सदस्य:Bhavananahar/प्रयोगपृष्ठ/मैरी एन्सवर्थ

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व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

[1]। मैरी डीन्समोर एयनसर्थ का जन्म १ दिसंबर १९१३ को ओहाइओ,अमेरिका में हुआ। उनकी माता का नाम मैरी साऑलटर था और उनके पिता का नाम चारलस साऑलटर था। उनके पिता इतिहास में डिग्री प्राप्त कर चुके थे। वे एक विनिर्माण फर्म में काम करते थे। उनकी माता एक प्रशिक्षित नर्स थी। उनके माता पिता अत्यधिक शिक्षित थे और अपने बच्चों को भी अत्यधिक शिक्षित करना चाहते थे। तीन बहनों में से वे सबसे बडी थी। पिता के स्थानांतरण के कारन, सन १९१८ में वे अपने परिवार के साथ टोरोंटो, केनेडा में बस गइ।

शिक्षा[संपादित करें]

तीन साल की उम्र में उन्होंने पढ़ना सीख लिया। वे हफ्ते में एक बार वो पुस्तकालय जाती थी, जहा उनकी माता उनके स्तर के अनुसार उन्हे पढ़ने के लिए किताबें देती थी। उन्हें पढने का बहुत शोक था। उनकी माता और उनके बीच लगाव ज़्यादा नहीं था। लेकिन उनके और उनके पिता के बीच बहुत लगाव था। वे विध्यालय में अवल अंको से पास हुइ थी। १५ वर्ष की उम्र में विलयम मैकडॉगल की किताब "चरित्र और जीवन का संचालन" उन्हें मनोवैज्ञानिक बनने की इच्छा हुई। उन्होंने १६ वर्ष की उम्र मे टॉरोंटो विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण शुरु किया, जहा वो चार छात्रों में से एक थी जिन्होने मनोविज्ञान में स्नातक डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने स्नातक डिग्री के लिए पाठ्यक्रम सन १९३५ में समाप्त किया। उन्होंने सन १९३६ में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की और सन १९३९ में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की थी। [2]

व्यवसाय[संपादित करें]

सन १९४२ में केनेडियन महिला सेना में दाखिला लेने से पेहले,कुछ समय के लिए टॉरोंटो विश्वविद्यालय में अध्यापक का काम किया। सेना में शुरुआती दोर में वे एक सेना परिक्षक थी जो चुने गए सेना कर्मियों का साक्षात्कार के आधार पर चयन करती थी। उनके कर्तव्यों में नैदानिक ​​मूल्यांकन और कर्मियों के मूल्यांकन परीक्षणों का प्रबंधन शामिल थे। जल्द ही उन्हें केनेडियन महिला सेना कार्मिक चयन निर्देशक का सलाहकार बनाया गया और सन १९४५ में वे मेजर के पद पर पहुंच गइ। युद्ध जीतने के बाद वे टॉरोंटो विश्वविद्यालय में व्यक्तित्व मनोविज्ञान पढ़ाना जारी रखा। सन १९५० में उन्होने लियोनार्ड एन्सवर्थ से शादी की, जो टोरंटो विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में एक स्नातक छात्र थे। उनके पति की उच्च शिक्षा के लिए वे लंदन चले गए। उनके पति ने लंदन विश्वविद्यालय से डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। वे अपने पति के साथ उन्हें बहुत सारे प्रभावशाली मनोवैज्ञानिक जैसे जॉन बॉल्बी से मिलने और काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। शादी के दस साल बाद, सन १९६० में उनका तलाक हो गया। कई अन्य अकादमिक पदों के बाद, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में लंबे समय तक काम करने के बाद वे अंत में सन १९७५ में वर्जीनिया विश्वविद्यालय में बस गइ और अपना बाकी का सारा शैक्षणिक जीवन (सन १९८४ तक) वहीं बिताया। यहा वे प्रोफ़ेसर एमेरिटस बनी और सन १९९२ तक सक्रिय रहीं। जॉन होपकिनस में कार्यालय के दौरान उन्हे अपनी कुशलता अनुसार मान्यता नहीं मिलि। इसका सबसे बडा कारन उनकी छोटी उम्र थी। उनकी वेतन उनकी कुशलता से मेल नहीं खा रही थी। उन्हे एक एसोसिएट प्रोफेसर की स्थिति प्राप्त करने के लिए दो साल इंतजार करना पड़ा, हालांकि उनकी योग्यता नौकरी विवरण को पार कर गई थी। उस समय, महिला और पुरुष साथ बैठ कर खाना नहीं खा सकते थे, जिसका मतलब यह है कि महिलाएं पुरुषों के साथ मेल नहीं खाती। ऐंसवर्थ ने सन १९९८ में विकास मनोविज्ञान के लिए एपीए से जी स्टैनले हॉल पुरस्कार सहित कई सम्मान प्राप्त किए हैं। सन १९८५ में बाल विकास के लिए विशिष्ट योगदान और १९८९ में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन से उन्हें वैज्ञानिक योगदान के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सन १९९२ में उन्हें अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का एक फैलो चुना गया था। २१ मार्च १९९९ में स्ट्रोक के कारन, ८५ वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी। मनोविज्ञान के क्षेत्र में उन्होने लगाव सिद्धांतों पर गहन शोध किया है। उन्होंने अजीब स्थिति की प्रक्रिया तैयार की थी। उन्होंने इस प्रक्रिया की मदद से एक बच्चे और उसके प्राथमिक देखभालकर्ता के बीच शुरुआती भावुक लगाव को देखने की कोशिश की है।

प्रमुख कार्य[संपादित करें]

१ बाल देखभाल और प्यार का विकास २ युगांडा में बाल जीवन ३ अनुलग्नक के पैटर्न

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Mary_Ainsworth
  2. https://www.simplypsychology.org/mary-ainsworth.html