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राजकुमार सांगवान[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

राज कुमार सांगवान जिनका जन्म २० अगस्त सन १९६९ में सहवास गांव में भवानी डिस्ट्रिक, हरियाणा में हुआ। इनको सन १९९६ में मुक्केबाज़ी के लिए अर्जुन अवार्ड प्राप्त हुआ। राज कुमार जी हमारे देश के पहले भारतीय है जिनको एशियाई गेम्स के मुक्केबाज़ी में स्वर्ण पुरस्कार से नवाज़ा गया। इन्होने हमारे पूरे देश और सभी देशवासियों का गर्व से सर ऊँचा कर दिया ।. एशियाई गेम्स में स्वर्ण पुरस्कार जीतने के कुछ समय बाद ही वह यूनाइटेड किंगडम जाकर व्यावसायिक मुक्केबाज़ी में चले गए. और वहां खेलने लगे। मुक्केबाज़ी की दुनिया में वह "शुगर" के नाम से बेहद मशहूर ।. यह अलग बात है की व्यावसायिक मुक्केबाज़ी दुनिया में उन्हें बेहद सिमित तरक्की प्राप्त हुई परन्तु राज कुमार ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने भिवानी के मुक्केबाज़ों को इस खेल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें बहुत बढ़ावा दिया ताकि वह भी पूरे भारत का नाम रोशन कर सकें और वह भिवानी को छोटा सा क्यूबा बनाने में सफल हों।


उपलब्धियां[संपादित करें]

राज कुमार जी आल इंडिया प्रोफेशनल बॉक्सिंग फेडरेशन के एक विशाल महासचिव हैं यह आज भी नयी पीढ़ी को मौका देने में विशवास रखते हैं और हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार होते हैं। यह हमारे भारतीय नौजवानो के लिए क बहुत बड़ी प्रेरणा है और मुक्केबाज़ी की दुनिया में इन्होने अपना एक अलग छाप छोड़ा है जो हमारे देश के लिए एक बहुत बड़े सम्मान की बात है।राज कुमार सांगवान जी ने एक बार हे नहीं बल्कि दो बार हमारे देश के लिए एशियाई गेम्स में स्वर्ण पुरस्कार की प्राप्ति की है। एक बार सन १९९१ में और १९९४ में। राजकुमार जी ने अपनी स्नात्तकोतर उपदि और अपनी पीएचडी शारीरिक शिक्षा में पूरी की उसके बाद हे उन्होंने मुक्केबाज़ी में अपना हाथ जमाना शुरू कि।. सन १९८६ में. यह भारत के सबसे पहले पेशेवर वज़नदार मुक्केबाज़  हैं । राजकमर जी के गुरु का नाम है स्वर्गीय कप्तान हवा सिंह, जो खुद एक बोहोत जाने मने  मुक्केबार थे, उनको अपने बेहद काबिल काम के लिए द्रोणाचार्य तथा अर्जुन पुरस्कारों से नवाज़ा गया है।. राज कुमार जी भी अपने गुरु के मार्गदर्शन पर चल रहे हैं और भारत के सबसे जाने माने मुक्केबाज़ों में अपना नाम बेहद् फक्र के साथ शामिल कर चुके ।. उनको पूरे दुनिया में सुपर हैवी वेट केटेगरी में चौथी जगह दी गयी थी सन १९९४ में, इससे उन्होंने पूरे भारत का सर फक्र से ऊँचा कर दिया है।. मुक्केबाज़ी की दुंनिया में इनकी देन को हरियाणा सरकार ने भीम स्टेट स्पोर्ट्स पुरस्कार से सम्मानित किया है और उनके प्रति अपना कर्त्तव्य जताया है।.इनको बिहार के एक पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया गया था परन्तु वो पुरस्कार उनको प्राप्त ना हो सका। सन १९९६ में इनको भारत के राष्ट्रपति से अर्जुन अवार्ड का पुरसकार प्राप्त हुआ और पूरे देश को उनकी उपलब्धियों का अंदाज़ा हुआ और उनको उनका उच्चित सम्मान प्राप्त हुआ।

योगदान[संपादित करें]

आजकल राज कुमार जी अपना पूरा समय अपनी अकादमी जिसका नाम है इंडियन बॉक्सिंग एंड स्पोर्ट्स अकादमी को दे रहे हैं। उनका यही सपना रहा है की वह इस देश से मुक्केबाज़ी की प्रतिभा को लोगों में खोज कर उसको बढ़ावा दें। वह इस देश को मुक्केबाज़ी में एक नए मुकाम पर पोहोचाना चाहते हैं और इस अकादमी के द्वारा वह अपना सपना पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अकादमी सन २००२ में शुरू हुई थी। यह संस्था जो सिर्फ २५ मुक्केबाज़ों से शुरू हुई थी आज इसमें १०० से ऊपर लड़के और लड़कियां मुक्केबाज़ी सीखने आते हैं और राजकुमार जी के सपने को एक नयी उड़ान देने का हौसला देते हैं। यह संस्था वर्ल्ड बॉक्सिंग कौंसिल से भी जुडी हुई है। इंडियन बॉक्सिंग एंड स्पोर्ट्स अकादमी ने ३० अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ों को जन्म् दिया है जिन्होंने कामनवेल्थ और एशियाई गेम्स में स्वर्ण पुरस्कारें जीत कर इस संस्था का और हमारे देश् का नाम बहुत् ऊँचा किया है और यह साबित किया है की अगर एक मनुष्य भी ठान ले की उसे अपने देश के लिए कुछ करना है और उसक नाम रोशन करना है तोह कोई भी मंज़िल उसके लिए मुश्किल नहीं होती। यह सारे खिलाड़ी जो इस संस्था से उजागर हुए हैं और कामनवेल्थ और एशियाई गेम्स में स्वर्ण पुरस्कार जीते हैं इन सबकी एक ही ख़ास बात है वह यह है की यह सब लोग बहुत् ही छोटे -छोटे गाओं से आते हैं और काफी कम वित्तीय सहाय्यता और मध्य वर्गीय परिवारों से आते हैं। इनके पास खेलने के लिए मेहेंगे मशीन और अच्छे खेलने के मैदान भी नहीं थे , परन्तु फिर भी इन्होने हर मुश्किल का सामना किया और अपनी सारे परेशानियों को नज़रअंदाज़ करके अपने लक्ष्य की ओर ध्यान् दिया और आज वह कहाँ से कहाँ पोहोंच गए हैं । इस सपने के साकार होने के पीछे एक ही मनुष्य का हाथ है और वह है राजकुमार जी जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी मुक्केबाई और देश के नाम करदी ।आजकल वह अपनी अकादमी के लिए और दो कोच की तलाश में हैं ताकि इस संस्था को और नयी ऊंचाइयों पर पोहोंचा सकें और भारत की नयी प्रतिभाओं को मौका मिल सके अपने और अपने देश के लिए कुछ करने का। यह अकादमी गढ़ौली गाओं , गुडगाँव में स्थापित है और हर बच्चा जो मुक्केबाज़ी में भाग लेना चाहता है उस हर प्रतिभा के लिए इस संस्थान में जगह है। राजकुमार जी एक अत्यंत प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं जिन्होंनेअपने देश के लिए अपनी पूरी ज़िन्दगी न्योछावर करदी। उनकी उपलब्धियों पर इस पूरे देश को हमेशा फक्र रहेगा ।