सदस्य:Aditi356/प्रयोगपृष्ठ/1

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तुलसि विवाह समारोह

तुलसि का विवाह[संपादित करें]

इतिहास[संपादित करें]

हर साल तुलसि के विवाह को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वदशि के गोधुलि के समय मे मनाया जाता है | गीता मै लिखा गया है कि भगवान विष्णु चार महिने सोने के बाद इस दिन लक्ष्मि रूप तुलसि माता के साथ उनक विवाह सम्पन्न हुअ था | एस दिन विशाल बध्रिनाथ मन्दिर का द्वार दर्शन के लिये खुलता है | पुराणो मै माना जात है कि जो भी नैविद्य भगवान को छडाते है उसके साथ तुलसि का एक पत्ता होन चाहिऐ |

तूलसि विवाह का समारोह[संपादित करें]

इस दिन शाम को घर के दहलीज के सामने तुलसि माता को रखकर उसके सामने फूल , रगोली , दीप से सजाया जाता है | पॉच करौदे पर घी का दीप जलाकर 

तुलसि माता की आरती की जाती है | सुहासिनियो को बुलाकर हरिद्र , कुकुम देते है |उनका आशिर्वाद लिय जात है | यह चतुर्मास के दौरान आने के कारण एस दिन बहुत सारे दीप जलाते है | तुलसि का विवाह का कथा सब के सम्मुख पडते है | तुलसि की महाआरति की जाति है | करौदा का एक डाली को तुलसि के साथ बॉदते है | इसकी पूज की जाती है | इस दिन चातुर मास का व्रत तोडते है | व्रत तोदने के बाद सहज भोजन करते है | इस दिन तरह - तरह का खद्य बनाया जात है | पुरंपोलि और खीर बनाया जात है | तुलसि विवाह के कथा मे तुलसि का पुरा महत्व बताया गया है | तुलसि विवाल के कथ को सुनने वाले को बहुथ पुण्य मिलता है | पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूज की जाती है | विष्णु के साथ तुलसि का विवाह एअक परम्परिक हिन्दु शादि कि तरह होति है | विवाह समरोअह घरो मे मन्दिरो मे अयोजित किय जात है जह समरोह शाम तक तुलसि विवाह समरोअह को मनाया जात है | एक मान्डप घर के आगन मे बनय जात है जह तुलसि पोघे को लगाया जात है | दुल्हन तुलसि माता को एक साडी और गहने , हार सहित पहनय जात है | दोनो श्री क्रिष्णा कि मुर्थि और तुलसि माता जो हुम पोउधे की रूप मे सजाया जाता है | श्री क्रिष्ण की मुर्थि को सुन्दर दुल्हे कि तरह सजाया जाता है |

तुलसि पूजा

भारत मै तुलसि विवाह समारोह[संपादित करें]

भारत मे सौजा मे प्रभु दाम मे , इस त्यौहार के पूरा गाव द्वार सामूहिख रूप से मनय जात है | जिससे आकर्शण का महत्वपूर्ण बिन्दु बनता है | एकादशि से त्रियोदशि तक इस गाव मे तुलसि विवाह को त्योहार कि तरह मनाया जात है | ग्रामिणो के द्वार ही रामचरितमानस या रामायण के वैदिक रूप मै जप से शूरु किया जाता है | तीन दिन तक मनाया जाता है | तीनो दिन सारे भक्त्तो को विशेश प्रसाद दिया जाता है | आखरी दिन मे तिलकोत्सव और भगवान विष्णू और दवी ब्रान्डा का विवाह महोत्सव मनय जाता है | ग्रमीण लोग ५६ तरह के प्रसाद को बनाते है जिसे छ्प्पन भोघ कहते है | इस जगह की भक्ति - भाव को देखकर हम आश्छर्यचकित हो जायेगे | महराश्ट्र के दो प्रसिद्द राम मन्दिर जो सोरश्ट्र मै है समरोह एस तरह मनय जाता है | दुल्हन के मन्दिर के द्वार दुल्हे के मन्दिर को निमन्त्रन पत्र को भेजा जाता है | भगवान विष्णू को पल्कि मै बिटकार माता के मन्दिर ले जाते है | इस समरोह मै बहुत सारे भजन गाते है |

श्रेश्टता[संपादित करें]

तुलसि पूजा को भारत के कयी राज्यो मै बहुत ही धूम धाम से मानते है| इस त्योहार को समारोह की तरह मनाते है | तुलसि पूज बहुत ही महत्व है | रोज तुलसि पूजा हिन्दु प्रथा है | रोज तुलसि माता की पूज करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है |

सन्दर्भ[संपादित करें]

https://en.wikipedia.org/wiki/Tulsi_Vivah https://www.astrospeak.com/slides/how-to-perform-tulsi-pooja