज़ें पाई तथा खोई है। बोहुत कुछ सीखा व जाना है। पर सबसे बड़ी चीज जो  मैंने जानी है वो ये है कि हमे कभी भी असफलता से मायूस नही होना चाहिए, वरण अगली बार और मेहनत करके असफलता को सफलता में तब्दील करके दम लेना चाहिए। यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

इसके अतिरिक्त, मैं एक अच्छा स्पोर्ट्स पर्सन हूं। मुझे दौड़ लगाने में अत्यंत हर्ष होता है। तथा मैं अपने दोस्तों में से  सबसे तेज़ दौड़ सकता हूं।

मुझे कंप्यूटर पे व मोबाइल पे नए नए गेम खेलना बोहुत पसंद है।

गेमिंग के क्षेत्र में मुझे बोहुत मेडल्स व पुरस्कार प्राप्त हुए है।

स्कूल के दिनों में मुझे हर साल 500 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में अव्वल स्थान प्राप्त हुआ है।

मुझे इंटरनेट की सहायता से खेले जाने वाले गेम्स में भी बोहुत सारे पुरस्कार मिले है।