सदस्य:Eleanor Singh Sangma

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Eleanor Singh Sangma
[[File:|thumb|बेंगलुरु के कला मेला मे खीची गयी तसवीर्|238px|]]
जन्मनाम एलेनोर सिंह संगमा
लिंग महिला
जन्म तिथि १.२.२०००
जन्म स्थान कोलकात
देश साँचा:Country data भारत्
नागरिकता भारतीय
जातियता गारो
शिक्षा तथा पेशा
शिक्षा संगीत और मनोविज्ञान
महाविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
विश्वविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
उच्च माध्यामिक विद्यालय सेंट मेरी स्कूल
शौक, पसंद, और आस्था
शौक गाना गाना और चित्र बनाना
धर्म ईसाई धर्म
चलचित्र तथा प्रस्तुति जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
पुस्तक मेज़ रन्न्रर्

मेरा बचपन[संपादित करें]

मेरा नाम एलनॉर सिंह संगमा है। मैं १८ साल की हूँ और अभी क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में पढ़ रही हूँ। मेरा जन्म कोलकाता, पश्चिम बंगाल मे हुआ था। जब मेरी मां काम करने लगी तब वो शिलांग मे रेहने लग गयी जिस्के वजह से मुझे भी उन्के साथ जाना पड़ा। उस समय मै दो साल कि थी। वहा मैने अपनी नरसरी की शिक्श की ३ साल के लिए और फिर मां वापस कोलकाता आ गयी। याहा मैने अप्नी मुख्य शिक्श कक्शा ३ तक की। मैरे स्कूल का नाम था "आर लेडी क़ुईन औफ द मिशन" और वो एक मिशनरी स्कूल था। जब मैं कक्श २ मे थी तब मैने अपने गाने की कला को खोजा और तब हि से मुझे ये पता चल गया की मुझे संगीत का कित्ना शौक है। मैं संगीत, मनोविज्ञान और अंग्रेज़ी साहित्य में डिग्री कर रही हूँ। इच्छा तो यह है की संगीतकार बना है और संगीत को किसी तरह मनोविज्ञान के साथ जोड़कर लोगों का चिकित्सा करना । घर में तीन सदस्य है मेरे माता, पिता और मैं। बचपन से ही मेरा बहुत ख़्याल रखते हैं क्यूँकि मैं उनकी एकलौती बेटी जो हूँ। उन्होंने कभी भी किसी बात के लिए ना नहीं कहा। लेकिन सही ग़लत चीज़ें हमेशा समझायी।

मेरी महत्वाकांक्षा[संपादित करें]

यहाँ बैंगलोर में आने से पहले मैं एक बोर्डिंग स्कूल में रहती थी जिसका नाम है “दी असम वैली स्कूल”। वहाँ पे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला और ख़ुद के काम खुदसे करना भी सीखा। स्कूल के सभी अध्यापक अच्छे थे। वे बच्चो के साथ अच्छे से बाते कर्ते थे और कभी भी हमे अकेला मेह्सूस होने नही देते थे। जौसे बच्चे थे वैसे बड़े भी। पे मुझे बहुत अच्छे दोस्त मिले - किमाया और मेगन । मैं उनसे अभी भी बात करती हूँ और उनका हाल चाल पूछती हूँ । मेरा बॉर्ड्ज़ इग्ज़ैम काफ़ी अच्छा गया जिसके बाद मैंने क्राइस्ट युनिवर्सिटी के लिए फ़ॉर्म भरा और इंटर्व्यू दिया । मैंने एक अंग्रेज़ी शास्त्रीय संगीत पेश किया जो सर को बहुत अच्छा लगा। मेरे पसंदीदा गायकों का नाम है आबा, क्वीन, हैरी स्टाइल्ज़ आदी । मैं भी बड़े होके एक गायिका बना चाहती हूँ । मुझे एक एकल कलाकार बना है और दुनिया भर में प्रदर्शन करना है । मेरे पसंदीदा पुस्तकें है-मेज़ रनर की पूरी शृंखला और पाउलो कोहलो की किताबें। मुझे यात्री बन्ने की ईछ्छा है और मुझे दुनिया भर के संगीत रूपों का पता लगाना है । ऐसे तो काफी सारे चीज़े है जो मुझे बन्ना है मगर मेरी सबसे बड़ी इच्छा यह है की मै एक गायक बनु। मेरे पापा एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार है । वह ग़ज़ल गाते है और बहुत जगों में पेश कर चुक है । मुझे भी एक सफल संगीतकार बना है और मेरे माता-पिता का नाम रोशन कर्ना है।

मेरी वर्तमान जीवन[संपादित करें]

क्राइस्ट युनिवर्सिटी में हर दिन नया कार्यक्रम होता है जिसके वजह से यहाँ के छात्रों को मनोरंजन मिलता है। यहाँ पे मेरे दोस्त है जो संगीत में मेरी तरह रुचि लेते है और हमारे अध्यापक बाहर से है इसलिए उन्हें  विदेशी संगीत में बहुत ज्ञान है। वो हमे केवल संगीत ही नही , उस्की कला भी सीखाते है जिस्के कारण हमे बहुत कुछ सीखने को मिल्ता है। मै खुश हू की मेरे माता-पिता ने मेरा अभी तक साथ दिया। मेरे माता-पिता दोनो ही इस बात से ख़ुश है की मैं मनोविज्ञान और साहित्य के साथ साथ संगीत भी कर रही हूँ।  हमारे संगीत के अध्यपक बेहद अच्छे है। दो सर और दो मैम है। सर का नाम है ऑंड्रे और टैविस है , और अध्यापिका का नाम है बोरा ली उर नतालिया जो ऑंड्रे सर की पत्नी है । चारो ही बहुत अच्छे है और हमें प्यार और मस्ती मे सिखाते है। इन तीन सालों में मुझे संगीत के बारे में बहुत ज्ञान प्राप्त करना है और इस्मे सबसे अच्छा बन्ना है। मै इत्ना अच्छा बन्ना चाह्ती  हूं की लोगो को मेरी आवाज़ सुन्के खुशी मिले और दिल मे सुकून।   

मेरे पापा का नाम राजेश कुमार सिंह है और मा का नाम शाहिरा के संगमा। दोनो ही सरकारी काम करते है और दिन रात कठोर परिश्रम करते है। मैं चाहती हूँ कि मैं भी जल्द से जल्द काम शुरू करूँ और उनके लिए सब वापस करूँ जो भी उन्होंने मुझे दिया है उसके बदले में।

मैं अब तक तीन स्कूल में पढ़ चुकी हूँ - क्वीन अव द मिशन (कोलकाता), सेंट मैरिस स्कूल (गुवाहाटी) और फिर द असम वाली स्कूल (तेज़पुर) जोकि गुवाहाटी से बस चार घंटे दूर है।

मैंने अभी तक ज़िंदगी में जो भी पाया है मैं उसके लिए बहुत सूक्रगुज़ार हूँ और मैं यही विनती करती हूँ की मैं और मेरे प्रियजन सदा ख़ुश रहे और हमेशा ज़िंदगी से कुछ सीखते रहे।