सदस्य:Ajay Singh Sinsinwar

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 वायुमंडल क्या है ? ( What is the Atmosphere ? ) 

वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर हवा के विस्तृत भंडार को कहते हैं ! यह सौर विकिरण की लघु तरंगों को पृथ्वी के धरातल तक आने देता है , परंतु पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अवरोधक बनता है ! इस प्रकार यह ऊष्मा को रोककर विशाल “ग्लास हाउस” की भांति कार्य करता है , जिससे पृथ्वी पर औसतन 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बना रहता है  ! यही तापमान पृथ्वी पर जीव मंडल के विकास का आधार है !यद्यपि वायु मंडल का विस्तार लगभग 29000 किलोमीटर ऊंचाई तक मिलता है ! परंतु वायु मंडल का 99% भार सिर्फ 32 किलोमीटर तक ही सीमित है !

 वायुमंडल का संघटन ( Atmosphere Composition ) 

वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है ! सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन तथा उसके बाद क्रमशा ऑक्सीजन , आर्गन व कार्बन डाइऑक्साइड का स्थान आता है  ! इसके अलावा जलबाष्प , धूल के कण तथा अन्य अशुद्धियां भी असमान मात्रा में वायुमंडल में मौजूद रहती हैं ! विभिन्न गैसों की 99% भाग  मात्र 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीमित है , जबकि धूल कणों व जलवाष्प का 90% भाग अधिकतम 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिलता है !

नाइट्रोजन ( N2 ) – 78%ऑक्सीजन ( O2 ) – 21%आर्गन ( Ar ) – 0.93 %कार्बन डाइऑक्साइड – 0.03%

 वायुमंडल की विभिन्न परतें ( Layer of Atmosphere ) 

वायुमंडल की परतों को मुख्यता पांच भागों में बांटा गया है – 

GK Trick – वायुमंडल की परतें

1-क्षोभमण्डल ( 0 से 8/18  किमी )

यह मण्डल जैव मण्डलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मौसम संबंधी सारी घटनाएं इसी में घटित होती हैं। मौसम संबंधी सभी परिवर्तन इसी में होनें के कारण इसे परिवर्तन मंडल भी कहते हैं !प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर वायु का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस की औसत दर से घटता है। इसे सामान्य ताप पतन दर कहते है।इस मण्डल की सीमा विषुवत वृत्त के ऊपर 18 किमी की ऊंचाई तक तथा ध्रवों के ऊपर लगभग 8 किमी तक है।ऊपरी क्षोभमंडल में जेट वायुधारा प्रवाहित होती है !जलबाष्प , धूलकणों का अधिकांश भाग इसी में मिलता है ! 

2-समतापमण्डल 

इसका विस्तार 8 या 18 किमी से 50 किमी तक होता है !इसमें ओजोन परत ( 15 से 35 किमी ) पाऐ जानें के कारण इसे ओजोन मंडल भी कहते हैं !ओज़ोन गैस सौर्यिक विकिरण की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं।इस मण्डल में प्रारंभ में तापमान स्थिर रहता है तथा 20 किमी के बाद बढनें लगता है ! ऐसा ओजोन गैसों की उपस्थिति के कारण होता है , जोकि पराबैगनी किरणों को अबशोषित कर तापमान बढा देती हैं !समताप मण्डल बादल तथा मौसम संबंधी घटनाओं से मुक्त रहता है।इस मण्डल के निचले भाग में जेट वायुयान के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं हैं।

3-मध्य मण्डल ( 50 से 80 किमी )

इसका विस्तार 50-55 किमी से 80 किमी तक है।इस मण्डल में तापमान ऊंचाई के साथ घटता जाता है तथा लगभग -100 डिग्री सेंटीग़्रेट तक पहुच जाता है , जोकि वायुमंडल का न्युनतम तापमान हैं ! व इसकी ऊपरी सीमा से बाद पुन: ताप में व्रद्धि होने लगती है ! 

4-आयन मण्डल ( 80 से 640 किमी )

इस मण्डल में ऊंचाई के साथ ताप में तेजी से वृद्धि होती है।इसमें विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है ,जिहें आयन कहा जाता है ! इन्ही की अधिकता के कारण इस मंडल का नाम आयन मंडल है ! ये कण रेडियो तरंगों को भूपृष्ठ पर परावर्तित करते हैं और बेतार संचार को संभव बनाते हैं।

5-बाह्यमण्डल ( 640 किमी से ऊपर )

इसे वायुमण्डल का सीमांत क्षेत्र कहा जाता है। इस मण्डल की वायु अत्यंत विरल होती है।यहां गैसों का घनत्व बहुत कम पाया जाता है , यहां हाइट्रोजन व हीलियम गैसों की प्रधानता होती है !