सदस्य:संदीप कुमार कनौजिया

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मानव पृथ्वी पर लंबे समय से है और उसने अपने जीवन को बेहतर करने के लिए विभिन्न तरह के अविष्कार किये हैं.

कुछ परिवारों का जीवन बेहतर हुआ है ,लेकिन बहुत से परिवार पशुता का जीवन जी रहे हैं. कालांतर में पूरा विश्व ७ महाद्वीपों में बंट गया और महाद्वीप देशों में. प्रत्येक देश का भौगौलिक दायरा होता है.प्रत्येक देश को चलाने के लिए संगठित व्यवस्था का विकास हुआ है.यह व्यवस्था राष्ट्र के दायरे में रहने वाले लोगों विकास के लिए उत्तरदायी होती है. प्रत्येक राष्ट्र वर्गों से मिलकर बनता है और वर्ग समुदायों से ,प्रत्येक समुदाय में कई परिवार होते हैं यह परिवार वैवाहिक संबंधों के आधार पर जुडे होते हैं. पिछडे समुदायों को भारत में अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछडा वर्ग में विभक्त किया गया है. केन्द्र व राज्य सरकारों ने पिछडे वर्गों के लिए के लिए विभिन्न योजनाएँ भी चलाईं हैं. राष्ट्रीय विकास परिषद ने Schedule caste और Schedule tribe को उनकी संख्या के अनुसार बजट आवंटित करने का निर्देश दिया है.लेकिन राष्ट्रीय विकास परिषद के इस निर्णय का केन्द्र व राज्य सरकारों ने ध्यान नहीं दिया है. दूसरी तरफ schedule caste और Schedule Tribe के शैक्छिक व आर्थिक रुप से मजबूत परिवार जागरुक भी नहीं है ,वह अपने ही समुदाय के अन्य परिवारों के प्रति ईमानदार नहीं हैं.

राष्ट्र का विकास तभी हो सकता है जब प्रत्येक समुदाय के विकसित परिवार अपने ही समुदाय के अन्य परिवारों के प्रति ईमानदार बनें.

होता यह रहा है कि एक परिवार को समुदाय तैयार करता है वह तैयार परिवार समुदाय से दूरी बना लेता है.

यह तैयार लोग एक दिन उम्र पूरी करके खत्म हो जाते हैं। उनकी संतानें फिर शून्य से शुरुआत करती हैं। यह क्रम ऐसे ही चलता रहता है।