सदस्य:संविदा एक धीमा जहर

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आधुनिक समाज या हमारी युवापीड़ी को जमीदारी प्रथा, तानाशाह , बंधुआ मजदूरी आदि इतिहास के पन्नो या फिर यदा-कदा कुछ टी वी चैनलों द्वारा प्रसारित धरावाहिको में ही देखने को मिलता है ! वर्तमान में लुप्त हो चुकी बंधुआ मजदूरी एवं तानाशाह का जीवंत स्वरूप देखने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ( हम सभी के आदरणीय तथाकथित मामाजी ) भारत के विभिन्न राज्यों को आमंत्रित कर वाह-वाही लुटते रहते है ! विभिन्न राज्यों से ही क्यों विदेशो से भी अलग-अलग संस्थाओं को आमंत्रित कर करोड़ों /अरबों का फण्ड लिया जा रहा है ! ये सब काम जिनको दिखा कर हमारी मध्यप्रदेश सरकार प्रफुल्लित होती रहती है ! क्या ये सब संभव होता, यदि इन बंधुआ मजदूरों (संविदा) ने दिन रात मेहनत, निष्ठा ,लगन,कठिन परिश्रम नहीं किया होता तो ? इस देश में महान विचारक , समीक्षक ,राजनीति के जानकार , ज्ञानी महापुरुष नहीं है, जिस देश में बंधुआ मजदूरी को समाप्त कर क़ानून बनाया हुआ है उसी देश में बंधुआ मजदूरी को संविदा में परिवर्तित कर प्रदेश के युवाओं को धीमा जहर दिया जा रहा है ! क्या मध्यप्रदेश सरकार संविदा को इसी तरह से धीमा जहर देकर शैने:शैने: चिर निद्रा में सुला देना चाहती है ! क्या संविदा को सामान कार्य - सामन वेतन का अधिकार नहीं है ? क्या हम सब संविदा अधिकारी/कर्मचारी हमारे साथ कार्य कर रहे अन्य शासकीय भाइयो एवं बहनों की तरह नियमित हो कर सम्मान सहित जीवन जी सकेगे ! मध्यप्रदेश सरकार ( हम सभी के आदरणीय तथाकथित मामाजी ) से हम सभी संविदा अधिकारी/कर्मचारी यही आग्रह करते है हमे नियमित करे !