सदस्य:Akhtar Yusra

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मौलाना का चित्र|
मौलाना की तस्वीर|
मौलाना सलामतुल्लाह बेग
जन्म ८ दिसंबर, १९११
फखरपुर, बहराइच, उत्तरप्रदेश
मौत १९९१
बहराइच, उत्तरप्रदेश
राष्ट्रीयता इंडियन
पेशा स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक विद्वान
प्रसिद्धि का कारण स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक विद्वान
धर्म इस्लाम

महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मोहम्मद सलामतुल्लाह बेग की कुर्बानियां[संपादित करें]

जीवन परिचय[संपादित करें]

मौलाना मोहम्मद सलामतुल्लाह बेग का जन्म उत्तर प्रदेश के छोटे से बहराइच शहर के जिले फखरपुर में ८ दिसंबर, १९११ को एक आदरणीय इल्मी परिवार में हुआ था| मौलाना के पिता का नाम रहमतुल्लाह बेग था जो एक सी·आई·डी अफसर थे|

शैक्षिक पृष्ठभूमि[संपादित करें]

मौलाना की प्राथमिक शिक्षा फखरपुर के मदरसा जवाहिरुल उलूम से शुरू हुई थी जहां से उन्होंने हिफज पूरा किया था| इसके बाद मौलाना आगे की पढ़ाई के लिए कानपुर चले गए थे जहां पर उन्होंने मदरसा अल हयात से अरबी और फारसी ज्ञान प्राप्त की और इसके बाद देवबंद में मदरसा दारूल उलूम में दाखिला ले लिया| मौलाना के अध्यापकों में शेख उल इस्लाम सैयद हुसैन अहमद मदनी, हज़रत मौलाना एजाज अली, साहिब हज़रत मौलाना इब्राहिम, जो उस जमाने के मशहूर अध्यापकों में से थे, उनसे इल्म सीखा|

भारत स्वतंत्रता की प्रतिनिधित्व[संपादित करें]

१९३२ में मौलाना ने अपनी पढ़ाई दारुल उलूम देवबंद से समाप्त की और उसके कुछ ही वर्ष बाद अपने मासूम बच्चों, पत्नी, और माता-पिता को ईश्वर के भरोसे छोड़ कर वतन की आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गए| मौलाना अपने अध्यापक मौलाना अहमद हुसैन मदनी के नेतृत्व में गांधी जी की भारत छोड़ो आनदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन को कामयाब कराने के लिए १९४० में बहराइच के मुसलमानों और दूसरे स्वतंत्र सेनानियों को प्रतिनिधित्व करते हुए ब्रिटिश सेना द्वारा जेल भिजवा दिए गए थे, जिसमें उनके साथ दूसरे स्वतंत्र सेनानि जोगेंदर सिंह भी थे| जेल जाने के बाद उन पर बहुत ज़ुल्म और सितम किया गया था|

आंगीजों ने मौलाना को सेक्शन 5/DIR-38 के तहेत २० दिसंबर १९४० से दो साल लगातार तक कैद ब मशक्कत सुनाई और इसके अलावा उनको २५० रुपए जुर्माना भरने की भी साजा सुनाई और अगर ये २५० रुपए नहीं ना अदा करे गए तो ६ महीना कैद और बढ़ा दी जाएगी|

मौलाना की कब्र|

भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद[संपादित करें]

मौलाना को तकरीबन १ महीने बाद बहराइच जेल से २ जनवरी १९४१ को गाजीपुर सेंट्रल जेल भिजवा दिया गया था| उनके सर्टिफिकेट में लिखा था कि "मौलाना के अच्छे व्यहवार की बुनियाद पर कैद में १२२ दिन की छूट दी जाती है और जुर्माना की रकम घटाकर २५ रुपए कर दी गई है|" मौलाना के अच्छे व्यहवार के कारण उनका बहुत चर्चा था| यहां तक कि सारे कैदी उनके चेले बन गए थे और मौलाना सबको भाई जैसा मानते थे|

मौलाना १९ जून १९४२ को गाजीपुर सेंट्रल जेल से रिहा होकर बहराइच आ गए| इसके बाद वह जामिया मसूदिया नूर उल उलूम, बहराइच में पढ़ाने लगे| मौलाना हिंदुस्तान के बड़े मशहूर इस्लामी अध्यापकों में से एक हैं| कहा जाता है कि जबसे मौलाना ने मदरसा नूर उल उलूम सम्मिलित किया है तबसे मदरसे में अच्छे बदलाव देखने को मिले हैं| मौलाना एक चोटी के इस्लामिक आलिम थे| मौलाना ने काफी आलेख और खत भी लिखे थे जिससे ये पता लगता है कि वे उर्दू और अरबी भाषा के एक माने जाने विद्वान थे|

स्वतंत्रता पाने के बाद भारतीय सरकार में मौलाना को मंत्री बनने का अवसर था लेकिन उन्होंने इल्म और पढ़ाई को ज़्यादा महत्त्व दिया और पॉलिटिक्स से दूर रहे|

इसके बाद मौलाना ने अपनी सारी ज़िन्दगी मदरसा नूर उल उलूम में चटाई पर बैठ कर इमली ज्ञान फैलाया| करीब ४९ वर्ष मौलाना एक चोटी के अध्यापक रहे और इस दौरान सैकड़ों बच्चों को पढ़ाया| वह मुस्लिम समाज के एक माने जाने बुज़ुर्ग थे|

मौलाना का देहांत १९९१ में पैरालिसिस अटैक के कुछ दिन बाद से होगाया था और वो अपने ईश्वर को प्यारे हो गए|

संदर्ब

Khan, M. (2023, January 26). Freedom fighter Mohammad Salamatullah Beg ki Kurbaniyan. Epaper.Inquilab. https://epaper.inquilab.com/ePaperImg/inq_26_01_2023#epaper_Mumbai/1

Saleem, V. a. P. B. M. (2016). Book “The Immortals” by Syed Naseer Ahamad. Muslimsaleem’s Blog. https://muslimsaleem.wordpress.com/2016/03/15/book-the-immortals-by-syed-naseer-ahamad/