सदस्य:सचिन राज पुरोहित/प्रयोगपृष्ठ

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हगाना[संपादित करें]

हगाना का चिन्ह
क्रियात्मक १९२० - १९४८
देश यिशुव, अनिवार्य फ़िलिस्तीन, इज़राइल

हगाना, फिलिस्तीन की यहूदी आबादी का मुख्य ज़योनी अर्धसैनिक संगठन था। यह संगठन १९२० और १९४८ के बीच ब्रिटिश राज के अनिवार्य फिलिस्तीन में सक्रीय था। हगाना आगे जाकर इसरायली रक्षा बालों का मूल संगठन बन गया।

यह संगठन पिछले मौजूदा मिलिशिया के गठन से बना था। इसका मुख्य उद्देश्य अरब हमलो, जैसे कि १९२०, १९२१, १९२९ के दंगे और १९३६-१९३९ के दौरान हुए अरब विद्रोह के हमलो से यहूदी बस्तियों कि रक्षा करना था। यह ब्रिटिश जनादेश के दौरान, फिलिस्तीन के यहूदी समुदाय की यहूदी एजेंसी के नियंत्रण में थ। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, हगाना की गतिविधियां हवलगा, अर्थात आत्म-संयम की नीति के अनुसार चलती थी। परन्तु आगे चलकर, हगाना के अधिक कट्टरपन्ति सदस्यों ने इर्गुन और लेही नामक संगठनो का गठन किया।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ़ीलीस्तीन में यहूदी अप्रवासन पर ब्रिटिश प्रतिबंधों के विरुद्ध भी हगाना ने काफी विरोध किया था। १९४७ में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन के लिए एक विभाजन योजना को अपनाया। इसके बाद, फिलिस्तीन में ५ अरब देशो की सेनाओं ने युद्ध की घोषणा की। इसी युद्ध में फिलिस्तीनी यहूदियों के बीच सबसे बड़ी लड़ाई सेना के रूप में हगाना खुल कर लड़ने लगी। इसके पूर्व, युद्ध के दौरान, हगाना ने सफलतापूर्वक पांचों अरब सेनाओं पर काबू पा लिया। १९४८ में, इज़राइल की आजादी की घोषणा, और उसके कारण हुए अरब-इजरायली युद्ध की शुरुआत के तुरंत बाद, हगाना को अन्य समूहों के साथ मिला कर राज्य की आधिकारिक सेना में पुनर्गठित किया गया।

१९२० - १९२९ के अरब दंगे:[संपादित करें]

१९२० के अरब दंगों, और १९२० के जाफ़ा दंगों के बाद, फ़िलिस्तीन के यहूदी नेतृत्व का मानना ​​था कि यहूदी समुदाय की रक्षा के लिए, ब्रिटिश प्रशासन का भरोसा नहीं किया जा सकता। इसी मान्यता के कारण, यहूदी नेतृत्व ने यहूदी खेतों और किबुत्ज़िम (एक प्रकार के गाँव) की रक्षा के लिए हगाना का गठन किया। हगाना के पहले प्रमुख २८ वर्षीय योसेफ हेचट थे, जिन्हे ब्रिटिश सेना के यहूदी यूनिट्स में रहने का युद्ध अनुभव था। १९२० और १९२९ के बीच, हगाना में कोई केंद्रीय सत्ता नहीं थीं। इस अभाव के कारण, यह संगठन स्थानीय रहा। इसी कारण, हगाना के सदस्य अधिकतर किसान या गावों के नौजवान थे, जिनके पास कोई आधुनिक हथियार नहीं थे।

परन्तु, १९२९ के फिलिस्तीन दंगों के बाद, हगाना की भूमिका बदल गई। यह यहूदी बस्तियों में लगभग सभी युवाओं के साथ-साथ शहरों के हजारों सदस्यों को शामिल करते हुए एक बहुत बड़ा संगठन बन गया। हगाना ने विदेशी हथियार भी हासिल किए और हैंड ग्रेनेड और सरल सैन्य उपकरण बनाने के लिए कार्यशालाओं का विकास करना भी शुरू कर दिया। इन कारणों की वजह से हगाना ने अब एक मज़बूत सेना का रूप ले लिया।

१९३६ - १९३९ का अरब विद्रोह:[संपादित करें]

१९३६-१९३९ के अरब विद्रोह के दौरान, हगाना ने ब्रिटिश प्रशासन के साथ काम कर, विद्रोह को दबाने का सफल प्रयोग किया। इस दौरान, हालाँकि ब्रिटिश प्रशासन ने हगाना को कोई आधिकारिक मान्यता तो नहीं दी, परन्तु उन्होंने हगाना को उनकी सहायता के बदले, उनके यूनिट्स को युद्ध नीतियो में ट्रेनिंग दी। यह ट्रेनिंग, आगे जाकर, हगाना के कई मिशन में काम आई।

१९३१ हगाना विभाजन:[संपादित करें]

कई हगाना सेनानियों ने हवलगाह (संयम) की आधिकारिक नीति पर आपत्ति जताई थी। यह नीति यहूदी राजनैतिक नेताओं ने हगाना पर लागू की थी। हगाना के सेनानियों को यह निर्देश दिया गया था कि वे केवल यहूदी समुदाय की रक्षा करें और अरब समुदाय के खिलाफ पलटवार शुरू न करें। यह नीति कई लोगों को नहीं भाई। उनका यह मानना था की यह नीति पराजित करने वाली नीति है। उनका यह मानना था की पलटवार से ही फिलिस्तीन के यहूदी समुदाय की रक्षा की जा सकती है। इन्ही कारणो से, १९३१ में, हगाना के अधिक उग्रवादी तत्व उससे अलग हो गए, और उन्होंने इरगुन त्सवाई-लेउमी (राष्ट्रीय सैन्य संगठन) का गठन किया। इसे "इरगुन" के रूप में जाना जाता है ।

पोलैंड से समर्थन:[संपादित करें]

दोनों विश्व युद्धों के बीच, पोलैंड ने फिलिस्तीन में एक यहूदी राज्य के समर्थन में एक नीति बनाई थी। इसी के चलते, दूसरे पोलिश गणराज्य ने अपने क्षेत्र से बड़े पैमाने पर यहूदी उत्प्रवास की सुविधा के लिए, हगाना सहित अन्य ज़ायोनी अर्धसैनिक समूहों को सैन्य प्रशिक्षण और हथियार प्रदान किए थे। येहुदा अराज़ी के नेतृत्व में हगाना के दूतों ने दर्जनों शिपमेंट प्राप्त किए, जिनमें २७५० मौसर राइफलें, २२५ आरकेएम मशीन गन, १०००० हथगोले, राइफलों और मशीनगनों के लिए दो मिलियन गोलियां और गोला-बारूद के साथ बड़ी संख्या में पिस्तौल भी शामिल थी। अंग्रेजों ने इन प्रसवों को रोकने के लिए पोलिश सरकार पर भारी दबाव डाला। अराज़ी की अंतिम खरीदारी में से एक दो हवाई जहाज और दो ग्लाइडर भी थे। जब वह पोलैंड से फ़्रांस भाग गए, तो लगभग 500 राइफलें वॉरसॉ के एक गोदाम में छोड़ गए। १९३१ और १९३७ के बीच बेतार और रेम्बर्टो में एक सैन्य शिविर में हगाना के सदस्यों को प्रशिक्षित भी किया गया था। यह अनुमान लगाया गया है कि शिविर में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में उनके अस्तित्व के दौरान लगभग ८००० से १०००० प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इससे यह मालूम होता है की पोलैंड ने ज़ायोनी संगठनो की बहुत मादा की थी।

द्वितीय विश्व युद्ध:[संपादित करें]

१९४४ में, लेही के सदस्यों द्वारा लॉर्ड मोयने (मध्य पूर्व के ब्रिटिश राज्य मंत्री) की हत्या के बाद, हगाना ने अंग्रेजों के साथ मिलकर, अपहरण, पूछताछ और कुछ मामलों में इरगुन सदस्यों को निर्वासित करने का काम किया। नवंबर १९४४ से फरवरी १९४५ तक चलने वाली इस कार्रवाई को "सैसन" या "शिकार का मौसम" कहा जाता था, और इसे इरगुन के खिलाफ निर्देशित किया गया था न कि लेही के खिलाफ।

"सैसन" आधिकारिक रूप से १९४५ में समाप्त हो गया जब हगाना, इरगुन, और लेही ने "यहूदी प्रतिरोध आंदोलन" का गठन किया। इस नए ढांचे के भीतर, तीन समूह एक संयुक्त कमान के तहत काम करने के लिए सहमत हुए।

हगाना अन्य दो समूहों की तुलना में यहूदी विद्रोह में कम सक्रिय था, लेकिन पलमाच ने कई ब्रिटिश विरोधी अभियान चलाए। हगाना ने अलियाह बेत कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अवैध यहूदी आप्रवासन को व्यवस्थित करना जारी रखा, जिसमें अवैध आप्रवासियों को ले जाने वाले जहाजों ने फिलिस्तीन के ब्रिटिश नाकाबंदी को तोड़ने का प्रयास किया और तट पर अवैध आप्रवासियों को भूमि दी, और पलमाच ने अवैध आप्रवासन कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन किया। पलमाच ने अवैध अप्रवासी जहाजों को ट्रैक करने वाले ब्रिटिश रेडार स्टेशनों पर बार-बार बमबारी की, और अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ब्रिटिश जहाजों के साथ-साथ दो ब्रिटिश लैंडिंग और गश्ती जहाजों को तोड़ दिया। पलमाच ने एक एकल-हत्या अभियान भी चलाया, जिसमें एक ब्रिटिश अधिकारी को, जिसे यहूदी कैदियों के प्रति अत्यधिक क्रूर माना जाता था, गोली मार दी थी। हगाना ने "बिरया प्रसंग" का भी आयोजन किया था। अवैध हथियारों के कब्जे के लिए बिरया के यहूदी बस्ती के निवासियों के निष्कासन के बाद, हगाना द्वारा आयोजित हजारों यहूदी युवाओं ने इस स्थल पर मार्च किया और बस्ती का पुनर्निर्माण किया। कुछ ही समय बाद निष्क्रिय प्रतिरोध दिखाते हुए उन्हें अंग्रेजों द्वारा निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन जब वे तीसरी बार लौटे, तो अंग्रेजों ने पीछे हटकर उन्हें रहने दिया। अपने संचालन के अलावा, हगाना ने अपने हथियार और गोला-बारूद के भंडार का निर्माण करते हुए गुप्त रूप से, अरबों के साथ होनेवाले युद्ध की तैयारी करते रहे।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, नाज़ी जर्मनी में यहूदी समुदाय पर बहुत आपदाएं आई। हिटलर ने आधिकारिक रूप से यहूदी समुदाय को नष्ट करने का प्रण लेकर, यहूदी लोगों को धीरे धीरे यातना शिविरों में मारना शुरू कर दिया। इसी कारण, सभी यहूदी लोग, जर्मनी और यूरोप के अन्य देशो से निकलकर फिलिस्तीन जाना चाहते थे। इस दौरान हगाना ने बहुत प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने यूरोप में अपने सदस्यों को भेज कर, सभी देशो में नकली कागज़ बनाये, और यहूदी लोगो को ट्रेनों के ज़रिये सुरक्षित देशो में भेजना शुरू किया। इसके उपरान्त, उन्होंने जहाज़ों के ज़रिये, ब्रिटिश अप्रवासन प्रतिबंधों के विरुद्ध, इन यहूदी लोगों को फिलिस्तीन भेजना शुरू कर दिया। हगाना के कारण ही, युद्ध के दौरान भी कई यहूदी लोग अपनी जान बचा पाए।

इस्राएल का आज़ादी युद्ध:[संपादित करें]

संयुक्त राष्ट्र संघ के जनरल असेंबली वोट के बाद, यह निर्णय लिया गया की फिलिस्तीन का विभाजन कर, एक यहूदी देश का निर्माण कर दिया जाये। परन्तु, फिलिस्तीन के पडोसी अरब देशो ने साफ़ घोषणा कर दी थी, कि अगर फिलिस्तीन का विभाजन हुआ, तो वे सभी देश, उस नए यहूदी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ देंगे। इसी के चलते, १९४८ में, इस्राएल की आज़ादी घोषणा के बाद, ५ अरब सेनाओ ने युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध में, सबसे प्रमुख भूमिका हगाना की ही थी। युद्ध की शुरुआत में तो हगाना ने केवल अरब सेनाओ को काबू में रखा। परन्तु जैसे ही ब्रिटिश सेना फिलिस्तीन से हटी, तो हगाना ने आक्रामक रूप ले लिया। इसके चलते, उन्होंने विभाजन प्लान में दी गयी ज़मीन से अधिक ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया, और् अपने नए यहूदी देश, इस्राएल की सुरक्षा की। आगे चलकर, हगाना ही इसरायली सेना का मूल संगठन बन गयी।

References:[संपादित करें]

1. https://books.google.co.in/books/about/Haganah.html?id=5jIdAAAAMAAJ&redir_esc=y

2. https://www.google.co.in/books/edition/O_Jerusalem/DUAaQwildzoC?hl=en&gbpv=0